राजधानी दिल्ली में यमुना किनारे 11 मार्च से होने जा रहे श्री श्री रविशंकर के वर्ल्ड कल्चरल फेस्टिवल को लेकर विवाद गहराता जा रहा है. लगातार उठते सवालों का अब रक्षामंत्री मनोहर पर्रिकर ने जवाब दिया है.
नेशनल ग्रीन ट्रिब्यूनल ने भी आयोजन स्थल पर हो रहे निर्माण कार्य पर यह कहते हुए रोक लगा दी कि इससे यमुना किनारे वाले बाढ़ संभावित इलाकों को नुकसान पहुंच सकता है.
नेशनल ग्रीन ट्रिब्यूनल ने केंद्र से सवाल किया है कि, श्री श्री रविशंकर के आर्ट ऑफ लिविंग के तीन दिवसीय ‘वर्ल्ड कल्चरल फेस्टिवल’ के लिए यमुना के बाढ़ संभावित क्षेत्र में ढांचे खड़ा करने के लिए पर्यावरण संबंधी अनापत्ति की जरुरत क्यों नहीं है.
इसके अलावा आयोजन स्थल तक पहुंचने के लिए ‘पंटून ब्रिज’ के निर्माण में भारतीय सेना को लगाने के फैसले की भी गंभीर रूप से आलोचना की जा रही है.
आयोजन स्थल तक पहुंचने के लिए पुलों का निर्माण करने में लगाई गई सेना के सवाल पर रक्षा मंत्री मनोहर पर्रिकर ने एक न्यूज चैनल से कहा कि यह कुंभ मेले की तरह ही ऐसा आयोजन है, जिसमें लाखों लोग इकट्ठा होंगे, इसीलिए सेना को लगाया गया है.
वर्ल्ड कल्चरल फेस्टिवल में करीब 35 लाख लोगों के शामिल होने की उम्मीद की जा रही है.
लाखों लोगों की जान-माल की सुरक्षा को ध्यान में रखते हुए सेना से पुल बनाने के लिए कहा गया है. सेना पहले भी लोगों की सुरक्षा के लिए कुंभ मेले और दूसरे मौकों पर ऐसा काम करती रही है.मनोहर पर्रिकर, रक्षा मंत्री
इंडिया टुडे के मुताबिक, दिल्ली विकास प्राधिकरण (DDA)ने भी पर्यावरण के लिहाज से संवेदनशील इलाके में इतना बड़ा आयोजन किए जाने की अनुमति देने पर खुद का बचाव किया है.
हम देख सकते हैं कि पर्यावरण को नुकसान न हो, इसके लिए क्या किया जा सकता है. लेकिन अब समारोह की तारीख नजदीक है.DDA
आध्यात्मिक गुरु श्री श्री रविशंकर ने सोमवार को एनजीटी की रिपोर्ट को पक्षपाती करार दिया था. उन्होंने कहा था कि इस आयोजन के लिए पेड़ नहीं काटे गए हैं, हालांकि 4 पेड़ों की छंटाई जरूर की गई है.
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