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विश्व सांस्कृतिक महोत्सव: नहीं मिले इन सवालों के जवाब

अजीब है न कि वकीलों को ये तक पता नहीं कि इस इवेंट को मंजूरी किसने दी?

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भारत
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श्री श्री रविशंकर के इस विशाल कार्यक्रम के खिलाफ सुनवाई के आखिरी दिन बार बार एनजीटी के सब्र का इम्तिहान लिया गया. हालांकि एनजीटी ने जुर्माने के साथ इस इवेंट को मंजूरी दे दी है लेकिन अभी भी कई सवाल मुंह बाए खड़े हैं जिसका जवाब आयजकों के पास भी नहीं है.

अजीब है न कि वकीलों को ये तक पता नहीं कि इस इवेंट को मंजूरी किसने दी?
यमुना किनारे श्री श्री के इवेंट के लिए तैयार होता स्टेज. (फोटो: IANS)

35 लाख नहीं 5 लाख लोग आएंगे- आयोजक

श्री श्री रविशंकर फांउडेशन के इस फंक्शन पर लगभग दो हफ्ते से विवाद चल रहा है. यमुना किनारे तकरीबन हजार एकड़ जमीन पर कंसट्रक्शन का काम भी सवालों के घेरे में है. श्री श्री के फांउडेशन ने पहले ये दावा किया कि इस फंक्शन में तकरीबन 35 लाख लोगों के आने की संभावना है. तैयारियां देखकर भी लग यही रहा था कि ये आयोजन सिर्फ 5-10 लाख लोगों के लिए नहीं है.

लेकिन कहानी में ट्विस्ट तब आया जब श्री श्री के फाउंडेशन ने एनजीटी के सामने ये कहा कि उनके मुताबिक वर्ल्ड कल्चर फेस्टिवल में सिर्फ 5 लाख के आसपास लोग आएंगे. 

अजीब है न कि वकीलों को ये तक पता नहीं कि इस इवेंट को मंजूरी किसने दी?
दिल्ली- नोएडा डीएनडी से आप आयोजन स्थल को देख सकते हैं. (फोटो: The Quint)

पर्यावरण के जानकारों का कहना है कि श्री श्री के फंक्शन से यमुना किनारे के इकोसिस्टम को भारी नुकसान पहुंचेगा.

आर्ट ऑफ लिविंग पर 5 करोड़ का जुर्माना

बुधवार दोपहर एनजीटी के खचाखच भरे कोर्टरूम में ये फैसला सुनाया गया कि आर्ट ऑफ लिविंग 5 करोड़ रुपए का शुरुआती जुर्माना भरेगी जो यमुना के किनारे हुए नुकसान को देखते हुए कोर्ट ने सुनाया है. साथ ही डीडीए पर 5 लाख और दिल्ली प्रदूषण नियंत्रण बोर्ड पर 1 लाख का जुर्माना इसलिए लगाया गया है क्योंकि उन्होंने अपना काम ठीक से नहीं किया.

ताजा खबरों के मुताबिक श्री श्री फांउडेशन ग्रीन ट्रिब्यूनल के 5 करोड़ के जुर्माने के फैसले के खिलाफ अपील करने की सोच रहा है. 

सुनवाई के दौरान वकीलों के पास जवाब नहीं था

अजीब है न कि वकीलों को ये तक पता नहीं कि इस इवेंट को मंजूरी किसने दी?
यमुना किनारे तैयारियों की एक झलक. (फोटो: IANS)

सुनवाई के दौरान ट्रिब्यूनल ने पर्यावरण और वन मंत्रालय, आर्ट ऑफ लिविंग फाउंडेशन. जल मंत्रालय, डीडीए. दिल्ली सरकार, इस इवेंट के खिलाफ याचिकाकर्ताओं और सरकार के दूसरे विभाग की बातें सुनी. ट्रिब्यूनल का मकसद ये था कि वो पता लगा सके कि आखिर ऑर्ट ऑफ लिविंग के इस इवेंट को मंजूरी किसने दी है.

लेकिन ये इतना आसान तो कतई नहीं था. मंत्रालयों का प्रतिनिधित्व कर रहे वकील या तो समय पर कोर्ट नहीं पहुंचते थे या फिर उनके पास ट्रिब्यूनल के सवालों का जवाब ही नहीं था.

अजीब है न कि वकीलों को ये तक पता नहीं कि इस इवेंट को मंजूरी किसने दी?
एनजीटी ने दिल्ली सरकार, आर्ट ऑफ लिविंग और डीडीए को नोटिस जारी किया है. (फोटो: greentribunal.gov.in)

सुनवाई के दौरान चीफ जस्टिस ने कहा- मेरे सब्र का इम्तिहान न लें

सरकारी वकील जैसे ही इस मामले में बहस को आगे ले गए ये बात साफ हो गई कि आर्ट ऑफ लिविंग ने कई अहम डिपार्टमेंट से स्वीकृति ली ही नहीं है. जैसे कि जल मंत्रालय. दिल्ली पुलिस और फायर डिपार्टमेंट.

जब जज ने कहा मेरे सब्र का इम्तिहान न लें

  • वकीलों को पास ट्रिब्यूनल बेंच के सवालों का जवाब ही नहीं था.
  • कितने लोग इस फंक्शन में आएंगे ये भी वकील नहीं बता पाए.
  • आयोजकों को किससे और कब इस इवेंट को कराने कि इजाजत मिली इसका भी वकील जवाब नहीं दे पाए.
  • चीफ जस्टिस स्वतंतेर कुमार ने वकीलों को चेताया कि वो उनके सब्र का इम्तिहान न लें.
  • चीफ जस्टिस ने उनसे कहा कि वो कैसे भी जरुरी कागजात कोर्ट में जमा कराएं.

लंबी बहस के बाद जजों ने ये फैसला किया कि 11-13 मार्च तक इस फंक्शन को होने दिया जाए लेकिन शर्तों के साथ.

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