अयोध्या विवाद पर समझौते का नया फॉर्मूला सुझाने वाले मौलाना सलमान नदवी अब अपने रूख से पलट गए हैं. उन्होंने शुक्रवार को कहा है कि वो अयोध्या मामले में कोर्ट के फैसले का इंतजार करेंगे. नदवी ने कहा कि अयोध्या का मामला उसके पक्षकार ही सुलझाएं तो बेहतर है. उन्होंने सुप्रीम कोर्ट के फैसले का इंतजार करने की बात कही. बता दें कि वो पहले आध्यात्मिक गुरु श्री श्री रविशंकर के साथ मिलकर कोर्ट के बाहर मसले का हल तलाश करने की बात कर रहे थे.
नदवी ने क्या कहा?
नदवी ने शुक्रवार को कहा, ''अयोध्या मसले में हम कोई पक्षकार नहीं हैं. राम मंदिर और बाबरी मस्जिद मामले को हमने अपने एजेंडे से निकाल दिया है, अयोध्या मसले के जो पक्षकार हैं वो इसे खुद सुलझाएं. इस मसले को बाहर सुलझाने के लिये सुन्नी वक्फ बोर्ड तैयार नही है, न ही कोई दूसरा पक्ष फिर बाहरी लोगों से बात करने से क्या फायदा. मैं इस मामले में पक्षकार नही हूं इसलिये अब मैं इस मामले से अपने को अलग कर रहा हूं. '' उन्होंने कहा कि अब वो इस मामले पर नही बोलेंगे और कोर्ट के फैसले का इंतजार करेंगे.
नदवी ने ये भी कहा है कि वो ऑल इंडिया मुस्लिम पर्सनल लॉ बोर्ड में तभी वापस आएंगे जब असदुद्दीन ओवैसी समेत 4 लोगों को बोर्ड से निकाला जाएगा.
नदवी ने गुरुवार को श्री श्री रविशंकर से की थी मुलाकात
सलमान नदवी ने श्री श्री रविशंकर ने लखनऊ में मौलाना से मुलाकात की थी. रविशंकर ने बाद में कहा था कि ''हमारी कोशिश जारी है, सफलता की ओर चल रहे है सब तरफ से बहुत ही सकारात्मक प्रतिक्रिया मिल रही है, आगे और कार्यक्रम करेंगे. देश में दोनों समुदायों के बीच सौहार्द बना रहे, प्रेम बना रहे और भव्य रूप से राम मंदिर का निर्माण हो, इस बारे में हम लोग बात कर रहे है. '' मदनी से शुक्रवार को जब पूछा गया कि रविशंकर तो लोगों के समर्थन की बात कर रहे हैं तो उन्होंने कहा कि जिन लोगों से समर्थन की बात कही जा रही है वे न तो पक्षकार हैं न ही सुन्नी वक्फ बोर्ड के सदस्य. ऐसे लोगों से बात करने से क्या फायदा.
मुस्लिम पर्सनल लॉ बोर्ड से निकाले जा चुके हैं मौलाना सलमान नदवी
बता दें कि अभी हाल ही में मौलाना सलमान नदवी को ऑल इंडिया मुस्लिम पर्सनल लॉ बोर्ड ने निकाल दिया था. मौलाना नदवी को बोर्ड से इसलिए निकला गया था, क्योंकि उन्होंने श्री श्री रविशंकर से मिलकर अयोध्या विवाद सुलझाने के लिए राम मंदिर के लिए जमीन छोड़ देने का फॉर्म्यूला दिया था. सलमान नदवी ने कहा था कि छह दिसंबर, 1992 तक जिस जमीन पर बाबरी मस्जिद खड़ी थी, उस जमीन को राम मंदिर निर्माण के लिए छोड़ देना चाहिए और किसी और जमीन पर मस्जिद का निर्माण करना चाहिए.
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