खेल की दुनिया हो या माॅडलिंग में करियर बनाना, अपनी भाषा को पहचान दिलानी हो या उस संस्कृति को बढ़ावा देने की बात हो जिसकी ‘जिम्मेदारी सिर्फ लड़कों’ की मानी जाती है. एक से बढ़कर एक, 10 बेमिसाल युवा महिलाओं के संघर्ष की कहानियों से दर्शकों को रूबरू होने का मौका मिला द क्विंट और फेसबुक की खास पहल ‘मी, द चेंज’ के कार्यक्रम में.
दिल्ली के पुलमैन होटल में हुए इस कार्यक्रम में देशभर की 10 युवा महिलाओं को बाॅलीवुड एक्ट्रेस तापसी पन्नू ने सम्मानित किया और साथ ही उनकी कहानियों को बातचीत के जरिये सामने रखा. ये वो महिलाएं हैं जो 2019 में पहली बार वोट डालने जा रही हैं और अपने दम पर समाज की निगेटिव सोच बदलने की कोशिश में जुटी हैं.
क्विंट और फेसबुक ने मी, द चेंज लॉन्च किया है, एक ऐसा कैंपेन जो पूरे भारत में पहली बार वोट देने वाली महिला मतदाताओं के मुद्दों पर चर्चा कर रहा है.
पूरे कार्यक्रम का वीडियो देखें-
अलग-अलग राज्य, अलग-अलग तबके से आईं इन 10 महिलाओं में एक बात आम थी- ‘लोग क्या कहेंगे’ इस बात को नजरअंदाज कर लीक से हटकर काम करने का जज्बा.
तापसी पन्नू ने इवेंट की शुरुआत में द क्विंट के फाउंडर और एडिटर-इन-चीफ राघव बहल से बातचीत में अपने संघर्ष से स्टारडम तक के सफर को बयां किया.
उन्होंने कहा कि “वो जैसी हैं वैसी ही रहना चाहती हैं. महिलाएं अगर बेबाक, बिंदास हैं तो समाज को इससे दिक्कत नहीं होनी चाहिए. आखिर महिलाएं अपनी खुली सोच पर काबू क्यों रखें?”
बदलाव की मिसाल कायम करतीं युवा महिलाएं
समाज की दकियानूसी सोच की पोल खोलतीं और अपने दम पर मिसाल कायम करतीं इन महिलाओं ने स्टेज पर खुलकर अपने मन की बात रखी.
एशियन गेम्स की ब्राॅन्ज मेडलिस्ट रेसलर दिव्या काकरान ने कहा कि “मेरे पापा ने मेरे खेल के लिए कर्ज लिया लेकिन मैंने सारा कर्ज उतार दिया, अच्छा हुआ शादी के लिए कर्ज नहीं लिया, तब तो कर्ज उतरने से रहता."
केरल से आईं चाइल्ड सेफ्टी एजुकेटर और खुद बाल यौन शोषण की शिकार रहीं मरियम रउफ ने कहा कि “मैंने तय किया था कि मैं अपने मन में बात नहीं रखूंगी और मैंने अपनी मां से अपने साथ हुए सेक्सुअल अब्यूज की घटना शेयर की. इसके बाद मैंने अपने अब्यूजर्स से जाकर सवाल किए, उन्हें शर्मिंदा किया. मैं मां-बाप और बच्चों के बीच इस तरह का खुलापन चाहती हूं ताकि हर बच्चा सुरक्षित रहे.”
एसिड अटैक सर्वाइवर अंशु राजपूत ने सरकार से एसिड अटैक सर्वाइवर्स के लिए मदद की मांग की. संथाली सेंसेशन आरजे शिखा मंडी ने कहा कि लड़कियां आगे बढ़ें और लीक से हटकर काम करें.
देश की सबसे युवा महिला ढोल प्लेयर जहान गीत ने बताया कि ढोल सीखना उनके लिए कितना मुश्किल रहा क्योंकि लोगों में ये सोच है कि वो अपनी विरासत, संस्कृति लड़कों को सौंपे ताकि वो उसे लेकर आगे बढ़ें. लड़कियों को वो इस जिम्मेदारी के लायक नहीं समझते.
ऐसी ही कई यंग अचीवर्स के संघर्ष की कहानियों को इस मंच के जरिये आवाज मिली.
“सिर्फ योजना लाने से नहीं उन्हें लागू करने से होंगी महिलाएं सुरक्षित”
इवेंट में शामिल ‘निर्भया’ की मां आशा देवी ने चुनाव में महिलाओं की मांगों और हक की अनदेखी को लेकर आवाज उठाई. उन्होंने कहा कि ‘निर्भया’ घटना के 6 साल बाद भी वो कोई बदलाव नहीं देख रही हैं.
उन्होंने कहा कि चुनाव के समय सरकार कई स्कीम लेकर आ जाती है. कई कानून लाए गए लेकिन हजार कानून लाने से कुछ नहीं होगा. उनको लागू करने से ही देश में महिलाएं सुरक्षित हो सकती हैं. और असली बदलाव तभी आएगा.
“महिलाओं की आवाज बुलंद करने में फेसबुक निभा रहा है अहम रोल”
भारत, साउथ एशिया और सेंट्रल एशिया में फेसबुक की हेड ऑफ पाॅलिसी प्रोग्राम शेली ठकराल भी इस इवेंट का हिस्सा रहीं.
लोकतंत्र की मजबूती के लिए फेसबुक जबरदस्त क्षमता वाला प्लेटफाॅर्म है. 2019 के चुनावों में महिलाएं एक महत्वपूर्ण आवाज बनेंगी. फेसबुक सबकी आवाज को साथ लेकर आने में एक अहम रोल निभा रहा है.शेली ठकराल
इवेंट का समापन आनेवाली सरकार के लिए देशभर की महिलाओं की 10 मांगों वाली चार्टर को जारी करने के साथ हुआ.
जहान गीत के ढोल की धमक के साथ खत्म हुए इस इवेंट ने 2019 में पहली बार वोट डालने वाली महिलाओं की जोरदार धमक को दर्ज किया.
2019 में महिलाओं के लिए एक पाॅजिटिव बदलाव की उम्मीदों के साथ इवेंट के जरिये पहली बार वोट डालने जा रही महलाओं की आवाज को सलाम किया गया.
ये महिलाएं बदलाव लाने के लिए हैं तैयार और आप?
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