कैमरापर्सन: सतीश मनोहरन
प्रोड्यूसर: स्मिता टीके, विक्रम वेंकटेश्वरन
वीडियो एडिटर: प्रशांत चौहान, विक्रम वेंकटेश्वरन
मुझे 'मरियम रउफ' का नाम दिया गया था. ऑनलाइन उनके बारे में कोई जानकारी न मिलने के बाद मैं उन्हें ढूंढने केरल के कोट्टायम में एक लाल ईंटों वाले स्कूल में पहुंची. उनके आने से भी पहले, वहां की प्रिंसिपल, टीचर और स्टूडेंट्स अपनी 'मरियम मिस' की तारीफों के पुल बांध रहे थे. और तभी पीले रंग की कुर्ती पहने अपने चेहरे पर प्यारी सी मुस्कान लिए वो वहां पहुंचीं. उनके किंडरगार्टन क्लास में पहुंचते ही बच्चे खुशी में उछल पड़े.
22 साल की मरियम रउफ पर्सनल सेफ्टी एजुकेटर हैं. बच्चों को सेक्स एजुकेशन के अलावा, वो उन्हें बॉडी सेफ्टी के बारे में भी पढ़ाती हैं
मरियम रउफ एक जाना-पहचाना नाम बन गईं जब उन्होंने केरल के सभी स्कूलों में पर्सनल सेफ्टी एजुकेशन (PSE) को अनिवार्य करने के लिए Change.org पिटीशन शुरू की थी. केरल स्टेट कमिशन फॉर प्रोटेक्शन ऑफ चाइल्ड राइट्स (KeSCPCR) और शिक्षामंत्री सी रविंद्रनाथ को एड्रेस करती इस पिटीशन पर खबर लिखे जाने तक 38,000 लोग साइन कर चुके थे.
एक आत्मविश्वासी और आजाद खयाल महिला मरियम इस मुहिम में जुटी हैं, लेकिन उनका खुद का सफर काफी दर्द भरा रहा है. 3 साल से लेकर से 14 साल तक, 3 पुरुषों ने उनका शोषण किया. 19 साल की उम्र में उन्हें अपने भीतर दबे इस दर्द का एहसास हुआ.
अचानक, मुझे सबकुछ साफ-साफ याद आया, यादों का एक पूरा गुबार, एक दुकानदार था, एक परिवार का सदस्य था और एक डॉक्टर था. तीनों ने मेरा यौन शोषण किया.मरियम रउफ, पर्सनल सेफ्टी एजुकेटर
मरियम का कहना है कि सभी को अपने बॉडी पार्ट्स के बारे में पता होना चाहिए. "आपका बच्चा जो कहे उसपर हमेशा भरोसा करें, आमतौर पर बच्चे बातें नहीं बनाते हैं, खासकर सेक्सुअल अब्यूज के मामले में बिलकुल नहीं."
बच्चों को सेक्सुअल अब्यूज से बचाने के लिए जागरुकता फैला रहीं मरियम कहती हैं
तो आप क्या कर सकते हैं? आप अपने बच्चों को आपसे जुड़ने के लिए एक स्पेस दे सकते हैं. और आप अपने बच्चों को शरीर से जुड़ी सेफ्टी रूल्स के बारे में बता सकते हैं. और उन्हें बताएं कि वो ‘नहीं’ कह सकते हैं. कुछ गलत होन पर वो आपको इसके बारे में बता सकते हैं, और आप उन्हें सुनेंगे.मरियम रउफ, पर्सनल सेफ्टी एजुकेटर
पहली बार वोट डालने जा रहीं मरियम की एक ही मांग है कि पर्सनल सेफ्टी एजुकेशन को स्कूलों में अनिवार्य बनाया जाए.
उन्होंने कहा, "मैं बस इतना कह रही हूं कि एक साल में बच्चा जो अनगिनत घंटे स्कूल में बिताता है, उसमें से सिर्फ 2 से 3 घंटे ले लीजिए. पूरे स्कूल सेशन में बस कुछ सेशन में उन्हें पर्सनल सेफ्टी और लाइफ स्किल के बारे में बताया जाए."
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