नवरात्र में मीट (Meat in Navratra) की दुकानों को बंद करने का विवाद उत्तर प्रदेश (Uttar Pradesh) से दिल्ली (Delhi) पहुंचा था. लेकिन दिल्ली में अब यह विवाद यूपी से भी ज्यादा बढ़ता दिखाई दे रहा है.
मीट बैन पर एनडीएमसी यानी नार्थ दिल्ली म्युनिसिपल कॉर्पोरेशन के डिप्टी मेयर राजेश लवारिया ने बयान दिया है कि, "नवरात्रि के दौरान दिल्ली में सभी मीट की दुकानें बंद रहें. दिल्ली सरकार ने किसी भी तरह का आदेश पारित किया-2 दिन पहले उन्होंने किसी अन्य धार्मिक समुदाय के त्योहार (रमजान) के लिए 2 घंटे की छुट्टी देने का आदेश पारित किया. मैं मेयर से सभी मीट की दुकानें बंद करने का अनुरोध करूंगा."
SDMC मेयर के बयान के बाद उठा विवाद
पूर्वी दिल्ली नगर निगम के मेयर श्याम सुंदर अग्रवाल ने कहा कि "हम बूचड़खानों को नियमों के साथ लाइसेंस देते हैं कि ; सप्तमी, अष्टमी, नवमी, दीपावली, गुरु नानक जयंती आदि पर इन्हें बंद कर देना चाहिए, इसलिए हमने इन्हें बंद कर दिया. हम अपील करते हैं और फिर से जांच करते हैं ताकि वे बासी मांस न बेचें."
यदि वे निर्देशों का पालन नहीं करते हैं, तो हम उनके लाइसेंस रद्द कर देते हैं ... मैंने हमेशा उनसे हिंदू भावनाओं को ध्यान में रखते हुए मीट की दुकानें बंद रखने की अपील की है. 'झटका' मीट बेचने वाले और कुछ 'हलाल' मीट बेचने वाले अपनी दुकानें बंद रखते हैं.मेयर, ईडीएमसी
आपको बता दें कि चार दिन पहले साउथ दिल्ली निगम के मेयर ने बयान दिया था कि, "नवरात्रि के दौरान, दिल्ली में 99% घर लहसुन और प्याज का इस्तेमाल नहीं करते हैं, इसलिए हमने फैसला किया है कि दक्षिण एमसीडी में कोई मांस की दुकान नहीं खुलेगी, यह फैसला कल से लागू होगा. उल्लंघन करने वालों पर जुर्माना लगेगा."
इस फैसले के बाद एसडीएमसी में आने वाली मीट की दुकानों को बैन करने का आदेश दिया गया था. मंगलवार को अधिकांश दुकानें बंद रहने के बाद बुधवार 6 अप्रैल को दुकानदारों ने फिर से कारोबार शुरु किया.
दिल्ली अल्पसंख्यक आयोग ने गुरुवार 08 मार्च को राष्ट्रीय राजधानी के तीन नगर निगमों के महापौरों और आयुक्तों को कारण बताओ नोटिस जारी कर मांस विक्रेताओं को नवरात्रि के दौरान दुकान बंद करने का आदेश देने के उनके फैसले का स्पष्टीकरण मांगा था.
उत्तर प्रदेश से लेकर दिल्ली तक मीट बैन हकीकत से ज्यादा राजनैतिक बयानों में है. क्विंट की टीम ने बुधवार को दिल्ली में आईएनए और सीआर पार्क में मीट की दुकानों का दौरा किया तो उन्हें खुला पाया था. कुछ यही हाल उत्तर प्रदेश के ज्यादातर जिलों का भी है.
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