मध्यप्रदेश के बड़वानी में जेल से बाहर आईं मेधा पाटकर ने मंगलवार से ‘नर्मदा न्याय यात्रा’ शुरू की है.
सरदार सरोवर बांध की ऊंचाई बढ़ाए जाने से 40 हजार परिवारों के डूब क्षेत्र में आने का खतरा है. इन परिवारों के बेहतर पुनर्वास की मांग को लेकर आंदोलन किया जा रहा है. इससे पहले पाटकर ने आमरण अनशन किया था.
अनशन खत्म करवाने के लिए पुलिस को आगे आना पड़ा था. बाद में उन्हें गिरफ्तार कर लिया गया और 16 दिन तक हिरासत में रखा गया था. जेल से बाहर आने के बाद उन्होंने नर्मदा न्याय यात्रा शुरू की है.
नर्मदा न्याय यात्रा की शुरूआत बड़वानी की धानमंडी से हुई. यात्रा में मेधा पाटकर सरकार की 'जनविरोधी' नीतियों और प्रदर्शनकारियों के साथ 'बर्बर व्यव्हार' को खास तौर पर उठा रही हैं. धानमंडी के बाद यात्रा बड़वानी जेल पहुंची .
यहां उन्होंने निर्दोष लोगों को रिहा करने की मांग की. विरोध स्वरूप आंदोलनकारियों ने इंसाफ के प्रतीक तराजू और मुंह पर काली पट्टी बांधी.
आंदोलन कर रही अहिंसक शक्ति को शासन दमन करके दबाना चाहती है, जबकि हम अमन चाहते हैं. इस आंदोलन में शामिल लोगों को जेल में डाल दिया गया. उन पर हत्या के प्रयास, अपहरण जैसे मामले दर्ज किए गए. सरकार का यह रवैया चिंताजनक है.मेधा पाटकर
मेधा पाटकर ने डूब प्रभावित लोगों को बेहतर तरीके से न बसाए जाने पर भी चिंता व्यक्त की. पाटकर के मुताबिक उन्हें टीन शेड में बसाया जा रहा है.
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