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अनिश्चितकालीन ‘सत्याग्रह’ आंदोलन पर बैठी मेधा की तबीयत बिगड़ी

मेधा ये सत्याग्रह आंदोलन मध्यप्रदेश के बड़वानी जिले के छोटा बड़दा गांव में कर रहीं हैं.

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सामाजिक कार्यकर्ता मेधा पाटकर नर्मदा बांध की वजह से विस्थापित हुए लोगों के समर्थन में 25 अगस्त से अनिश्चिकालीन भूख हड़ताल पर हैं. रविवार को उनकी हालत अचानक बिगड़ गई. मेधा ये सत्याग्रह आंदोलन मध्यप्रदेश के बड़वानी जिले के छोटा बड़दा गांव में कर रहीं हैं.

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इसके अलावा, जहां पर वह सत्याग्रह कर रहीं हैं, वह जगह भी जलमग्न हो गई है, जिसके चलते जिला प्रशासन उनसे आंदोलन खत्म करने के लिए कहा रहा है. छोटा बड़दा गांव के प्रदर्शनकारियों रोहित और हर्षित ने ये सूचना दी है कि मेधा की तबीयत बिगड़ गई है.

हालांकि, बड़वानी जिले के कलेक्टर अमित तोमर ने बताया कि,

मैं उनकी तबीयत के बारे में स्पष्ट रूप से कुछ नहीं बता सकता, क्योंकि वह प्रशासन के लगातार प्रयास के बाद भी डॉक्टरों और मेडिकल दल को अपने मेडिकल जांच कराने की अनुमति नहीं दे रहीं हैं. ’’

उन्होंने कहा, ‘‘मैं रोज उनकी मेडिकल जांच के लिए अधिकारियों को भेज रहा हूं, लेकिन वह अपनी मेडिकल जांच करवाने से बार-बार इनकार कर रहीं हैं.’’

जब उनसे पूछा गया कि क्या जहां पर मेधा ‘‘सत्याग्रह’’ आंदोलन पर बैठीं हैं, वहां पर जलभराव हो गया है, तो इस पर तोमर ने बताया कि सरदार सरोवर बांध में नर्मदा नदी का पानी आने से पूरे इलाके में ही जलभराव है.

आपको बता दें कि मेधा ने 25 अगस्त को बड़वानी से लगभग 25 किलोमीटर दूर छोटा बड़दा गांव में पांच महिलाओं के साथ अनिश्चितकालीन ‘‘सत्याग्रह’’ आंदोलन शुरू किया है. यह गांव सरदार सरोवर बांध के बैकवाटर के जलमग्न क्षेत्र में पड़ता है.

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मालूम हो कि सरदार सरोवर बांध में लगभग 134 मीटर पानी भरने से इसके बैक वाटर से मध्यप्रदेश के बडवानी, झाबुआ, धार, अलीराजपर और खरगोन जिलों तक के गांवों में दिक्कत पैदा हो रही है. इस बांध में पानी भरने का अधिकतम स्तर 138 मीटर तय किया गया है.

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