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केंद्र का बड़ा फैसला, प्रवासी मजदूरों-छात्रों की वापसी को मंजूरी

दिल्ली और कई बड़े शहरों में प्रवासी मजदूर लॉकडाउन के बीच फंसे हैं

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भारत
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कोरोना वायरस के चलते देशभर में पिछले एक महीने से लॉकडाउन है. इस लॉकडाउन में हजारों प्रवासी मजदूर और अलग-अलग राज्यों के छात्र फंसे हुए हैं. जिनकी वापसी को लेकर काफी घमासान मचा हुआ था. लेकिन अब केंद्रीय गृहमंत्रालय ने बड़ा फैसला लिया है. गृहमंत्रालय ने प्रवासी मजदूरों, छात्रों और बाहर से आए टूरिस्ट्स की वापसी की इजाजत दे दी है. हालांकि ये वापसी कुछ शर्तों के साथ होगी.

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केंद्र सरकार की तरफ से जारी नए निर्देशों में कहा गया है कि अलग-अलग राज्यों में कई प्रवासी मजदूर, टूरिस्ट, छात्र और श्रद्धालु फंसे हुए हैं. जिन्हें अब कुछ नियमों के तहत वापस लौटने की इजाजत दी जाती है.

इसके लिए सभी राज्यों और केंद्र शासित प्रदेशों को नोडल अथॉरिटी बनाने का निर्देश दिया गया है. जो अपने राज्य में आने वाले लोगों और वहां से जाने वाले लोगों की हर जानकारी रखेंगे. अगर कोई राज्य अपने नागरिकों को वापस लाना चाहता है तो वो दूसरे राज्य के साथ संपर्क करके और उनकी सहमति से लोगों को ला सकता है.

इन शर्तों के साथ होगी वापसी

  • किसी भी राज्य से दूसरे राज्य में जाने वाले व्यक्ति की अच्छी तरह स्क्रीनिंग की जाए. अगर उस शख्स में किसी भी तरह के लक्षण नजर नहीं आते हैं तो उसे जाने की इजाजत दी जाए.
  • कई लोगों को एक साथ लाने के लिए बसों का इस्तेमाल हो सकता है. लेकिन बसों को पूरी तरह से सैनिटाइज किया जाए और सोशल डिस्टेंसिंग के नियमों का पालन हो.
  • राज्य और केंद्र शासित प्रदेश उसी रूट का इस्तेमाल करेंगे, जिस रूट पर लोगों को आसानी हो. यानी वो रूट जिसमें ज्यादातर पैसेंजर उनकी मंजिल तक पहुंच पाएं.
  • अपने गांव या शहर पहुंचकर लोगों को पहले स्वास्थ्य कर्मियों से सलाह लेनी होगी और होम क्वॉरंटीन में रहना होगा. हालांकि अगर स्वास्थ्य कर्मी उन्हें घर की बजाय किसी अन्य स्थान पर क्वॉरंटीन करने की सलाह देते हैं तो उन्हें वहीं रहना होगा.
  • ये लोग लगातार स्वास्थ्य विभाग की निगरानी में रहेंगे. इसके लिए सभी को अपने मोबाइल फोन में आरोग्य सेतु ऐप डाउनलोड करने के लिए कहा जाएगा. जिससे उनके हेल्थ स्टेटस को मॉनिटर किया जा सके.
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लगातार मांग कर रहे थे राज्य

बता दें कि केंद्र के इस फैसले से पहले कई राज्य लगातार मांग कर रहे थे कि उन्हें लोगों की वापसी को लेकर साफ निर्देश दिए जाएं. वहीं कुछ राज्यों ने केंद्र पर ये भी आरोप लगाया कि यूपी जैसे राज्य ने बिना केंद्र के निर्देश के ही प्रवासियों को वापस ला रहे हैं. लेकिन केंद्र इस पर चुप्पी साधे हुए है. बिहार के सीएम नीतीश कुमार, झारखंड के सीएम हेमंत सोरेन और महाराष्ट्र के सीएम उद्धव ठाकरे ने केंद्र से कहा था कि कोई निर्देश जारी नहीं किए जाते हैं वो अपने लोगों को वापस नहीं ला सकते हैं. उन्होंने कहा था कि केंद्र इस सवाल का जवाब दे कि क्या अन्य राज्य गृहमंत्रालय की गाइडलाइन का उल्लंघन कर रहे हैं या नहीं? इस पूरे कंफ्यूजन के बाद अब केंद्र ने आखिरकार प्रवासी मजदूरों और राज्यों में फंसे अन्य लोगों के लिए निर्देश जारी कर दिए.

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