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मुंबई में लोगों की भीड़ पर राजनीति शुरू, शाह ने की CM ठाकरे से बात

मुंबई के बांद्रा में जमा हुए करीब 2 हजार प्रवासी मजदूर

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कोरोना वायरस के चलते अब देशभर में लॉकडाउन को बढ़ा दिया गया है. पीएम मोदी ने ऐलान किया कि 3 मई तक पूरे देश में लॉकडाउन रहेगा. लेकिन शायद प्रवासी मजदूरों को इस बात का अंदाजा नहीं था कि लॉकडाउन सच में बढ़ाया जाएगा. मुंबई के बांद्रा में सैकड़ों प्रवासी मजदूर अपने-अपने घर जाने के लिए जमा हो गए, जिसके बाद पुलिस ने कड़ी मशक्कत कर उन्हें हटाया. इसे लेकर अब राजनीति भी शुरू हो चुकी है.

इस बीच गृह मंत्री शाह ने CM ठाकरे से कहा कि इस तरह की घटनाएं कोरोना के खिलाफ देश की लड़ाई को कमजोर करती हैं.

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पहले आपको समझाते हैं कि कैसे सैकड़ों मजदूर बांद्रा रेलवे स्टेशन तक पहुंच गए. दरअसल 24 मार्च को लागू हुआ लॉकडाउन 14 अप्रैल को खत्म होना था.

ऐसे में महाराष्ट्र के प्रवासी मजदूरों को लगा कि मौका मिलते ही वो अपने घरो को निकल जाएंगे. इसी आस में सभी प्रवासी मजदूर बांद्रा स्टेशन पहुंच गए. लॉकडाउन के बीच सैकड़ों की भीड़ को देख पुलिस के हाथ पांव फूले और तुरंत लोगों को वहां से हटाया गया.

आदित्य बोले- घर जाने के लिए परेशान हैं मजदूर

बांद्रा में सैकड़ों की भीड़ को देखते हुए महाराष्ट्र सरकार में मंत्री और सीएम उद्धव ठाकरे के बेटे आदित्य ठाकरे ने केंद्र सरकार पर जमकर निशाना साधा. आदित्य ने केंद्र पर आरोप लगाया कि उसने मजदूरों को लेकर कोई बड़ा फैसला नहीं लिया. आदित्य ठाकरे ने ट्विटर पर लिखा,

“बांद्रा स्टेशन की मौजूदा हालत और सूरत में मची भगदड़ केंद्र सरकार की नाकामी की वजह से है. जो प्रवासी मजदूरों को उनके घर भेजने की व्यवस्था नहीं कर पाई. प्रवासी मजदूर भोजन या आश्रय नहीं चाहते हैं, वो घर वापस जाना चाहते हैं.”

आदित्य ठाकरे के अलावा कांग्रेस नेता संजय निरूपम ने भी ट्विटर पर कहा कि आखिर कब तक लोग दड़बे में बंद रहेंगे. उन्होंने कहा कि सरकारी राहत सिर्फ कागजी आंकड़े हैं. निरूपम ने लिखा,

"बांद्रा में जो हो रहा है, वो होना ही था. क्योंकि उन्हें खाने को मिल नहीं रहा है. गांव लौटने से मना किया जा रहा है. आखिर कबतक दड़बे में बंद रहेंगे ?सरकारी राहत सिर्फ कागजी आंकड़े हैं. कोई भी सरकार कितने लोगों को मुफ्त खाना खिला सकती है और कब तक? क्या कोई और विकल्प नहीं है?"

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