मध्य प्रदेश के बड़वानी जिले में MP-महाराष्ट्र सीमा पर हजारों प्रवासी मजदूर जमा हो गए. दरअसल महाराष्ट्र सरकार ने इन्हें लाकर मध्य प्रदेश के बॉर्डर तक लाकर छोड़ दिया. इसके बाद मजदूरों की इस भीड़ ने अचानक पथराव कर दिया. प्रवासी मजदूरों का कहना है कि बड़वानी पहुंचने के बाद उनके लिए मूलभूत सुविधाएं नहीं मिलीं और घर पहुंचने के लिए सरकार की तरफ से बस की व्यवस्था नहीं की गई.
मध्य प्रदेश और महाराष्ट्र राज्य के बीच सामंजस्य नहीं होने के कारण लगातार मजदूर सीमा पर भारी तादाद में पहुंच रहे हैं और अव्यवस्था होने पर हंगामा कर रहे हैं.
अगर दोनों ही राज्यों के बीच में मजदूरों के सीमा पर पहुंचने और MP से आगे भेजने को लेकर तालमेल बैठ जाता है तो सीमा पर उतने ही मजदूर प्रतिदिन पहुंचेंगे जितनों की उनके गंतव्य स्थान तक जाने के लिए बसों की व्यवस्था है की गई हो. लेकिन ऐसा नहीं हो पा रहा है और जितने मजदूरों के लिए तैयारी की गई थी उससे ज्यादा मजदूर आ गए हैं.
महाराष्ट्र के पुणे से आए प्रवासी मजदूर शैलेश त्रिपाठी अव्यवस्थाओं की वजह से हो रही परेशानी के बारे में बताते हैं कि-
मध्य प्रदेश महाराष्ट्र बॉर्डर पर किसी भी प्रकार की व्यवस्था मजदूरों के लिए नहीं की गई है यहां पर न तो भोजन की उचित व्यवस्था मिल पा रही है और न ही पानी की उन्होंने आरोप लगाया कि गर्भवती महिलाएं छोटे-छोटे मासूम बच्चे और बुजुर्ग परेशान हो रहे हैं कई घंटों से बॉर्डर पर बैठे हैं लेकिन अब तक बसों की व्यवस्था भी नहीं हुई है.उनके साथ सतना अनूपपुर रीवा सहित कई अन्य राज्यों के लोग भी फंसे हुए हैं. जिनकी कोई उचित व्यवस्था नहीं की गई हैशैलेश त्रिपाठी, प्रवासी मजदूर
कलेक्टर की सफाई
मामले में बड़वानी कलेक्टर अमित तोमर ने कहा कि मजदूरों के लिए समुचित व्यवस्था प्रशासन के द्वारा की गई है आज भी 135 बसों के माध्यम से हजारों यात्रियों को उनके घरों के लिए रवाना किया गया है साथ ही अन्य मजदूरों के लिए भी जल्द ही बसों की व्यवस्था की जाएगी. सोशल डिस्टेंसिंग को लेकर भी कहा कि हम व्यवस्थाएं बनाने में लगे हुए हैं और कोशिश कर रहे हैं
पथराव को लेकर कलेक्टर ने कहा कि अपनी बसें रवाना होने के बाद उनके मन में आशंका है कि प्रशासन और बसों की व्यवस्था नहीं करेगा इसी के चलते हंगामा हुआ लेकिन समझाने के बाद हंगामा शांत हो गया है.
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