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सुषमा, जंयत,प्रभु,राठौड़ समेत 35 नाम नई कैबिनेट में इसलिए नहीं?

पिछली कैबिनेट के कई नाम अलग-अलग वजहों से इस बार की कैबिनेट में नहीं 

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भारत
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मोदी कैबिनेट में इस बार कई नए चेहरे शामिल किए गए हैं तो कई पुराने दिग्गजों के नाम नहीं हैं. एस जयशंकर और अर्जुन मुंडा जैसे नए चेहरे शामिल हुए तो सुषमा स्वराज, अरुण जेटली, सुरेश प्रभु, उमा भारती, मेनका गांधी, जेपी नड्डा, अनंत गीते, चौधरी बीरेंद्र सिंह, जुएल उरांव, महेश शर्मा और राधामोहन सिंह

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पिछली सरकार के मंत्री जो इस बार कैबिनेट में नहीं

  1. सुषमा स्वराज
  2. अरुण जेटली
  3. सुरेश प्रभु
  4. उमा भारती
  5. मेनका गांधी
  6. जेपी नड्डा
  7. अनंत गीते
  8. चौधरी बीरेंद्र सिंह
  9. जुएल उरांव
  10. राधामोहन सिंह
  11. अनुप्रिया पटेल
  12. अनंत हेगड़े
  13. महेश शर्मा
  14. मनोज सिन्हा
  15. केजे अल्फोंस
  16. विजय गोयल
  17. एसएस आहलूवालिया
  18. राधाकृष्णन जी
  19. रामकृपाल यादव
  20. विष्णु देव
  21. हरिभाई पार्थी चौधरी
  22. राजन गोहेन
  23. जसवंत सिंह सुमन भाई
  24. शिवप्रताप शुक्ला
  25. सुदर्शन भगत
  26. हंसराज आहेर
  27. जयंत सिन्हा
  28. विजय सांपला
  29. अजय टम्टा
  30. कृष्णा राज
  31. सीआर चौधरी
  32. पीपी चौधरी
  33. डॉ सत्यपाल सिंह
  34. सुभाष भामरे
  35. राज्यवर्धन सिंह राठौड़

कुछ बड़े नाम कैबिनेट में क्यों नहीं

अरुण जेटली का नाम कैबिनेट में नहीं है क्योंकि उन्होंने खुद पीएम को चिट्ठी लिखकर अपने लिए वक्त मांगा था. उनकी सेहत ठीक नहीं है, लिहाजा वो आराम करना चाहते हैं.

जेपी नड्डा मोदी 2.0 कैबिनेट में नहीं हैं क्योंकि चर्चा है कि उन्हें बीजेपी का राष्ट्रीय अध्यक्ष बनाया जा सकता है. अब चूंकि अमित शाह कैबिनेट में शामिल कर लिए गए हैं तो नड्डा के अध्यक्ष पद पर जाने की पूरी संभावना बन गई है

सुषमा स्वराज भी नए मंत्रिमंडल में नहीं हैं. शपथ ग्रहण से पहले खबर आई कि वो समारोह में नहीं जा रही हैं. सुषमा स्वराज पिछली सरकार में विदेश मंत्री थीं, लेकिन खराब सेहत के कारण उन्हें भी चुनौतियों का सामना करना पड़ रहा था. पूर्व विदेश सचिव एस जयशंकर की आखिरी समय पर कैबिनेट में एंट्री का मतलब सुषमा स्वराज की अनुपस्थिति से जोड़ कर देखा जा र हा है. जयशंकर को कैबिनेट मंत्री बनाया गया है. पूरी संभावना है कि उन्हें विदेश मंत्री की जिम्मेदारी सौंपी जा सकती है.

कुछ नाम कैबिनेट में नहीं, ये हो सकती है वजह

राज्यवर्धन राठौड़ और अनंत हेगड़े का नाम नई कैबिनेट में नहीं होना चौंकाता है लेकिन हो सकता है कि इन्हें कैबिनेट विस्तार में जगह मिल जाए या फिर राज्य में जिम्मेदारी मिल सकती है. सुरेश प्रभु, राधामोहन सिंह जैसे कुछ नाम इसलिए नहीं हैं क्योंकि उनके परफॉर्मेंस को लेकर सवाल उठे. मेनका गांधी जैसे कुछ नाम इसलिए गायब हैं क्योंकि पार्टी से उनके मतभेद खुलकर सामने आए. जयंत सिन्हा को मौका नहीं दिए जाने की वजह उनके पिता की बीजेपी से खुली लड़ाई हो सकती है. जुएल उरांव जैसे कुछ नेता आगे के चुनावों में जाति समीकरण के हिसाब से फिट नहीं बैठते तो उनकी जगह सारंगी जैसे नेताओं को मौका दिया गया है.

कुछ हार गए चुनाव

पूर्व मंत्री अनंत गीते, मनोज सिन्हा, हंसराज अहीर चुनाव हार चुके हैं, इस वजह से इन लोगों को कैबिनेट में नहीं लिया गया.

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