स्टार्टअप की दुनिया के लोग अचानक दो सरकारी महकमों के धावों से चौंक गए हैं. इनकम टैक्स और कॉरपोरेट मंत्रालय, दोनों ने स्टार्टअप और उनके निवेशकों से नोटिस के जरिए शेयर के भाव, कमाई, किसने निवेश किया, कहां से पैसा आया जैसे सवाल पूछ डाले हैं. 2000 स्टार्टअप को कॉरपोरेट मंत्रालय का नोटिस भेजना अभूतपूर्व है.
दूसरे सरकारी महकमे इनकम टैक्स ने तो और गजब कर दिया है. उसने स्टार्टअप में निवेश करने वाले निवेशकों को ही नोटिस थमा दिया है. क्विंट के हाथ ऐसा ही एक नोटिस लगा है, जिसमें स्टार्टअप में निवेश करने वाले इन्वेस्टर के सामने सवालों का अंबार लगा दिया.
इनकम टैक्स नोटिस में पूछे गए सवाल
- शेयरों की कीमत किस आधार पर तय की गई? इसे तय करने के लिए जो फॉर्मूला अपनाया गया, उसके दस्तावेज भी दें
- आपने कंपनी में शेयर खरीदने एप्लीकेशन फॉर्म भरा है, उसकी कॉपी दें
- स्टार्टअप X ने आपके निवेश को आकर्षित करने के लिए क्या-क्या कोशिशें कीं? डिटेल में बताएं
- आपने स्टार्टअप X में जितना निवेश किया है, दस्तावेज समेत उसकी कमाई का सोर्स बताएं
- अपने कैपिटल अकाउंट के साथ दो साल के इनकम टैक्स रिटर्न (FY16, FY17) की कॉपी दें
- अपने बैंक स्टेटमेंट की पूरी कॉपी दें, जिसमें स्टार्टअप के शेयर खरीदने के लिए सौंपी गई रकम का ब्योरा हो
- स्टार्टअप में आपने जो निवेश किया, उसमें अब तक आपको कितनी कमाई हुई?
- अपनी आय के सोर्स की जानकारी दें
इनकम टैक्स का चक्रव्यूह
इनकम टैक्स विभाग स्टार्टअप को दोनों तरफ से घेर रहा है. पहले स्टार्टअप से हिस्सेदारी बेचने में हुई कमाई पर टैक्स नोटिस भेजा गया, अब निवेशकों को, जिससे उनका मिलान किया जाए.
जवाब देने के लिए सिर्फ 8 दिन
इससे भी बड़ी हैरानी की बात है कि इस नोटिस का जवाब देने के लिए इनकम टैक्स ने निवेशकों को सिर्फ 8 दिन का वक्त दिया है. 12 नवंबर को नोटिस दिया गया और 20 नवंबर को दस्तावेज समेत जवाब सौंपने को कहा गया है.
दो साल पुरानी फाइल नए तरह से खोली
इनकम टैक्स विभाग ने दो साल पहले स्टार्टअप को नोटिस भेजा था कि आपके जो शेयर प्रीमियम पर बिके हैं, उस कमाई का 33 परसेंट टैक्स दीजिए. स्टार्टअप दो साल से इसी मुकदमेबाजी में फंसे हैं.
स्टार्टअप को कॉरपोरेट मंत्रालय का नोटिस
कॉरपोरेट मंत्रालय (MCA) इस नोटिस के चक्कर में क्यों कूदा, ये समझ के बाहर है.
इकनॉमिक टाइम्स के मुताबिक, MCA ने 2013 के बाद पैसा जुटाने वाले 2000 स्टार्टअप को नोटिस भेजे हैं. इनमें पूछा गया है कि आपके स्टार्टअप में ऐसी क्या खूबी दिखी कि निवेशकों ने हिस्सेदारी के लिए मनमाना निवेश कर दिया.
नोटिस क्यों भेजा गया
इन नोटिस देखकर लगता है कि कॉरपोरेट मंत्रालय को ऊंचे वैल्युएशन से दिक्कत है. MCA का फोकस उन स्टार्टअप की तरफ है, पैसा जुटाने के बाद जिनका वैल्युएशन कम हो गया.
नोटिस पिछले 45 दिनों में भेजे गए हैं. इनमें ये भी पूछा गया है कि क्या इन स्टार्टअप ने सरकार की किसी स्कीम में छूट मांगी है.
कॉरपोरेट मंत्रालय के नोटिस पर सवाल
- इतने ऊंचे भाव पर शेयर बेचने को कैसे वाजिब ठहराएंगे?
- इतने ऊंचे प्रीमियम की वजह क्या है?
- क्या सरकार की किसी स्कीम में छूट ली?
- क्या आपके स्टार्टअप को किसी तरह की छूट हासिल है?
- शेयर का प्रीमियम कैसे कैलकुलेट होता है?
- फंड कैसे जुटाया डिटेल बताएं.
दो साल पहले इनकम टैक्स विभाग का नोटिस थोड़ा अलग था. तब स्टार्टअप में सिर्फ एंजेल इन्वेस्टर के निवेश पर ही सवाल पूछे गए थे. लेकिन MCA ने दायरा बढ़ा दिया है, जिसमें सभी तरह के निवेश, वेंचर कैपिटल और प्राइवेट इक्विटी ट्रांजैक्शन के बारे में पूछा गया है.
टैक्स अधिकारियों को लगता है कि स्टार्टअप का वैल्युएशन अंतिम दौर के निवेश से तय होना चाहिए. अगर अंतिम दौर का निवेश पहले दौर के निवेश से कम है तो टैक्स बनता है.
इनकम टैक्स और कॉरपोरेट मंत्रालय के नोटिस में टैक्स या पेनाल्टी की चेतावनी नहीं दी गई है. सिर्फ वैल्युएशन पर सवाल पूछे गए हैं.
बेहद व्यस्त सरकार के दो डिपार्टमेंट ने अचानक अपने दूसरे काम छोड़कर स्टार्टअप पर फोकस क्यों बढ़ा दिया है, वो हैरान करता है. वो इसलिए, क्योंकि मोदी सरकार ने शुरू से वादा और दावा किया है कि नए स्टार्टअप को जरूरत से ज्यादा सहूलियत देंगे.
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