पत्रकार प्रिया रमानी ने पूर्व केंद्रीय मंत्री एमजे अकबर द्वारा दायर आपराधिक मानहानि मामले में बरी होने के बाद इसे 'महिलाओं और मीटू आंदोलन' के लिए एक जीत बताया है. उन्होंने कहा कि अदालत के सामने सत्य को प्रमाणित होते देख बहुत अच्छा लगा. दरअसल मीटू आंदोलन के तत्वाधान में रमानी ने 2018 में पूर्व केंद्रीय मंत्री एमजे अकबर पर यौन दुर्व्यवहार का आरोप लगाया था, जिसके बाद अकबर ने उनके खिलाफ आपराधिक मानहानि का मामला दर्ज करवाया था और केंद्रीय मंत्री के पद से इस्तीफा दे दिया था.
'महिला को दशकों बाद भी शिकायत रखने का अधिकार'
अतिरिक्त मुख्य मेट्रोपोलिटन मजिस्ट्रेट रवींद्र कुमार पांडे ने रमानी को बरी करते हुए कहा कि वास्तविक घटना के दशकों बाद भी एक महिला को अपनी शिकायतें रखने का अधिकार है और प्रतिष्ठा का अधिकार, गरिमा के अधिकार की कीमत पर सुरक्षित नहीं रह सकता.
फैसले की घोषणा के बाद उन्होंने कहा, "एक शक्तिशाली व्यक्ति द्वारा अदालत में ले जाने की वजह से अत्यधिक चिंता, तनाव और भय था. मेरी प्रतिष्ठा उनकी तुलना में बहुत बेहतर है और हर कोई मुझ पर विश्वास करता है."
फैसला सुनाते हुए, अदालत ने आगे कहा कि महिलाओं को मानहानि की शिकायत के बहाने यौन शोषण के खिलाफ आवाज उठाने के लिए दंडित नहीं किया जा सकता है.
(इनपुट: IANS)
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