मॉब लिंचिंग की घटनाओं को रोकने के लिए सरकार ने महीने भर के अंदर दूसरी एडवाइजरी जारी की है. केंद्र ने सभी राज्यों से जिले-जिले में कमर कसने को कहा है. राज्य सरकारों से हर जिले में पुलिस अधीक्षक स्तर के अधिकारी को नियुक्त करने, खुफिया जानकारी इकट्ठा करने के लिए स्पेशल टास्क फोर्स बनाने और सोशल मीडिया की सामाग्री पर करीबी नजर रखने को कहा ताकि बच्चा चोरी या गो तस्करी के संदेह में किसी पर हमला नहीं किया जा सके.
'ऐसे अधिकारी के खिलाफ होगी कड़ी कार्रवाई'
गृह मंत्रालय ने कहा कि किसी भी अधिकारी के खिलाफ लापरवाही की शिकायत पाए जाने पर कड़ी कार्रवाई होनी चाहिए. मंत्रालय का कहना है कि कोई पुलिस अधिकारी या जिला प्रशासन का कोई अधिकारी भीड़ की हिंसा और हत्या की किसी घटना को रोकने, जांच करने में मदद के किसी निर्देश का पालन करने में नाकाम रहा है तो इसे जानबूझकर लापरवाही माना जाना चाहिए.
सुप्रीम कोर्ट के 17 जुलाई के निर्देश के बाद राज्यों और केंद्र शासित प्रदेशों को ये परामर्श भेजा गया है. राज्यों और केंद्र शासित प्रदेशों के मुख्य सचिवों और डीजीपी को भेजे गए परामर्श में कहा गया , ‘‘ बच्चा चोरी, चोरी, मवेशी तस्करी जैसी बिना सत्यापन की खबरों और कई प्रकार की अफवाहों से देश के कुछ भागों में हिंसा की घटनाएं गंभीर चिंता का विषय हैं. ''
एक महीने के भीतर दूसरी एडवाइजरी
इसमें कहा गया, ‘‘सभी राज्य सरकारों, केंद्र शासित प्रदेश प्रशासनों और उनकी एजेंसियों से सुप्रीम कोर्ट के निर्देशों को लागू करने का आग्रह किया जाता है. इस मामले में कार्रवाई पर विस्तृत रिपोर्ट जल्द से जल्द मंत्रालय को भेजी जाए. '' एक महीने के भीतर इस मुद्दे पर ये दूसरा एडवाइजरी है. ये कदम ऐसे समय उठाया गया जब मॉब लिंचिंग को लेकर केंद्र ने एक उच्चस्तरीय कमेटी बनाई है. गृह सचिव की अध्यक्षता में बनी ये कमेटी 4 हफ्ते के भीतर सीधे पीएम को रिपोर्ट सौंपेगी.
बता दें कि पिछले कुछ महीनों में मॉब लिंचिंग की कई घटनाओं के सामने आने बाद सरकार की खूब किरकिरी हुई है. हालिया मामला राजस्थान के अलवर का है, जहां कथित गोरक्षकों की भीड़ ने रकबर खान नाम के एक शख्स की पीट-पीटकर हत्या कर दी थी.
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