कश्मीर में दस हजार अतिरिक्त फोर्स की तैनाती के बाद से मोदी सरकार के 'मिशन कश्मीर' की आहट तेज होती जा रही है. अब कश्मीर के सभी मस्जिदों और उनके प्रबंधकों की लिस्ट मांगी गई है. इसके बाद कयास और तेज हो गए कि आने वाले समय में जम्मू-कश्मीर के विशेष दर्जे से जुड़ा कोई बड़ा फैसला लिया जा सकता है.
कश्मीर की विपक्षी पार्टियों को आशंका है कि केंद्र सरकार राज्य को विशेष दर्जा देने वाले आर्टिकल 35A को लेकर कोई बड़ा फैसला ले सकती है. घाटी में अनिश्चितता का माहौल बना हुआ है. नेशनल कॉन्फ्रेंस और पीडीपी ने केंद्र सरकार से पूरी स्थिति साफ करने की मांग की है. नेशनल कॉन्फ्रेंस ने इस मुद्दे को लोकसभा में उठाने की बात कही है और पीएम मोदी से भी मुलाकात का वक्त मांगा है.
पीपुल्स डेमोक्रेटिक पार्टी (पीडीपी) की अध्यक्ष महबूबा मुफ्ती ने भी संविधान के आर्टिकल 35A को रद्द करने को लेकर केंद्र को चेतावनी देते हुए कह दिया है कि राज्य के विशेष दर्जे या पहचान से किसी तरह की छेड़छाड़ बारुद को आग दिखाने जैसा होगा. उन्होंने कहा, “अगर कोई हाथ आर्टिकल 35A को छूने की कोशिश करेगा तो सिर्फ हाथ ही नहीं बल्कि पूरा शरीर खाक हो जाएगा.”
महबूबा ने मांगा अब्दुल्ला का साथ
सूबे में आर्टिकल 35A को लेकर घबराहट है कि महबूबा मुफ्ती ने इस मामले पर अपने धुर राजनीतिक विरोधी फारूक अब्दुल्ला से साथ देने का आग्रह किया है. मुफ्ती ने प्रदेश के विशेष दर्जे की रक्षा के लिए अब्दुल्ला से सर्वदलीय बैठक बुलाने का आग्रह किया है. उन्होंने कहा, "हालिया घटनाक्रम से जम्मू-कश्मीर के लोगों में घबराहट पैदा हो गई है. एकजुटता के साथ जवाब देना वक्त की जरूरत है. हम कश्मीर के लोगों को एकजुट होने की जरूरत है."
हालांकि, जम्मू-कश्मीर के राज्याधिकारी, सदरे रियासत और पहले राज्यपाल रहे डॉ. कर्ण सिंह का कहना है कि आर्टिकल 370 और आर्टिकल 35A दोनों अस्तित्व में आए और उनको जम्मू-कश्मीर संविधान सभा की मंजूरी के बिना बदला नहीं जा सकता है.
घाटी के लोगों के बीच आशंकाओं का दौर कैसे शुरू हुआ
- राष्ट्रीय सुरक्षा सलाहकार अजित डोभाल के जम्मू-कश्मीर दौरे के बाद राज्य में 10 हजार अतिरिक्त फोर्स की तैनाती ने दिल्ली से लेकर श्रीनगर तक आशंकाओं और अफवाहों का दौर शुरू हुआ
- राज्य में अमरनाथ यात्रा को लेकर अर्द्धसैनिक बलों के 40 हजार जवान पहले ही तैनात थे और अब 10 हजार अतिरिक्त फोर्स की तैनाती की खबरों ने घाटी के लोगों के लिए चिंता की लहर पैदा कर दी
- 27 जुलाई को बडगाम में रेलवे सुरक्षा बल के एक अधिकारी ने अपने कर्मचारियों से कहा कि वो कम से कम चार महीने के लिए अपने घरों में राशन का भंडारण कर लें. हालांकि बाद में रेलवे ने कहा कि इस बात का कोई आधार नहीं है.
- 28 जुलाई की रात श्रीनगर के वरिष्ठ पुलिस अधीक्षक ने श्रीनगर के 5 जोनल पुलिस अधीक्षकों को आदेश दिया कि मस्जिदों और प्रबंध समितियों के बारे में ब्योरा ऑफिस को तत्काल उपलब्ध कराएं.
- आर्टिकल 35A निरस्त होने के बाद प्रदेश में अनिश्चितता की स्थिति पैदा होने की आशंका से लोग राशन, दवा, दाल, वाहनों के लिए तेल और अन्य जरूरत की चीजें इकट्ठा करने लगे हैं.
- हालांकि राज्यपाल के प्रशासन की ओर से लोगों को इन अफवाहों पर ध्यान नहीं देने को कहा जा रहा है जबकि नई दिल्ली या श्रीनगर की ओर इस प्रावधान के संबंध में कोई ठोस बात नहीं कही जा रही है
बता दें, आर्टिकल 370 जम्मू-कश्मीर को स्पेशल स्टेटस देता है जबकि आर्टिकल 35A जम्मू कश्मीर के 'स्थायी निवासियों' को विशेष सुविधा देता है. साथ ही ये आर्टिकल यह भी परिभाषित करता है कि राज्य के 'स्थायी निवासी' कौन हैं.
(क्विंट हिन्दी, हर मुद्दे पर बनता आपकी आवाज, करता है सवाल. आज ही मेंबर बनें और हमारी पत्रकारिता को आकार देने में सक्रिय भूमिका निभाएं.)