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राफेल सौदा : सरकार ने SC में विमान खरीद प्रोसेस की जानकारी दी

सुप्रीम कोर्ट ने केंद्र सरकार से मांगी थी राफेल डील को लेकर जानकारी

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भारत
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सुप्रीम कोर्ट में राफेल सौदे से जुड़े अपने जवाब में केंद्र ने कहा है कि इन विमानों को खरीदने के लिए 2013 की रक्षा खरीद प्रक्रिया का पालन किया गया है. सुप्रीम कोर्ट में सौंपे गए केंद्र के दस्तावेज में कहा गया है कि खरीद प्रक्रिया में निर्धारित दिशानिर्देशों का पूरी तरह पालन किया गया है और विमान के लिए रक्षा अधिग्रहण परिषद की मंजूरी भी ली गई.

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एक साल तक फ्रांस से बातचीत के बाद खरीदा राफेल

दस्तावेज के मुताबिक, इस संबंध में बातचीत के लिए भारतीय वार्ताकार दल का गठन किया गया जिसने करीब एक साल तक फ्रांस के साथ बातचीत की और अंतर-सरकारी समझौते पर हस्ताक्षर करने से पहले सक्षम वित्तीय प्राधिकार मंत्रिमंडल की सुरक्षा मामलों की समिति की मंजूरी भी ली गई.

सुप्रीम कोर्ट में 31 अक्टूबर के आदेश के अनुसार ही यह दस्तावेज याचिकाकर्ताओं को सौंपा गया. आदेश में शीर्ष अदालत ने कहा था कि इन विमानों की खरीद के लिए निर्णय लेने की प्रक्रिया में उठाए गए कदमों समेत सारा ब्योरा जिसे कानून तरीके से सार्वजनिक दायरे में लाया जा सकता है, इस मामलें में याचिका दायर करने वाले पक्षों को मुहैया कराया जाए.

कोर्ट ने यह भी कहा था कि 36 राफेल लड़ाकू विमानों को फ्रांस से खरीदने की कीमतों का विवरण भी दस दिन के भीतर सीलबंद लिफाफे में उसके सामने पेश किया जाए. शीर्ष अदालत ने केंद्र से साफ कहा था कि यदि कीमतों का विवरण ‘विशेष' है और इसे अदालत के साथ साझा नहीं किया तो इस बारे में हलफनामा दाखिल करना चाहिए.

सुप्रीम कोर्ट ने मांगी थी केंद्र सरकार से जानकारी

राफेल डील को लेकर मोदी सरकार ने सुप्रीम कोर्ट को हलफनामा सौंपा है. इस हलफनामे में सरकार ने राफेल डील को लेकर जानकारियां मुहैया कराई हैं.

राफेल डील को लेकर सरकार और विपक्ष के बीच छिड़े विवाद के बीच सुप्रीम कोर्ट ने केंद्र सरकार से राफेल जेट की खरीद प्रक्रिया की पूरी जानकारी मांगी थी. कोर्ट ने सरकार से सीलबंद लिफाफे में उस फैसले की पूरी प्रक्रिया की जानकारी देने को कहा था, जिसके बाद राफेल जेट की खरीद को लेकर फ्रांस की कंपनी दसॉ एविएशन से डील की गई.

सुप्रीम कोर्ट ने यह भी कहा था कि उसे राफेल की कीमत और डील के तकनीकी विवरणों से जुड़ी जानकारी नहीं चाहिए.

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कोर्ट ने कहा था- कीमत और तकनीकी डिटेल देने की जरूरत नहीं

राफेल से संबंधित याचिका पर सुनवाई करते हुए कोर्ट ने केंद्र सरकार से फैसले की प्रक्रिया का ब्योरा सीलबंद लिफाफे में सौंपने को कहा था. सीजेआई रंजन गोगोई, जस्टिस एस के कौल और जस्टिस केएम जोसेफ की बेंच ने कहा कि वह डिफेंस फोर्सेज के लिए राफेल जेट की उपयोगिता पर कोई राय व्यक्त नहीं कर रहे हैं. कोर्ट ने कहा कि हम सरकार को कोई नोटिस जारी नहीं कर रहे हैं, हम केवल फैसला लेने की प्रक्रिया की वैधता से संतुष्ट होना चाहते हैं.'

कोर्ट ने साफ किया कि उसे कीमत और डील के तकनीकी विवरणों से जुड़ी जानकारी नहीं चाहिए.

राफेल सौदे की जांच के लिए वकील मनोहर लाल शर्मा और फिर वकील विनीत ढांडा ने याचिकाएं दायर कीं. इसके बाद, आप पार्टी के सांसद संजय सिंह ने अलग याचिका दायर की. पूर्व केंद्रीय मंत्री यशवंत सिन्हा, अरुण शौरी तथा अधिवक्ता प्रशांत भूषण ने भी इस मामले में एक संयुक्त याचिका दायर की है.

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