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मोदी कैबिनेट 3.0 में किसकी चौंकाने वाली एंट्री, स्मृति-अनुराग समेत ये नेता आउट

नए मोदी मंत्रिमंडल में कौन-कौन नए सदस्य शामिल हुए और कौन लोग कैबिनेट से बाहर रह गए? आगे पढ़ें.

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भारत
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नरेंद्र मोदी (Narendra Modi) ने 2024 के लोकसभा चुनाव के नतीजे घोषित होने के पांच दिन बाद रविवार, 9 जून को तीसरी बार भारत के प्रधानमंत्री पद की शपथ ली. अमित शाह, राजनाथ सिंह और नितिन गडकरी जैसे बीजेपी (BJP) के अन्य वरिष्ठ नेताओं ने भी लगातार तीसरी बार मंत्री पद की शपथ ली. नए मंत्रिपरिषद में 30 कैबिनेट मंत्री, पांच राज्य मंत्री और 36 राज्य मंत्री शामिल हैं.

हालांकि, जैसे-जैसे नया मोदी मंत्रिमंडल आकार ले रहा है, कुछ चौंकाने वाली एंट्री हुई और कुछ हाई प्रोफाइल लोग नए कैबिनेट में अपनी जगह फिर से नहीं बना पाए.

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किन नए चेहरों को किया शामिल 

1. जेपी नड्डा: बीजेपी के वर्तमान अध्यक्ष जगत प्रकाश नड्डा ने 2014 में पहली मोदी कैबिनेट में स्वास्थ्य मंत्री के रूप में काम किया. 2024 के लोकसभा चुनावों में बीजेपी के प्रदर्शन को देखते हुए नड्डा का कैबिनेट मंत्री के रूप में शपथ लेना अचंभे की बात है. अपने पूर्ववर्ती अमित शाह के विपरीत, जिनके नेतृत्व में बीजेपी ने 543 लोकसभा सीटों में से 303 सीटें जीती थीं, नड्डा के नेतृत्व में बीजेपी अपने दम पर आधी सीटें भी नहीं जीत पाई. हालांकि, इससे गठबंधन सहयोगियों को हाथ पैर मारने के लिए थोड़ी जगह मिली और विपक्ष को नई जिंदगी भी.

2. मनोहर लाल खट्टर: हरियाणा के पूर्व मुख्यमंत्री मनोहर लाल खट्टर ने भी कैबिनेट मंत्री पद की शपथ ली. अप्रैल में हरियाणा में अचानक हुए फेरबदल में खट्टर ने मुख्यमंत्री पद से इस्तीफा दे दिया और उनकी जगह नायब सिंह सैनी को नियुक्त किया गया. कहा जा रहा है कि खट्टर के नेतृत्व वाली राज्य सरकार के खिलाफ चल रही सत्ता विरोधी लहर के कारण हाल ही में हुए आम चुनाव में बीजेपी को दस में से पांच सीटों पर हार का सामना करना पड़ा.

3. जुएल ओराम: ओडिशा में बीजेपी के सबसे बड़े नेताओं में से एक, ओराम ने 1998 में पहली बार मंत्री के रूप में शपथ ली थी. उस वक्त तत्कालीन प्रधानमंत्री अटल बिहारी वाजपेयी ने ओराम को जनजातीय मामलों का मंत्रालय सौंपा था. उन्होंने 2014 में पहली मोदी सरकार में भी जनजातीय मंत्री के रूप में काम किया. वर्तमान में, ओराम ओडिशा में बीजेपी की राज्य इकाई के अध्यक्ष हैं. यहां पार्टी ने हाल ही में हुए लोकसभा और विधानसभा चुनावों में बहुमत हासिल की है.

4. ललन सिंह: राजीव रंजन सिंह (ललन सिंह), बिहार के मुंगेर से जेडीयू सांसद हैं. सीएम नीतीश कुमार के करीबी सहयोगी, ललन सिंह का केंद्रीय कैबिनेट मंत्री के रूप में यह पहला कार्यकाल है.

5. राम मोहन नायडू: शपथ लेने के बाद तेलुगू देशम पार्टी के किंजरापु राम मोहन नायडू भारत के सबसे युवा केंद्रीय कैबिनेट मंत्री बन गए. वे टीडीपी के राष्ट्रीय महासचिव और लोकसभा में पार्टी के नेता भी हैं.

6. एचडी कुमारस्वामी: कर्नाटक विधानसभा में विपक्ष के पूर्व नेता, जेडीएस नेता कुमारस्वामी 2006-2007 और 2018-2019 तक दो बार कर्नाटक के मुख्यमंत्री रह चुके हैं.

7. सीआर पाटिल: गुजरात बीजेपी प्रमुख सीआर पाटिल ने पहली बार कैबिनेट मंत्री के रूप में शपथ ली. उनके नेतृत्व में, 2022 में बीजेपी ने लगातार सातवीं बार चुनाव जीता और 182 में से 156 सीटें जीतकर रिकॉर्ड बनाया. यह गुजरात के इतिहास में किसी भी राजनीतिक दल द्वारा जीती गई सबसे अधिक सीटें हैं.

8. शिवराज सिंह चौहान: मध्य प्रदेश के सबसे लंबे समय तक मुख्यमंत्री रहने वाले वरिष्ठ बीजेपी नेता शिवराज सिंह चौहान ने नए मंत्रिमंडल में मंत्री पद की शपथ ली. 2023 के मध्य प्रदेश विधानसभा चुनावों में पार्टी को भारी जीत दिलाने के बावजूद उन्हें मुख्यमंत्री नहीं चुना गया था, इसलिए इस बार उन्हें मंत्री पद मिलने की उम्मीद थी.

9. रवनीत बिट्टू: हाल ही में कांग्रेस से बीजेपी में शामिल हुए बिट्टू को राज्य मंत्री बनाया गया है. उनका शामिल होना इसलिए भी चौंकाने वाला है क्योंकि हाल ही में वे पंजाब की लुधियाना सीट से कांग्रेस के अमरिंदर सिंह राजा वडिंग से लोकसभा चुनाव हार गए थे. बिट्टू पंजाब से मंत्रिपरिषद में शामिल होने वाले एकमात्र नेता हैं.

10. जॉर्ज कुरियन: केरल के एक लो-प्रोफाइल नेता जॉर्ज कुरियन चार दशकों से बीजेपी से जुड़े हुए हैं. वे बीजेपी की युवा शाखा के राष्ट्रीय उपाध्यक्ष और बीजेपी की केरल इकाई में पदाधिकारी रह चुके हैं. कुरियन राष्ट्रीय अल्पसंख्यक आयोग का भी हिस्सा रहे हैं. वह नई मंत्रिपरिषद में एकमात्र ईसाई हैं.

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 मोदी कैबिनेट 3.0 से ये बड़े नाम बाहर

1. स्मृति ईरानी: अमेठी से पूर्व सांसद, स्मृति ईरानी 2014 और 2019 में केंद्रीय मंत्रिमंडल का हिस्सा थीं. उन्होंने मानव संसाधन विकास मंत्रालय, कपड़ा मंत्रालय, महिला और बाल विकास मंत्रालय और अल्पसंख्यक मामलों के मंत्रालय जैसे कई विभागों को संभाला. 2019 में राहुल गांधी को उनके गढ़ अमेठी में हराने वाली दिग्गज नेता स्मृति ईरानी को कांग्रेस के केएल शर्मा से हारने के बाद नए मंत्रिमंडल से बाहर कर दिया गया है.

2. अनुराग ठाकुर: युवा मामले और खेल मंत्री व वित्त एवं कॉर्पोरेट मामलों के राज्य मंत्री जैसे मंत्रालय संभाल चुके अनुराग ठाकुर भी नए मंत्रिमंडल का हिस्सा नहीं हैं. हमीरपुर से लोकसभा सांसद ठाकुर ने आज एक बयान में मोदी और नवनियुक्त मंत्रियों को बधाई दी. उन्होंने कहा, "बीजेपी ने मुझे पांच बार लोकसभा चुनाव लड़ने का मौका दिया है. मेरे लिए इससे बड़ा अवसर और कोई नहीं हो सकता."

3. अर्जुन मुंडा: झारखंड से बीजेपी का एक प्रमुख आदिवासी चेहरा अर्जुन मुंडा को भी मंत्रिमंडल से बाहर कर दिया गया है. अर्जुन मुंडा 2019 में दूसरी मोदी सरकार में आदिवासी मामलों के मंत्री थे.

4. राजीव चंद्रशेखर: इलेक्ट्रॉनिक्स और सूचना प्रौद्योगिकी राज्य मंत्री और कौशल विकास और उद्यमिता राज्य मंत्री, चंद्रशेखर को 2024 के लोकसभा चुनाव में तिरुवनंतपुरम में कांग्रेस के दिग्गज नेता शशि थरूर के खिलाफ मैदान में उतारा गया था. चुनाव में उन्हें थरूर से 16,077 मतों के अंतर से हार का सामना करना पड़ा.

5. नारायण राणे: महाराष्ट्र के पूर्व मुख्यमंत्री राणे पिछली कैबिनेट में सूक्ष्म, लघु और मध्यम उद्यम मंत्री थे. राज्य से बीजेपी का एक प्रमुख चेहरा होने के बावजूद उन्हें मौजूदा कैबिनेट से भी हटा दिया गया है.

इन नामों के अलावा जो नेता नए मंत्रिमंडल में अपनी जगह नहीं बना पाए, उनमें परषोत्तम रूपाला का नाम शामिल है, जिनके पास मत्स्यपालन, पशुपालन और डेयरी मंत्रालय का कार्यभार था. विद्युत मंत्री व नवीन एवं नवीकरणीय ऊर्जा विभाग का काम संभाल रहे राज कुमार सिंह और महेंद्र नाथ पांडे जो पिछले कैबिनेट में भारी उद्योग मंत्री थे, उनको भी इस बार बाहर का रास्ता दिखाया गया है.

इन सात मंत्रियों में से मुंडा, स्मृति ईरानी, ​​महेंद्र नाथ पांडे और आरके सिंह लोकसभा चुनाव हार गए, जबकि रूपाला, ठाकुर और राणे अपनी-अपनी सीटों से जीतने के बावजूद मोदी 3.0 में मंत्री पद नहीं पा सके. वहीं राज्य मंत्रियों कि बात करें तो 42 राज्यमंत्रियों में से 30 लोग वापस से मंत्रीपरिषद में अपनी जगह नहीं बना पाए. 24 नए चेहरों ने राज्यमंत्री पद की शपथ ली.

निवर्तमान केंद्रीय मंत्रिपरिषद में 26 कैबिनेट मंत्री, तीन राज्य मंत्री (स्वतंत्र प्रभार) और 42 राज्य मंत्री थे.

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