कांग्रेस ने मोदी सरकार पर सत्ता के करीबी पूंजीपतियों का करीब आठ लाख करोड़ रुपए का कर्ज माफ करने का आरोप लगाते हुए शनिवार को मांग की कि जिन लोगों के कर्ज माफ किए गए हैं, उनके नाम सार्वजनिक किए जाएं और कर्ज माफी की प्रक्रिया की जांच के लिए एक उच्च स्तरीय समिति बनाई जाए. कांग्रेस प्रवक्ता सुप्रिया श्रीनेत ने कहा कि विभिन्न रिपोर्टों से यह बात स्पष्ट है कि बैंकिंग क्षेत्र में संकटग्रस्त कर्ज लगातार बढ़ रहा है.
कांग्रेस के मुख्य प्रवक्ता रणदीप सुरजेवाला ने क्रेडिट सुइस रिपोर्ट का हवाला देते हुए आरोप लगाया कि मोदी सरकार ने पांच वर्षों में ‘‘सत्ता के करीबी मित्रों’’ के सात लाख 77 हजार 800 करोड़ रुपये माफ कर दिए और सवाल किया कि वह किसानों को कर्ज में राहत क्यों नहीं दे सकी. सुरजेवाला ने ट्वीट किया था,
‘‘क्रेडिट सुइस रिपोर्ट में बैंक की कर्ज माफी, एनपीए के बारे में चौंकाने वाले खुलासे हुए हैं. 2014 से मोदी सरकार ने सात लाख 77 हजार 800 करोड़ रुपये की कर्ज माफी दी है.’’
वहीं, श्रीनेत ने कहा यह वित्त वर्ष 2017 में 12 प्रतिशत था जबकि अब यह करीब 16 प्रतिशत है और बैंकों में करीब 16,88,000 करोड़ रुपए संकटग्रस्त कर्ज है जो कि भारतीय अर्थव्यवस्था में भारी सुस्ती का स्पष्ट संकेत है.
'जिनके कर्ज माफ किए गए वे कौन हैं?'
श्रीनेत ने कहा, ‘‘आपको यह बताना महत्वपूर्ण है कि 7.77 लाख करोड़ रुपए का कर्ज माफ किया गया-करीब आठ लाख करोड़ रुपए का कर्ज माफ किया गया है और यह बहुत मूलभूत प्रश्न है कि ये लोग कौन हैं. देश के नागरिक और करदाता होने के तौर पर क्या हमें यह जानने का हक नहीं है कि किन लोगों के कर्ज माफ किए गए हैं?’’
उन्होंने कहा, ‘‘हमारी तीन मांगें हैं- जिन लोगों का कर्ज माफ किया गया है, उनके नाम सार्वजनिक किए जाएं, कर्ज माफी की प्रक्रिया की जांच के लिए एक उच्च स्तरीय समिति गठित की जाए और यह समिति बैंकिंग क्षेत्र की वित्तीय व्यवहार्यता और क्षमता का मूल्यांकन करे.’’
'बीजेपी केवल पूर्ववर्ती सरकार को दोष देते हैं'
प्रवक्ता ने कहा कि बैंकिंग क्षेत्र के हालत पर जब कभी बीजेपी सरकार से सवाल किया जाता है, वे पूर्ववर्ती सरकार को दोष देते हैं, लेकिन बार-बार झूठ बोलने से सच नहीं बदल जाता. श्रीनेत ने सवाल किया कि बीजेपी सरकार ने पिछले छह साल में बैंकिंग क्षेत्र में सुधार के लिए क्या किया.
उन्होंने कहा कि सरकार आपको बताएगी कि एनपीए 11.7 प्रतिशत से कम होकर 9.2 प्रतिशत हो गया है जो कि अच्छी खबर होनी चाहिए और अर्थव्यवस्था में सुधार दिखना चाहिए लेकिन सच्चाई इससे अलग है और बैंक सत्ता के करीबी बड़े पूंजीपतियों के कर्ज माफ कर रहे हैं.
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