प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी के 2019 में दोबारा देश के प्रधानमंत्री बनने की संभावनाएं बहुत कम हो गई हैं. 2017 में जहां वो 99% दोबारा प्रधानमंत्री बनने जा रहे थे तो अब 2018 में ये अनुमान 50-50 पर आकर गिर गया है. ऐसा दावा किया है वैश्विक अर्थशास्त्र और राजनीति पर व्यापक रूप से लिखने वाले अर्थशास्त्री और निवेशक रुचिर शर्मा ने. रुचिर शर्मा की मानें तो विपक्ष के एक साथ आने से नरेंद्र मोदी की सरकार को बहुत ज्यादा नुकसान होने जा रहा है.
रुचिर शर्मा का कहना है कि 2014 के चुनाव में बीजेपी को देशभर में 31 प्रतिशत वोट मिले थे क्योंकि विपक्ष बिखरा हुआ था लेकिन अब हालात बदल चुके हैं.अपनी आने वाली किताब “डेमोक्रेसी ऑन रोड” के लिए काम कर रहे रुचिर ने कहा कि आने वाले चुनाव में आंकड़ों का अंतर नाटकीय रूप से बदल गया है. अब 50-50 का चुनाव होने जा रहा है और गठबंधन दलों को ज्यादा अवसर मिलने की संभावना है.
रुचिर शर्मा ने 1990 से भारत में दो दर्जन से भी ज्यादा चुनाव कवर किए हैं. 2004 के चुनावों को याद करते हुए रुचिर शर्मा ने कहा कि उस वक्त के प्रधानमंत्री अटल बिहारी वाजपेयी और विपक्ष के बीच लोकप्रियता का अंतर वही था जो आज नरेंद्र मोदी और बाकी दलों के बीच है. उस वक्त भी जब वाजपेयी के खिलाफ विपक्ष एक होने लगा था तो ये सवाल पूछा जाता था कि अगर अटल बिहारी वाजपेयी देश के प्रधानमंत्री नहीं होंगे तो फिर कौन होगा? लेकिन, उसके बाद देश को मनमोहन सिंह के तौर पर नया प्रधानमंत्री मिला.
सपा-बसपा गठबंधन करेगा बीजेपी का क्लीन स्वीप
उत्तरप्रदेश के हालातों पर बात करते हुए शर्मा ने कहा कि 80 लोकसभा सीट वाले इस राज्य में अगर बहुजन समाज पार्टी और समाजवादी पार्टी 2019 में एकजुट होंगी तो फिर बीजेपी का सूपड़ा साफ हो जाएगा. और अगर वो एक नहीं होती हैं तो फिर बीजेपी को आने से कोई नहीं रोक सकता.
--इनपुट भाषा से
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