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जुबैर, नूपुर शर्मा पर एक सी धारा, एक को पुलिस ने पकड़ा, दूसरे का कर रही इंतजार

Mohammed Zubair दिल्ली के साइबर पुलिस की कस्टडी में हैं जबकि Nupur Sharma एक बार भी पुलिस के सामने पेश नहीं हुईं

Published
भारत
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भारतीय जनता पार्टी (BJP) की पूर्व प्रवक्ता नूपुर शर्मा (Nupur Sharma) ने इस साल 26 मई को पैगंबर मोहम्मद के खिलाफ विवादस्पद बयान दिया. उन्होंने अपना यह बयान Times Now न्यूज चैनल पर दिया.

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Alt News के पत्रकार मुहम्मद जुबैर ने ट्विटर पर नूपुर शर्मा द्वारा न्यूज चैनल पर दिए उसी विवादस्पद टिप्पणी का एक वीडियो शेयर किया और साथ ही उन्होंने कैप्शन लिखा कि “भारत में प्राइम टाइम डिबेट्स ऐसा प्लेटफार्म बन गया है जो नफरत फैलाने वालों को दूसरे धर्मों के खिलाफ बुरा बोलने के लिए प्रोत्साहित करते हैं.”

Mohammed Zubair दिल्ली के साइबर पुलिस की कस्टडी में हैं जबकि Nupur Sharma एक बार भी पुलिस के सामने पेश नहीं हुईं

आगे यह विवाद और बढ़ा और कई दिनों तक नूपुर शर्मा के उस विवादस्पद बयान पर देश के अंदर और विदेशों में भी जमकर विरोध हुआ. भारत के अंदर हुए हिंसक विरोध-प्रदर्शन में कम-से-कम 2 लोगों की मौत हुई.

बीजेपी ने लगभग 10 दिनों तक देश के अंदर विरोध-प्रदर्शन के बाद नूपुर शर्मा को पार्टी से निलंबित कर दिया और खुद को उसके बयान से दूर कर लिया.

इस पूरे वाकये को लगभग 1 महीना बीत चुका है और जुबैर खुद दिल्ली के द्वारका साइबर सेल डिवीजन में बंद हैं, दूसरी तरफ नूपुर शर्मा एक बार भी पुलिस के सामने पेश नहीं हुईं हैं. इसके अलावा कथित तौर पर नूपुर शर्मा का समर्थन करने के लिए उदयपुर में एक दर्जी की जघन्य हत्या कर दी गयी. इस घटना की पुरजोर आलोचना सभी राजनीतिक दलों की ओर से की गयी और दोषियों के खिलाफ ‘सख्त से सख्त कदम’ उठाने की मांग की गयी है. अब तक इस मामले में 2 आरोपियों को गिरफ्तार किया जा चुका है.

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‘धार्मिक भावनाओं को चोट पहुंचाना’: नूपुर शर्मा और मोहम्मद शर्मा के खिलाफ केस

बीजेपी की पूर्व प्रवक्ता नूपुर शर्मा ने लाइव टीवी पर पैगंबर मोहम्मद के लिए विवादस्पद शब्दों का प्रयोग किया, जिसे क्विंट इस आर्टिकल में नहीं दुहराएगा.

मोहम्मद जुबैर ने नूपुर शर्मा के विवादस्पद बयान को ट्विटर पर शेयर किया और उसके बाद मुंबई पुलिस ने धारा 295A (किसी भी वर्ग की धार्मिक भावनाओं को आहत करना), 153A (धर्म, जाति, जन्म स्थान, निवास, भाषा के आधार पर विभिन्न समूहों के बीच शत्रुता को बढ़ावा देना) और 505B (राज्य या सार्वजनिक शांति के खिलाफ अपराध करने के लिए प्रेरित करना) के तहत प्राथमिकी दर्ज की गयी है.

यह केस 28 मई को इरफान शेख की शिकायत के बाद दर्ज किया गया था. इरफान शेख राजा एकेडमी के ज्वाइंट सेक्रेटरी हैं, जो भारतीय सुन्नी मुसलमानों का संगठन है.

नूपुर शर्मा के खिलाफ दर्ज यह अकेला केस नहीं है. महाराष्ट्र में दर्ज कई FIR के अलावा इस महीने की शुरुआत में पश्चिम बंगाल के पूर्वी मिदनापुर के कोंटाई पुलिस स्टेशन में भी नूपुर शर्मा के खिलाफ मामला दर्ज हुआ.

दूसरी तरफ सोमवार, 27 जून को जुबैर को जिस FIR के आधार पर गिरफ्तार किया गया था वह केवल 8 दिन पहले दर्ज किया गया था. और वो भी उस ट्वीट के खिलाफ जिसे जुबैर ने चार साल पहले पोस्ट किया था.

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फैक्ट चेकर मोहम्मद जुबैर के खिलाफ FIR एक @balajikijaiin नाम के ट्विटर हैंडल वाले अनाम ट्विटर यूजर की शिकायत के आधार पर किया गया है. IPC की धारा 153 और 295A के अंतर्गत दर्ज FIR में जुबैर के ट्वीट को "लोगों के बीच घृणा/हेट की भावना को भड़काने के लिए पर्याप्त से अधिक, जो समाज में सार्वजनिक शांति बनाए रखने के लिए हानिकारक हो सकता है" के रूप में वर्णित किया गया था.

लेकिन आखिर उस ट्वीट में लिखा क्या था?

24 मार्च 2018 को पोस्ट किये गए इस ट्वीट में 1983 में आई एक कॉमेडी फिल्म किसी से न कहना का एक स्क्रीन शॉर्ट था, जिसमें दिखता है कि कैसे एक होटल का नाम “हनीमून होटल” से बदलकर “हनुमान होटल” कर दिया गया है.

जुबैर ने इस फोटो के साथ कैप्शन लिखा था: "Before 2014 : Honeymoon Hotel. After 2014 : Hanuman Hotel. #SanskaariHotel" (2014 से पहले: हनीमून होटल. 2014 के बाद: हनुमान होटल. #संस्कारीहोटल)
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नूपुर शर्मा ने पुलिस समन को नकारा, जुबैर को स्पेशल सेल का बुलावा

जब नूपुर शर्मा कोलकाता और मुंबई पुलिस के समन को एक के बाद एक नजरअंदाज कर रहीं थीं, सोमवार को दिल्ली पुलिस के स्पेशल सेल ने जुबैर को एक अलग मामले में बुलावा भेजा. जुबैर के साथी प्रतिक सिन्हा ने सोशल मीडिया पर संकेत दिया कि “आज दिल्ली की स्पेशल सेल ने जुबैर को 2020 के केस के सिलसिले में बुलाया, जिसमें उन्हें हाई कोर्ट ने गिरफ्तारी से सुरक्षा दे रखी है”.

बाद में उसी रात जुबैर को जल्दी-जल्दी में बुराड़ी के ड्यूटी मजिस्ट्रेट के सामने पेश किया गया. ड्यूटी मजिस्ट्रेट ने जुबैर को एक दिन की पुलिस कस्टडी में भेजा. इसके अलावा उन्हें अपने वकील से मिलने के लिए आधे घंटे का समय दिया गया.

प्रतीक सिन्हा का कहना था कि जुबैर को गिरफ्तारी के वक्त कोई नोटिस नहीं दिया गया, जबकि जिस धारा में उन्हें गिरफ्तार किया गया था उसके अंतर्गत नोटिस देना अनिवार्य है.

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हेट स्पीच के अन्य बड़े केस और उनमें क्या हुआ?

हाल में हेट स्पीच की सबसे प्रमुख और विवादस्पद घटनाओं में से एक हरिद्वार में 17 से 19 दिसंबर 2021 के बीच आयोजित तीन दिवसीय सम्मेलन था. इस सम्मलेन को विवादस्पद हिंदूवादी नेता यति नरसिंहानंद ने आयोजित किया था. यह तब राष्ट्रीय खबरों का केंद्र बन गया था जब इसमें अल्पसंख्यकों को मारने और उनके धार्मिक स्थलों पर हमला करने का कई बार आह्वान किया गया.

इस इवेंट के कुछ हिस्से को सोशल मीडिया पर लाइव-स्ट्रीम भी किया गया और भाषणों का वीडियो वायरल भी हो गया.

हालांकि उत्तराखंड पुलिस ने इस सम्मेलन के 4 दिन बाद यहां भाषण देने वालों खिलाफ केस दर्ज किया, लेकिन जितेंद्र नारायण सिंह त्यागी उर्फ ​​वसीम रिजवी को 13 जनवरी को जाकर ही गिरफ्तार किया जा सका. यति नरसिंहानंद को इस आयोजन के एक महीने बाद जाकर गिरफ्तार किया गया, जिसपर हेट स्पीच के कई केस दर्ज हैं.

अभी दोनों ही आरोपी बेल पर बाहर हैं. धर्मसंसद मामले में पुलिस ने एक्शन लिया (आरोप है कि बहुत देर से) लेकिन दूसरी तरफ हेट स्पीच से जुड़े कई अन्य मामले में कोई एक्शन नहीं लिया गया.

2020 में हुए दिल्ली के दंगों से पहले, बीजेपी नेता कपिल मिश्रा ने नागरिकता संशोधन अधिनियम (CAA) के समर्थन में एक रैली का एक वीडियो ट्विटर पर शेयर किया था, जिसमें उन्हें और अन्य लोगों को "देश के गद्दारों को, गोली मारों सालों को" के नारे लगाते देखा जा सकता था.

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