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भागवत बोले- स्वदेशी का मतलब विदेशी सामान का बहिष्कार नहीं

भागवत ने जोर दिया कि भारत में जो सामान नहीं मिलता या बनता, उन्हीं को इंपोर्ट किया जाना चाहिए.

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राष्ट्रीय स्वयंसेवक संघ (RSS) के प्रमुख मोहन भागवत ने कहा है कि स्वदेशी का मतलब ये नहीं कि सभी विदेशी सामान का बहिष्कार किया जाए. भागवत ने एक कार्यक्रम में बोलते हुए आत्मनिर्भर भारत अभियान पर बोलते हुए विकास के तीसरे मॉडल की जरूरत पर जोर दिया है. उन्होंने कहा कि प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने आत्मनिर्भर भारत की बात इसी के आधार पर की है.

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एक बुक के ऑनलाइन लॉन्च के मौके पर संघ प्रमुख ने कहा, “स्वदेशी का मतलब विदेशी वस्तुओं का बहिष्कार नहीं है, लेकिन विदेशी सामानों को अपनी शर्तों पर हमें लेना है.”

भागवत ने जोर दिया कि भारत में जो सामान नहीं मिलता या बनता, उन्हीं को इंपोर्ट किया जाना चाहिए.

मोहन भागवत ने कोरोना वायरस के दौर में नए विकास मॉडल पर भी जोर दिया. उन्होंने कहा कि देश की आजादी के बाद जिस तरह की आर्थिक नीतियों की जरूरत थी, उस तरह की नीतियां नहीं बन सकीं. उस समय वेस्टर्न देशों के मॉडल का अंधाधुंध अनुकरण किया गया. भारत के अनुकूल नीति नहीं तैयार हुई. हालांकि, संघ प्रमुख ने मौजूदा समय इस दिशा में हो रहे प्रयासों पर संतोष जाहिर किया.

भागवत ने कहा कि पहले एक मॉडल में कहा गया कि मनुष्य की सत्ता है और दूसरा कहता है कि समाज की सत्ता है. ऐसा विचार आया कि दुनिया को एक वैश्विक बाजार बनना चाहिए, लेकिन कोरोना काल की परिस्थितियों में अब विकास के तीसरे मॉडल की जरूरत है जो मूल्यों पर आधारित हो.

'नेशनल एजुकेशन पॉलिसी सही कदम'

भागवत ने इस मौके पर नेशनल एजुकेशन पॉलिसी पर भी बात की और कहा कि आत्मनिर्भर बनने की दिशा में ये सही कदम है. संघ प्रमुख ने कहा कि ऐसी पॉलिसी भारत को इसकी सही क्षमता पहचानने में मदद करेगी.

(IANS के इनपुट्स के साथ)

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