भारतीय मौसम विभाग का पूर्वानुमान लोगों को अलर्ट करने के काम आए या नहीं, लेकिन उनके बीच मजाक की एक वजह जरूर बनता रहा है.
लोगों को आपने यह भी कहते सुना होगा कि मौसम विभाग ने मौसम के बारे में जो कह दिया, समझो वो तो बिल्कुल नहीं होने वाला. लेकिन भारतीय मौसम विभाग लोगों की इस विचारधारा को बदलने की तैयारी में है.
विभाग के वरिष्ठ अधिकारियों की मानें, तो 2017 तक भारत में मौसम संबंधित अनुमान लगाने के लिए अमेरिकी सिस्टम चालू कर दिया जाएगा. इसके लिए सरकार मोटा खर्चा भी करने वाली है.
मॉनसून का पूर्वानुमान खेती-किसानी से जुड़े लोगों के लिए बेहद जरूरी है. लेकिन भारत में अब तक अग्रेजों के जमाने में लगा सिस्टम ही इस्तेमाल हो रहा है. सरकार ने इस सिस्टम को बदलने का फैसला किया है.
न्यूज एजेंसी रॉयटर्स ने वरिष्ठ वैज्ञानिक एम राजीवन के हवाले से लिखा है कि अगर सबकुछ ठीक रहा, तो साल 2017 तक नया मॉडल लागू हो जाएगा. यह पुराने सिस्टम से 10 गुना तेज है. 100 साल बाद भारतीय मौसम विभाग का सिस्टम बदलने जा रहा है.
जून से सितंबर के बीच भारत में बारिश होती है. यही बारिश न सिर्फ फसलों के लिए, बल्कि सिंचाई के लिए भी प्रमुख साधन होती है. देश की 70 फीसदी बारिश मॉनसून के दौरान होती है और आज भी बहुत बड़ा हिस्सा सिंचाई के लिए मॉनसून पर निर्भर है. ऐसे में मॉनसून का सटीक पूर्वानुमान किसानों को बता सकेगा कि बुआई का सही वक्त क्या होगा.
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