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संसद का मॉनसून सत्र रहेगा हंगामेदार, कोरोना, किसान आंदोलन फोकस में

संसद में 40 से अधिक विधेयक लंबित हैं. पांच अध्यादेशों को भी बिल की शक्ल दी जा सकती है

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संसदीय मामलों की मंत्रिमंडल समिति ने मानसून सत्र के 19 जुलाई से 13 अगस्त तक चलने की सिफारिश की है. इस बार मानसून सत्र के हंगामेदार होने के आसार हैं. विपक्ष की ओर से उठाए जाने वाले संभावित मुद्दों का सही तरीके से काउंटर करने की रणनीति पर बीजेपी काम कर रही है. पार्टी सांसदों को संभावित मुद्दों पर जवाब के लिए तैयार रहने को कहा गया है.

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उत्तर प्रदेश सहित पांच राज्यों के अगले साल विधानसभा चुनाव को देखते हुए कुछ नए मुद्दे भी मानसून सत्र के दौरान उठ सकते हैं. ऐसा ही एक मुद्दा धर्मांतरण का है. उत्तर प्रदेश पुलिस की ओर से बीते दिनों धर्मांतरण के बड़े गिरोह का खुलासा किए जाने के बाद से सियासी सरगर्मी बढ़ गई. इस मुद्दे को बीजेपी के गोरखपुर से सांसद रवि किशन उठाने की बात कह चुके हैं.

गोरखपुर से सांसद रविकिशन ने कहा, "पूरे देश में धर्म परिवर्तन के पीछे एक सिंडिकेट काम कर रहा है. मैं इस मुद्दे को मानसून सत्र में उठाऊंगा. धर्मांतरण के लिए विदेशों से फंडिंग हो रही है. सुनियोजित तरीके से हिंदू धर्म को खत्म करने की कोशिश हो रही है. अब तो कई राज्यों से धर्मांतरण की खबरें आ रही हैं, जम्मू-कश्मीर से मामले सामने आ रहे हैं."

बंगाल हिंसा, कोरोना, किसान आंदोलन जैसे मुद्दे उठेंगे

भारतीय जनता पार्टी के राष्ट्रीय महासचिव स्तर के एक पदाधिकारी और सांसद ने आईएएनएस से कहा, "विपक्ष कोरोना प्रबंधन, वैक्सीनेशन और किसान आंदोलन के मुद्दे को उठाकर घेराबंदी करने की कोशिश कर सकता है. लेकिन, पार्टी के सांसद माकूल जवाब देने के लिए तैयार हैं. प्रधानमंत्री मोदी के नेतृत्व में भारत ने बेहतर कोरोना प्रबंधन किया है. वैक्सीनेशन में हम अमेरिका को भी पीछे छोड़ चुके हैं. पार्टी के कुछ सांसद बंगाल हिंसा पर भी आवाज उठाएंगे."

कई बिल पेश हो सकते हैं

संसद में 40 से अधिक विधेयक लंबित हैं. पांच अध्यादेशों को भी बिल की शक्ल दी जा सकती है. वर्तमान में होम्योपैथी केंद्रीय परिषद (संशोधन) अध्यादेश, भारतीय चिकित्सा केंद्रीय परिषद (संशोधन) अध्यादेश, राष्ट्रीय राजधानी क्षेत्र और आसपास के क्षेत्रों में वायु गुणवत्ता प्रबंधन आयोग अध्यादेश, दिवाला और दिवालियापन संहिता (संशोधन) अध्यादेश और न्यायाधिकरण सुधार (तर्कसंगतीकरण और सेवा की शर्तें) अध्यादेश लागू है. सूत्रों का कहना है कि ये अध्यादेश इस सत्र में बिल के रूप में पेश किये जा सकते हैं.

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इसके अलावा माता-पिता और वरिष्ठ नागरिकों का भरण-पोषण और कल्याण(संशोधन) विधेयक, किशोर न्याय विधेयक, नेशनल इंस्टीट्यूट ऑफ फार्मास्यूटिकल एजुकेशन एंड रिसर्च जैसे बिल पहले से लंबित हैं. बता दें कि संसदीय मामलों की मंत्रिमंडल समिति ने 19 जुलाई से 13 अगस्त के बीच मानसून सत्र के संचालन की सिफारिश की है. लगभग एक महीने तक चलने वाले मानसून सत्र के दौरान 20 बैठकें हो सकतीं हैं. कोरोना के सख्त प्रोटोकॉल के बीच मानसून सत्र का संचालन होगा.

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