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शहरों के मुकाबले गांववालों को बेटियां ज्यादा पसंद

मुसलमान, दलित, आर्थिक रूप से कमजोर लोगों में ज्यादा है बेटी की चाहत

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‘बेटी बचाओ, बेटी पढ़ाओ’ ये नारा तो आपने सुना होगा और सड़कों पर पोस्टर में लिखा देखा भी होगा. शायद अब इस नारे का असर भी दिखने लगा है. बेटियों की चाहत लोगों के दिलों में भी बढ़ने लगी है. और यही बात अब राष्ट्रीय परिवार स्वास्थ्य सर्वेक्षण (एनएफएचएस) के ताजा सर्वे में भी झलकने लगी है.

एनएफएचएस की रिपोर्ट के मुताबिक, 79% महिलाएं और 78% पुरुषों ने ये माना है कि उन्हें कम से कम एक लड़की मतलब एक बेटी तो चाहिए ही. इस सर्वे में 15 से 49 साल की महिलाएं और 15 से 54 साल के पुरुषों को शामिल किया गया था.

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यही नहीं पिछले सर्वे के मुकाबले इस बार ज्यादा लोगों में बेटी के लिए इच्छा जगी है. साल 2005-06 में हुए एनएफएचएस सर्वे में करीब 74% महिलाओं ने और 65% पुरुषों ने बेटी की चाहत की बात कही थी.

मुसलमान, दलित, आर्थिक रूप से कमजोर लोगों में ज्यादा है बेटी की चाहत

इस रिपोर्ट में एक और दिलचस्प बात निकल कर आई है कि मुसलमान, अनुसूचित जाति, अनुसूचित जनजाति, ग्रामीण लोगों और आर्थिक रूप से कमजोर तबके की महिलाएं और पुरुष दोनों ही बेटी के लिए इच्छुक हैं.

लगभग 81% मुस्लिम, 81% अनुसूचित जाति, 81% एसटी और 80% अन्य पिछड़े वर्ग की महिलायें बेटी चाहती हैं. वहीं 79% बौद्ध / नव बौद्ध और हिंदू महिलाएं भी कम से कम एक बेटी के लिए इच्छुक हैं.

अगर बात सबसे ज्यादा बेटी की की इच्छुक की करें तो उसमें अनुसूचित जनजाति के पुरुषों का नाम आता है. 84% अनुसूचित जनजाति के पुरुष कम से कम एक बेटी की इच्छा रखते हैं.

अमीर, पढ़े-लिखे और शहरी लोगों को नहीं, गांव में रहने वालों को बेटी की ज्यादा चाहत

अक्सर बेटी बचाव या बेटों और बेटियों में कोई फर्क नहीं है, ऐसी बातें शहरी और अमीर लोगों से जोड़कर देखा जाता है. लेकिन एनएफएचएस के नए सर्वे में चौंकाने वाली बात सामने आई है.

86% आर्थिक रूप से गरीब महिलाएं और 85% पुरुष कम से कम एक बेटी चाहते हैं, जबकि पैसों के मामले में अमीरों की बात करें तो सिर्फ 73% महिलाएं और 72% पुरुष एक बेटी चाहते हैं.

वहीं इस सर्वे को देखने के बाद पढ़े लिखे की बात की जाए तो करीब 85% ऐसी महिलाएं जो कभी स्कूल नहीं गईं या सिर्फ घरेलू पढ़ाई की है उन्हें कम से कम एक बेटी तो चाहिए ही. जबकि 12वीं पास सिर्फ 72% महिलाओं ने ही बेटी की इच्छा जाहिर की है.

बेटों की चाहत अब भी ज्यादा

राष्ट्रीय परिवार स्वास्थ्य सर्वेक्षण के रिपोर्ट में बेटे की इच्छा को लेकर भी सवाल किया गया था. जिसमें ये बात सामने निकलकर आई है कि अब भी बेटी से ज्यादा बेटे की चाहत है. लगभग सभी कैटगरी में 82% महिलाएं और 83% पुरुष परिवार में कम से कम एक बेटा चाहते हैं. इसके अलावा, महिलाओं और पुरुषों दोनों में लगभग 19% लोगों ने बेटियों की तुलना में अधिक बेटे चाहते हैं. जबकि केवल 3.5% ही ऐसे लोग थे, जिन्हें बेटों की तुलना में अधिक बेटियां चाहिए.

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