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शेयर बाजार को 2019 में नई सरकार की फिक्र,मॉर्गन स्टेनली की चेतावनी

कौन बनाएगा अगली सरकार

Published
भारत
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मोदी सरकार की 2019 में वापसी होगी या फिर नई सरकार कैसी होगी? शेयर बाजार इसी चिंता में घुला जा रहा है. इस वजह से अगले कुछ महीने शेयर बाजार में निवेशकों को झटके पे झटके लग सकते हैं.

ब्लूमबर्ग के मुताबिक अगले साल लोकसभा चुनाव के बाद नई सरकार की क्या तस्वीर होगी इसका स्पष्ट उत्तर किसी के पास नहीं है. जाहिर है उत्तर जब साफ नहीं होता तो अनिश्चितता बढ़ती है. शेयर बाजार को इस तरह की अनिश्चितता पूरी तरह से नापसंद है.

ब्रोकरेज हाउस मॉर्गन स्टेनले के मुताबिक ऐसे में शेयर बाजार तय नहीं कर पा रहा है कि चुनाव तक ऊपर जाना है या नीचे जाना है.

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मॉर्गन स्टेनले के एनालिस्ट रिधम देसाई और शीला राठी की रिपोर्ट के मुताबिक...

मॉर्गन स्टेनले की रिपोर्ट के मुताबिक दुनिया के सबसे बड़े लोकतंत्र के सबसे बड़े चुनाव जिसमें करीब 93 लोग वोट करेंगे. वैसे तो चुनाव होने में अभी सालभर का वक्त है पर जानकारों के मुताबिक शेयर बाजार हमेशा आगे की घटनाओं का अनुमान लगाकर चलता है. इसलिए नतीजों को लेकर किसी भी तरह की अनिश्चितता बाजार में भी दबाव बढ़ाएगी.

गठबंधन सरकार की फिक्र

मॉर्गन स्टेनले के मुताबिक निवेशकों को सबसे ज्यादा चिंता आर्थिक सुधारों को लेकर है.

निवेशकों के लिए सबसे बड़ी फिक्र यही है कि अगर कमजोर गठबंधन सरकार बनी तो बड़े फैसले अटकेंगे और राजनीतिक अस्थिरता बढ़ेगी. नरेंद्र मोदी की अगुआई वाली बीजेपी सरकार 30 सालों में एक ही पार्टी के बहुमत वाली पहली सरकार रही है. लेकिन एंटी इंकंबेसी जैसे हालात की वजह से जनसमर्थन में कमी आने के आसार हैं.

एंटी इनकंबेंसी का खतरा

हीरा कारोबारी नीरव मोदी और मेहुल चोकसी के करीब 20 हजार करोड़ रुपए के बैंक घोटाले और बलात्कार की दो घटनाओं की वजह से लोगों में गुस्सा बहुत बढ़ गया है.

2017 में शानदार करीब 30 परसेंट का रिटर्न देने के बाद 2018 के शुरुआती 3.5 महीनों में कोई खास कमाई नहीं करा पाया है.

बाजार को इस बात का पूरा भरोसा नहीं है कि 2019 में भारत के लोग दोबारा बहुमत की सरकार चुनेंगे या नहीं. आने वाले दिनों में अगर ये अनिश्चितता बढ़ती है तो अगले कई महीनों तक चुनाव का नतीजा आने तक शेयरों में गिरावट का दौर नजर आएगा.
रिधम देसाई और शीला राठी 

2019 तक निवेशक क्या करें?

मॉर्गन स्टेनले ने निवेशकों को सलाह दी है कि वो संतुलित रुख अपनाए यानी अपने पोर्टफोलियो में जोखिम वाले शेयर कम रखें. इसी तरह छोटी मझौली कंपनियों के बजाए बड़ी कंपनियों के शेयर ज्यादा रखें.

वैसे 2019 तक अब लगातार भारत में चुनाव का त्यौहार करीब करीब शुरू हो चुका है. जिसमें सरकार की लोकप्रियता का ग्राफ दिखेगा. मई में कर्नाटक चुनाव कांग्रेस और बीजेपी के लिए प्रतिष्ठा की लड़ाई बन गए हैं. इसके अलावा इसी साल दिसंबर में मध्यप्रदेश, राजस्थान और छत्तीसढ़ जैसे राज्यों के नतीजे भी 2019 के लोकसभा चुनाव का सेमीफाइनल होंगे.

(इनपुट ब्लूमबर्ग क्विंट)

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