बिहार के नवादा की ये देखी अनदेखी खबर देश की कानून व्यवस्था को ठेंगा दिखा रही है, कोर्ट कचहरी और थानों को बता रही है कि कैसे कई बार पंचायतें सरकारी नियमों, कायदे, कानूनों को गांव के अंदर दाखिल नहीं होने देतीं. उठक-बैठक लगा रहे शख्स पर 6 साल की बच्ची से बलात्कार करने का आरोप है. पंचायत ने POCSO एक्ट को तमाशा बना दिया है और तमाशाई भीड़ जघन्य अपराध पर मूकदर्शक बनी है और पुलिस धृतराष्ट्र. कौन जाए थाने? दर्ज कराए FIR? कोर्ट के चक्कर काटे? तारीखों पर लगाये हाजिरी? तो बस 5 उठक बैठक में बलात्कार के मामले को निपटा दिया गया है. और एक बार फिर बता दिया गया है कि सरकारी जुमलों और नारों की प्रासंगिकता चुनाव तक होती है जिसकी एक्सपायरी डेट चुनावी नतीजों की तारीख होती है.
दिल्ली में अधिकतर दो तरह के लोग बाहर से आते हैं एक जिन्हें घूमना होता है और दूसरे जिन्हें इलाज कराना होता है नेताओं का ज़िक्र मैं नहीं करूंगा. दिल्ली AIIMS बेहतर इलाज के लिए जाना जाता है मगर इन दिनों दिल्ली AIIMS का सर्वर ठप हो गया है. इसके पीछे साइबर अटैक को कारण बताया जा रहा है. कई मीडिया रिपोर्ट्स के मुताबिक हैकर्स ने कथित तौर पर दिल्ली AIIMS से 200 करोड़ रुपए की फिरौती क्रिप्टोकरेंसी में मांगी है.हालांकि दिल्ली पुलिस ने दावा ख़ारिज कर दिया है.
साइबर अटैक में 3-4 करोड़ मरीजों का डाटा खतरे में होने की आशंका है. भारतीय कंप्यूटर आपात प्रतिक्रिया दल (सर्ट-इन), दिल्ली पुलिस और गृह मंत्रालय के प्रतिनिधि मामले की जांच कर रहे हैं. दिल्ली पुलिस की इंटेलिजेंस फ्यूजन एंड स्ट्रैटेजिक ऑपरेशंस यूनिट ने 25 नवंबर को जबरन वसूली और साइबर आतंकवाद का मामला दर्ज किया था. अब सवाल उठता है कि देश के इतने बड़े अस्पताल में मरीजों का डेटा जब इतना असुरक्षित है तो देश के बाकी संस्थानों में जनता के डेटा को लेकर कितनी असुरक्षा होगी इस बात का अंदाज़ा लगाना बहुत कठिन नहीं है. देश के सर्वोच्च न्यायालय ने निजता के अधिकार को मौलिक अधिकार के रूप में स्वीकार किया है, लेकिन हालत आप देख रहे हैं.
सर्वोच्च न्यायालय का ज़िक्र जब हो ही गया है तो आपको ये भी बताते चलें कि सरकार और सर्वोच्च न्यायालय यानी सुप्रीम कोर्ट जजों की नियुक्त को लेकर आमने सामने हैं. केंद्र सरकार ने सुप्रीम कोर्ट कॉलेजियम से उन 20 फाइलों पर फिर से विचार करने को कहा है जो हाई कोर्ट में न्यायाधीशों की नियुक्ति से संबंधित हैं. कुछ रोज़ पहले किरण रिजिजु ने एक निजी टीवी चैनल के कार्यक्रम में कहा था
मैं कॉलेजियम सिस्टम की आलोचना नहीं करना चाहता. मैं सिर्फ इतना कहना चाहता हूं कि इसमें कुछ कमियां हैं और जवाबदेही नहीं है. इसमें पारदर्शिता की भी कमी है. अगर सरकार ने फाइलों को रोककर रखा हुआ तो फाइलें न भेजी जाएं.किरण रिजिजु
इस पर कोर्ट ने कहा है कि
जब एक बार नामों को आगे बढ़ा दिया गया है तो कानून के हिसाब से प्रक्रिया यहीं ख़त्म होती है. आप उन्हें रोककर नहीं रख सकते. ये स्वीकार्य नहीं है. कई नामों पर फ़ैसला डेढ़ साल से भी ज़्यादा समय से लंबित है. आप ये कैसे कह सकते हैं कि आप नामों पर फ़ैसला नहीं ले सकते? हम आपको ये बता रहे हैं कि नामों को इस तरह लंबित रखकर आप उन हदों को पार कर रहे हैं जिनसे वापसी संभव नहीं है.सर्वोच्च न्यायालय
एक तरफ लाखों लंबित मामले और दूसरी तरफ जजों की नियुक्ति में देरी. इस तकरार के बाद खेल जगत की एक ख़बर पर एक नज़र डाल लेते हैं जो कई मायनों में ऐतिहासिक है. स्क्रीन पर दिख रही इस महिला को तो आप जान ही गए होंगे, ये हैं पीटी ऊषा, पीटी ऊषा को Indian Olympic Association की 16वीं अध्यक्ष बनाया गया है . महान धाविका पीटी उषा भारतीय ओलंपिक संघ की निर्विरोध अध्यक्ष निर्वाचित हुई हैं. पीटी उषा IOA के 95 साल के इतिहास में अध्यक्ष बनने वाली पहली ओलंपियन हैं. उषा देश की सबसे सफल एथलीटों में से एक रही हैं और उन्होंने एशियन गेम्स में चार स्वर्ण सहित 11 पदक जीते थे. पीटी उषा को इसी साल राज्यसभा के लिए नॉमिनेट किया गया था.
अब शो में बारी है देखी अनदेखी तस्वीर की, तस्वीर बंगलुरु के मैसूरु की है, पहले आप इस तस्वीर को देखिए. यह तस्वीर एक बस स्टॉप की है अब आप इस तस्वीर को देखिए ये वही बस स्टॉप है मगर इसका रंग रूप बदल दिया गया है . अब आप जानना चाह रहे होंगे कि आखिर ऐसा क्यों किया गया? तो ऐसा इसलिए किया गया कि कर्नाटक बीजेपी सांसद प्रताप सिम्हा को यह बस स्टॉप किसी मस्जिद की तरह लग रहा था तो उन्होंने इसे बुलडोजर से गिराने की धमकी दे डाली थी फिर क्या था झटपट करके बस स्टॉप के दो गुंबद हटा दिए गए और एक गुंबद का रंग बदला गया और बस स्टॉप का नवीनीकरण कर दिया गया.
आज हम आपको शो में देखी अनदेखी रिपोर्ट भी दिखाएंगे, क्विंट की टीम गुजरात से आपके लिए कुछ Exclusive ग्राउंड रिपोर्ट लेकर आई है. स्टैचू ऑफ यूनिटी का खूब प्रचार-प्रसार हुआ इसे गुजरात के गौरव के रूप में भी दिखाया गया. लोगों ने वहां जाकर सेल्फी ली, इस उपलब्धि पर तालियां बजाईं, खुद को गौरवान्वित महसूस किया मगर यह सब वहां रह रहे आदिवासियों की खुशियां छीनकर किया गया, विस्थापित आदिवासियों ने क्विंट को बताया कि उन्होंने अपनी जमीनें बांध बनाने के लिए दी थी मगर वहां पर स्टैचू ऑफ यूनिटी बना दिया गया. उनकी शिकायत है कि उनकी रोजी रोटी भी छिन गई. कुछ ने कहा कि उन्हें मुआवजा भी नहीं मिला.
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