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देश के टॉप 10 कोरोना प्रभावित शहरों की बात, इतने केस क्यों आ रहे?

दिल्ली में इस समय सबसे ज्यादा टेस्टिंग हो रही है

Published
भारत
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भारत में कोरोना वायरस संक्रमण कम होने का नाम नहीं ले रहा है. देश में हर दिन नए मामलों का रिकॉर्ड बन रहा है. 9 सितंबर को देश में 95,735 नए केस आए. मतलब कि अब रोजाना 1 लाख के करीब संक्रमण के केस मिल रहे हैं. कुल मामलों की संख्या 44 लाख 65 हजार से ऊपर जा चुकी है. ऐसे में ये जानना जरूरी हो गया है कि देश के वो कौनसे 10 शहर हैं, जहां संक्रमण सबसे ज्यादा फैला हुआ है और इसकी वजह क्या है.

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देश में रोजाना हजारों की संख्या में नए संक्रमण के मामले देख कर ऐसा लगता है कि कोरोना वायरस की दूसरी वेव चल रही है. केंद्र सरकार और ICMR अभी तक कह रहे हैं कि देश में कम्युनिटी ट्रांसमिशन की स्टेज नहीं आई है. एक्सपर्ट्स का कहना है कि भारत में अभी कोरोना वायरस का पीक नहीं आया है. ऐसे में इतने मामले सामने आने का क्या मतलब है?

इसपर बात से पहले जानते हैं देश के सबसे ज्यादा कोरोना प्रभावित शहर

10 सबसे ज्यादा कोरोना प्रभावित शहर

  1. पुणे (महाराष्ट्र), कुल केस - 2 लाख 18 हजार से ज्यादा
  2. दिल्ली (दिल्ली), कुल केस - 2 लाख से ज्यादा
  3. मुंबई (महाराष्ट्र), कुल केस - 1 लाख 63 हजार से ज्यादा
  4. बेंगलुरु (कर्नाटक), कुल केस - 1 लाख 57 हजार से ज्यादा
  5. ठाणे (महाराष्ट्र), कुल केस - 1 लाख 50 हजार से ज्यादा
  6. चेन्नई (तमिलनाडु), कुल केस - 1 लाख 42 हजार से ज्यादा
  7. ईस्ट गोदावरी (आंध्र प्रदेश), कुल केस - 68 हजार से ज्यादा
  8. कुर्नूल (आंध्र प्रदेश), कुल केस - 48 हजार से ज्यादा
  9. नासिक (महाराष्ट्र), कुल केस - 46 हजार से ज्यादा
  10. अनंतपुर (आंध्र प्रदेश), कुल केस - 45 हजार से ज्यादा

इससे क्या समझ आता है?

देश में सबसे ज्यादा केस महाराष्ट्र से हैं और शहरों में भी इसी राज्य का पुणे पहले स्थान पर है. दिल्ली-मुंबई के मुकाबले कम आबादी और जनसंख्या घनत्व वाले इस शहर में कोरोना के मामले बड़े पैमाने पर सामने आ रहे हैं. हाल ही में हुए एक सीरोलॉजिकल सर्वे में सामने आया कि कई इलाकों में 50-60% से ज्यादा जनसंख्या संक्रमित है और इनका पता नहीं लगा है, मतलब ये लोग दूसरे लोगों को भी कोरोना संक्रमित कर रहे होंगे लेकिन संक्रमण की चेन नहीं टूट पा रही है. हालांकि, शहर में जमकर टेस्टिंग भी हो रही है. इस वजह से कुछ एक्सपर्ट मानते हैं कि संक्रमण का और नए कोरोना केस का तेजी से पता लग रहा है.

सबसे ज्यादा कोरोना केस के मामले वाले शहरों में दूसरे स्थान पर दिल्ली है. वो दिल्ली जिसमें एक बार फिर कोरोना के मामले बढ़ने शुरू हो गए हैं, बीच में संक्रमण पर कुछ हद तक लगाम लगाया गया था.दिल्ली में इस समय सबसे ज्यादा टेस्टिंग हो रही है. इंडियन काउंसिल ऑफ मेडिकल रिसर्च (ICMR) के टेस्टिंग पर ताजा आंकड़ों में दिल्ली टॉप पर है. राजधानी में एक मिलियन जनसंख्या पर 90,173 कोरोना वायरस टेस्ट हो रहे हैं. ये भी बड़ा कारण है कि यहां नए कोरोना केसों का तेजी से पता लग रहा है.

कुल मिलाकर अगर आप सबसे प्रभावित शहरों की लिस्ट पर नजर डालेंगे तो पाएंगे कि ये शहर जिन राज्यों में हैं, वहां मौजूद समय में ज्यादा टेस्ट किए जा रहे हैं.

महामारी की शुरुआत से ही मेडिकल एक्सपर्ट्स इस बात पर जोर दे रहे हैं कि कोरोना वायरस को काबू करने का सबसे प्रभावी तरीका ज्यादा से ज्यादा टेस्टिंग है. ज्यादा टेस्टिंग से संक्रमित लोगों का पता चलेगा और फिर इन्हें आइसोलेट कर संक्रमण की चेन को तोड़ा जा सकता है.  
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इन शहरों में तेजी से क्यों फैल रहा है संक्रमण?

ये समझना जरूरी है कि फिलहाल देश अनलॉक 4 से गुजर रहा है. देश में लगभग सभी गतिविधियों को मंजूरी दे दी गई है. लॉकडाउन सिर्फ कंटेनमेंट जोन तक सीमित है. केंद्र सरकार ने अनलॉक 4 में मेट्रो की भी इजाजत दे दी है. ऐसे में कई महीनों से घरों में बैठे लोग अब बाहर निकल रहे हैं, ऑफिस जा रहे हैं, बाजार खुल गए हैं और क्लास 9-12 के छात्रों के लिए खास तौर पर 21 सितंबर से स्कूल खोले जाने की भी योजना है.

मार्च, अप्रैल, मई के मुकाबले इस समय देश में प्रतिबंध न के बराबर हैं. कंटेनमेंट जोन के बाहर हर तरह की गतिविधि जारी है. ऐसे में लोग एक-दूसरे से ज्यादा संपर्क में आ रहे हैं. केंद्र सरकार ने कहा है कि जरूरी काम होने पर ही घर से बाहर निकलें. लेकिन इस बात का पालन कितना हो रहा है, इसका कोई आंकड़ा मौजूद नहीं है. लेकिन रोजाना देश के अलग-अलग कोनों से आती तस्वीरों से सोशल डिस्टेंसिंग और कोरोना वायरस संबंधी गाइडलाइन का पालन होने की तस्वीर साफ हो जाती है.  

ट्रेनों और बसों में यात्रा के लिए कई तरह की गाइडलाइन जारी की गई हैं, लेकिन आए-दिन नियमों का उल्लंघन देखने को मिलता है. केंद्र ने सार्वजानिक माध्यमों से यात्रा के बाद कुछ दिन के लिए सेल्फ-आइसोलेशन में रहने के निर्देश दिए हैं. हालांकि, इनका पालन न के बराबर ही हो रहा है. ये सभी बातें रोजाना आ रहे हजारों मामलों के लिए जिम्मेदार हैं.

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