महाराष्ट्र के मालेगांव में सितंबर 2008 के धमाके में इस्तेमाल बाइक को 8 जून को सबूत के तौर पर विशेष अदालत के सामने पेश किया गया. यह बाइक मामले की आरोपी और बीजेपी सांसद प्रज्ञा सिंह ठाकुर के नाम पर पंजीकृत है.
बता दें कि मालेगांव में धमाके की जगह से दो बाइक और पांच साइकलों को जब्त किया गया था. इनको एक टेंपो में रखकर दक्षिण मुंबई की सत्र अदालत लाया गया जहां विशेष एनआईए जज विनोद पडलकर ने इनका परीक्षण किया. अभियोजन के मुताबिक, बम में आईईडी से विस्फोट किया गया था और इसे सुनहरे रंग की एलएमएल फ्रीडम बाइक पर रखा गया था जो प्रज्ञा सिंह ठाकुर के नाम पर पंजीकृत है.
8 जून को जज, वकील और गवाह बाइकों और साइकिलों का परीक्षण करने के लिए टेंपो पर चढ़े. गवाह ने यह शिनाख्त कर दी कि उसने 29 सितंबर 2008 को मालेगांव में विस्फोट के दिन घटनास्थल पर यह बाइक (एलएमएल फ्रीडम) देखी थी.
बता दें कि मालेगांव मामले की शुरुआती जांच महाराष्ट्र आतंकवाद रोधी दस्ते (एटीएस) ने की थी. उसने दावा किया था कि ठाकुर ने अपने करीबी सहयोगी रामजी कलसांगरा को विस्फोट करने के लिए बाइक दी थी. कलसांगरा अब भी फरार है.
इस मामले की जांच को राष्ट्रीय जांच एजेंसी (एनआईए) ने 2011 में एटीएस से अपने हाथों में ले लिया था. एनआईए ने 2016 में दायर अपनी पहली सप्लीमेंट चार्जशीट में ठाकुर को ‘क्लीन चिट’ दे दी थी.
एनआईए ने कहा था कि उसने एटीएएस की ओर से रिकॉर्ड पर लाए गए सबूतों का फिर से मूल्यांकन किया और वह इस निष्कर्ष पर पहुंची कि ठाकुर के नाम पर पंजीकृत बाइक उनके पास नहीं थी, इसका इस्तेमाल दो साल से कलसांगरा कर रहा था. केंद्रीय एजेंसी ने कहा था कि ठाकुर का विस्फोट से संबंध नहीं है.
ठाकुर ने विशेष अदालत से आरोप मुक्त करने का अनुरोध करने के लिए एनआईए की इसी दलील को आधार बनाया था, लेकिन 27 दिसंबर 2017 को अदालत ने ठाकुर की याचिका को खारिज कर दिया था. अदालत ने कहा था कि विस्फोट में इस्तेमाल गाड़ी ठाकुर की है और आरटीओ रिकॉर्ड में ठाकुर के नाम पर है.
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