मध्य प्रदेश के दमोह में मंगलवार 13 जून को बैरिकेड्स के पास खड़ी गंगा जमना हाई स्कूल की एक छात्रा ने पुलिस और मीडिया के सामने रोते हुए कहा, "मेरा स्कूल खोलो, मैं यहां पढ़ना चाहती हूं और कहीं नहीं. वे मेरे स्कूल के पीछे पड़ें हैं."
स्कूल पर छात्राओं को जबरन हिजाब पहनाने और धर्म परिवर्तन का आरोप लगा था. जिसकी अभी जांच चल रही है. 2 जून को इस स्कूल की मान्यता रद्द कर दी गयी. अब स्कूल में बन रहीं कुछ नई बिल्डिंग की परिमिशन न होने की बात कहकर प्रशासन ने डेमोलिशन किया है .
स्कूल कीं प्रिंसिपल और दो अन्य को पुलिस ने 11 जून को गिरफ्तार कर लिया था. जिसके बाद इस स्कूल में पढ़ने वाले 1200 बच्चों का भावष्य खतरे में पड़ गया है.
मंगलवार को स्कूल पर 'बुलडोजर कार्रवाई' शुरू हुई तब यहां पढ़ने वाले बच्चों और उनके माता पिता ने स्कूल को फिर खोलने और डेमोलिशन एक्शन का विरोध किया.
पुलिस ऑफिसर से बहस करते हुए एक बच्चे की मां ने कहा "उन्होंने इतनी छोटी सी बात को इतना बड़ा बना दिया है. उन्हें बच्चों के भविष्य की परवाह नहीं है. बच्चों के बारे में सोचो, उनका भविष्य दांव पर है. 12 साल से बच्चे यहां पढ़ रहें है, हमने कभी कुछ ऐसा नहीं सुना. जो लोग गलत कामों का आरोप लगा रहे हैं, उन्हें हमारे सामने लाएं. हम जानना चाहते हैं कि असल में वे क्या आरोप लगा रहे हैं."
मंगलवार को पुलिस पूरे बल के साथ बुलडोजर लेकर स्कूल पहुंची
11 जून को नगरपालिका (CMO) ने स्कूल को नोटिस देकर पूछा कि स्कूल परिसर में चल रहे निर्माण की परिमिशन ली गई है या नहीं. इसके बाद मंगलवार को नगर निगम के अधिकारी बुलडोजर लेकर मौके पर पहुंचे. यहां उनको छात्रों और उनके माता पिता के विरोध का सामना करना पड़ा.
हालांकि अधिकारियों ने दावा किया कि आसपास के नालों की सफाई के लिए बुलडोजर आया था.
मौके पर मौजूद नगर निगम के अधिकारी भैयालाल ने मीडिया से बात करते हुए कहा, "सुबह बुलडोजर आसपास की नालियों की सफाई के लिए पहुंचा था. लोग समझें कि स्कूल को नोटिस का जवाब देने का टाइम दिए बिना तोड़ा जा रहा है और इसका विरोध करने लगे."
हालांकि, कुछ घंटों बाद अधिकारी फिर से बुलडोजर के साथ भारी पुलिस बल लेकर स्कूल पहुंचे और स्कूल की पहली मंजिल के कुछ हिस्सों को गिराना शुरू कर दिया.
अधिकारी ने कहा, "स्कूल प्रबंधन ने नोटिस के जवाब में स्वीकार किया कि स्कूल के कुछ हिस्सों के निर्माण के लिए परिमिशन नहीं ली गई थी. अधिकारियों की मदद से हम केवल उस हिस्सों को हटा रहे हैं."
आगे उन्होंने कहा "यह कार्रवाई शुरूआती जांच के बाद हुई है. वे हमें और रिकॉर्ड दे रहे हैं. एक बार उनकी जांच हो जाने के बाद आगे की कार्रवाई तय की जाएगी. अब तक जो भी कार्रवाई हुई है वो स्कूल के जवाब के आधार पर की गई है."
'कोई भी स्कूल हमारे बच्चों को एडमिशन देने के लिए तैयार नहीं...'
"हमारा स्कूल चालू करो, चालू करो, चलो करो... (हमारे स्कूल को फिर से खोलो)" का नारा लगाते हुए, लगभग 50 छात्रों और उनके माता-पिता ने मंगलवार शाम को फिर स्कूल की तक मार्च किया और बैरिकेड्स के पास जाकर अपना विरोध जताया.
एक पैरेंट ने बताया कि हम अपनी महनत की कमाई से बच्चों की पढ़ाई का इंतजाम करते हैं. ऐसे में अचानक सब बच्चे कहां जाएंगे. कोई भी स्कूल इन्हें एडमिशन देने को तैयार नहीं है.
गंगा जमुना वेलफेयर सोसाइटी ने 2010 में इस स्कूल की स्थापना की थी, और कथित तौर पर यह दमोह के फुटेरा वार्ड में एकमात्र इंग्लिश मीडियम स्कूल है.
एक छात्रा ने कहा "हमारा स्कूल में कुछ भी गलत या किसी धर्म से जुड़ा हुआ नहीं पढ़ाया जाता. वे हमें वही सिखाते हैं जो और सभी स्कूलों में पढ़ाया जाता है."
कोर्ट में हुई सुनवाई
अफशा शेख, अनस अतहर और रुस्तम अली की जमानत अर्जी पर सुनवाई करते हुए स्पेशल जज रजनी प्रकाश बोटम ने टिप्पणी करते हुए पूछा कि जिला कलेक्टर ने जब स्कूल को पहले क्लीन चिट दे दी थी तोंबाद में मामला दर्ज क्यों किया गया?
कोर्ट ने बुधवार को दमोह के कलेक्टर मयंक अग्रवाल और एसपी(SP) राकेश सिंह को भी तलब किया था.
आरोपी के वकील अनुनय श्रीवास्तव ने अदालत को बताया कि कक्षा 6 के बाद स्कूल की यूनिफॉर्म में छात्राओं के लिए हेडस्कार्फ शामिल है. लेकिन यह अनिवार्य नहीं है और हर कोई इसे नहीं पहनता था.
अपनी गिरफ्तारी से पहले मीडिया से बात करते हुए, शेख ने यह दावा किया था कि पोस्टर में इस्तेमाल की गई तस्वीरें उनके स्कूल के पहचान पत्रों से थीं, जिसके लिए हेडस्कार्फ पहनकर तस्वीरें क्लिक की गई थीं, लेकिन जो छात्र इसको नहीं पहनते उनको कोई सजा या रोका नहीं जाता है.
शिक्षा विभाग ने 2 जून को लाइब्रेरी ना होने, प्रैक्टिल कराने के लिए जरूरी इक्युपमेंट न होने, सही सफाई व्यवस्था ना होने का हवाला देते हुए स्कूल का लाईसेंस खत्म कर दिया था.
हालांकि, श्रीवास्तव ने अदालत को बताया कि 2010 से राज्य के शिक्षा विभाग ने सभी जरूरी निरीक्षणों के बाद हर साल स्कूल की मान्यता बढ़ाई हैं.
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