अगले सत्र से सांसदों को संसद की कैंटीन में मिलने वाले भोजन पर ज्यादा भुगतान करना पड़ सकता है. सांसदों को संसद की कैंटीन में मिलने वाले खाने पर सब्सिडी को वापस लेने के प्रस्ताव को गुरुवार को सैद्धांतिक रूप से मंजूरी दे दी गई है.
सूत्रों ने कहा कि सभी पक्षों के सांसदों ने बिजनेस एडवाइजरी कमेटी (बीएसी) की बैठक में इस पर फैसला लिया, जिसमें लोकसभा अध्यक्ष ओम बिड़ला ने प्रस्ताव रखा और संसद की कैंटीन में सभी सांसदों को मिलने वाली सब्सिडी को छोड़ देने का सुझाव दिया.
सालाना बचेंगे 17 करोड़
यह जानकारी सामने आई है कि संसद की कैंटीन में सब्सिडी अगले सत्र से वापस ली जा सकती है और सभी सांसदों को खाने की तैयार करने की लागत के हिसाब से पैसे का भुगतान करना होगा. नई दरें सांसदों, लोकसभा और राज्यसभा के अधिकारियों, मीडिया कर्मियों, सुरक्षा कर्मियों के साथ-साथ आगंतुकों पर लागू होंगी.
सूत्रों ने कहा है कि इससे 17 करोड़ रुपये सालाना बच सकते हैं और संसद की कैंटीन में भोजन को वास्तविक कीमत पर बेचा जाएगा. बता दें, पिछली लोकसभा में कैंटीन के खाने के दाम बढ़ा कर सब्सिडी का बिल कम किया गया था.
मोदी सरकार ने पिछले कार्यकाल में बढ़ाए थे खाने के दाम
बताया जाता है कि सांसदों के खाने की सब्सिडी पर सालाना 17 करोड़ रुपये का बिल आता है. 2016 में मोदी सरकार के पहले कार्यकाल के दौरान कैंटीन में मिलने वाले खाने के दाम बढ़ाए गए थे. इसके बाद अब सब्सिडी खत्म करने का फैसला लिया गया है.
रिपोर्ट्स के मुताबिक, फिलहाल कैंटीन में शाकाहारी थाली 30 रुपये की मिलती है. 2016 से पहले यह 18 रुपये में मिलती थी. वहीं मांसाहारी थाली अब 60 रुपये में मिलती है, जो पहले 33 रुपये में मिलती थी. इसी तरह तंदूरी चिकन 60 रुपये का और मटन करी 45 रुपये की मिलती है. अब इन सबके दाम बढ़ जाएंगे.
बता दें, संसद में एक कैंटीन मीडिया कर्मियों के लिए तो एक सिर्फ सांसदों के लिए आरक्षित है. एक आंकड़े के मुताबिक, जब संसद सत्र चल रहा होता है तो यहां खाने वालों में 9 फीसदी तादाद सांसदों की होती है और तीन फीसदी पत्रकारों की. इसके अलावा संसद की कैंटीन में अब तक सुरक्षाकर्मी और आंगतुकों को भी सब्सिडी रेट पर भोजन मिलता था.
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