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MP: PM आवास योजना के तहत बने दलितों के घर पर चला बुलडोजर, पूर्व CM का धरना

MP Bulldozer Action: "सामान भी निकालने नहीं दिया, बिना नोटिस ही मकान गिरा दिया"- पीड़ित पक्ष का आरोप

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मध्य प्रदेश (Madhya Pradesh) के सागर जिले में प्रधानमंत्री आवास योजना (Pradhan Mantri Awas Yojana) के तहत बने दलितों के घरों पर बुलडोजर चला है. मामला राजस्व एवं परिवहन मंत्री गोविंद सिंह राजपूत के विधानसभा क्षेत्र सागर के सुरखी के रैपुरा गांव का है. ग्रामीणों का आरोप है कि बिना नोटिस के उनके घरों पर कार्रवाई हुई है. मामला सामने आने के बाद एमपी के पूर्व मुख्यमंत्री दिग्विजय सिंह (Digvijay Singh) गुरुवार, 22 जून को पीड़ितों के गांव पहुंचे और मुआवजे की मांग करते हुए धरने पर बैठ गए. इस मामले में रेंजर को सस्पेंड कर दिया गया है. बीजेपी मंत्री गोविंद सिंह राजपूत ने पीड़ितों को आवासीय पट्टा या आवास देने की बात कही है.

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क्या है पूरा मामला?

दरअसल, बुधवार, 21 जून को सागर जिले के रैपुरा गांव में वन विभाग, राजस्व विभाग और पुलिस विभाग ने संयुक्त कार्रवाई करते हुए वन विभाग की जमीन पर बने दलितों के 10 घरों को गिरा दिया था. ग्रामीणों का कहना है कि वह पिछले 50 सालों से वहां रहे हैं.

ग्रामीणों ने बताया कि जिन मकानों को गिराया गया है उनमें से 6 मकान प्रधानमंत्री आवास योजना के तहत बने थे. वहीं कुछ और घरों का निर्माण भी चल रहा था.

इसके साथ ही ग्रामीणों ने आरोप लगाया है कि बिना किसी नोटिस के ही उनके आशियानों को गिरा दिया गया. यहां तक की उन्हें उनका सामान निकालने तक का भी मौका नहीं दिया गया.

गांव की एक युवती ने बताया कि जब वह अपना सर्टिफिकेट बचाने के लिए घर में जाने की कोशिश करने लगी तो महिला कॉन्स्टेबलों ने उसे अंदर नहीं जाने दिया और जबरन वहां से खदेड़ दिया.

हालांकि, DFO महेंद्र प्रताप ने ग्रामीणों के आरोपों को खारिज किया है. उन्होंने बताया कि पिछले एक साल से अतिक्रमण हटाने की प्रक्रिया चल रही थी और कई बार नोटिस भी दिया गया था. उन्होंने कहा कि ग्रामीणों से कई बार अतिक्रमण हटाने के लिए भी कहा गया था.

धरने पर बैठे दिग्विजय सिंह

मध्य प्रदेश के पूर्व मुख्यमंत्री दिग्विजय सिंह पीड़ित ग्रामीणों से मिलने के लिए गुरुवार, 22 जून को रैपुरा गांव पहुंचे. पीड़ित परिवारों के लिए मुआवजे की मांग करते हुए वह धरने पर बैठ गए. मीडिया से बातचीत में दिग्विजय सिंह ने बीजेपी पर निशाना साधते हुए कहा कि,

"भारतीय जनता पार्टी के नेताओं का अहम और अहंकार है कि उन्हें कोई नहीं गिरा सकता है, कोई नहीं हटा सकता है. उनकी जो मनमर्जी होगी वह करेंगे. उनके लिए कोई आदेश, नियम- कानून नहीं है. मैं तो जनना चाहता हूं कि क्या DFO साहब ने मकान गिराने का आदेश दिया था."

दिग्विजय सिंह के पहुंचने के करीब 2 घंटे बाद मौके पर DFO महेंद्र प्रताप सिंह, सागर पुलिस अधीक्षक अभिषेक तिवारी और प्रभारी कलेक्टर चंद्रशेखर शुक्ला मौके पर पहुंचे. इस दौरान पूर्व मुख्यमंत्री ने बुलडोजर एक्शन को लेकर DFO से सवाल-जवाब किया. उन्होंने पूछा कि क्या सागर में एक मात्र यही 16 परिवार थे जो वन क्षेत्र में अतिक्रमण किए थे? जिसके जवाब में DFO ने बताया कि इसके अलावा भी बड़ी संख्या में जिलेभर में वन क्षेत्र में निवास करने वाले लोग हैं. जिस पर दीपिका सिंह ने यह सवाल उठाया कि इसी क्षेत्र में बिना नोटिस के कार्रवाई क्यों की गई? जब DFO ने नोटिस देने की बात कही तो मौके पर मौजूद पीड़ित ग्रामीणों ने किसी भी तरह का नोटिस मिलने से साफ इनकार कर दिया.

दिग्विजय सिंह ने DFO से अगला सवाल पूछा कि क्यों ना अतिक्रमण हटाने की कार्रवाई में रेंजर पर एट्रोसिटी एक्ट लगाया जाए? इसके जवाब में पुलिस अधीक्षक अभिषेक तिवारी और महेंद्र प्रताप सिंह ने कहां कि वह शासकीय कार्य कर रहे थे इसलिए एट्रोसिटी एक्ट नहीं लगाया जा सकता है.

इस पर दिग्विजय सिंह ने पूछा कि अगर वह वास्तव में अपना काम कर रहे थे तो फिर रेंजर को सस्पेंड क्यों किया गया? और अगर उसने नियम विरुद्ध कार्य किए हैं जिसके लिए उसे सस्पेंड किया गया है तो दलितों के मकान तोड़ने पर रेंजर पर एट्रोसिटी एक्ट भी लगाया जाना चाहिए.

कलेक्टर ने लिखित में दिया मदद का आश्वासन

करीब 5 घंटे के बाद छुट्टी पर गए कलेक्टर दीपक आर्य भी मौके पर पहुंचे. इस दौरान उन्होंने दिग्विजय सिंह से वार्ता कर लिखित में पीड़ितों की मदद का आश्वासन दिया. साथ ही कलेक्टर ने कहा कि वन विभाग की जमीन पर प्रधानमंत्री आवास योजना का जियो-टैगिंग नहीं किया जाना चाहिए था. इसके लिए जो जिम्मेदार हैं, उनके खिलाफ कार्रवाई की जाएगी.

वहीं रेंजर के निलंबन पर कलेक्टर कहा कि,

"रेंजर ने प्रक्रिया का पालन तो किया, लेकिन मानवीय संवेदना का पालन नहीं किया. टास्क फोर्स कमेटी की बैठक में निर्माणाधीन मकान और जो खाली मकान थे, उनको पहले हटाने का फैसला किया गया था. वहीं बाकी लोगों को विस्थापित किया जाना था. लेकिन रेंजर ने जल्दबाजी की."

वहीं इस मामले में राजस्व एवं परिवहन मंत्री गोविंद सिंह राजपूत ने दिग्विजय सिंह पर जल्दबाजी करने का आरोप लगाया. उन्होंने कहा कि मामला मेरे संज्ञान में नहीं था और संज्ञान में आने के बाद मैंने कलेक्टर को निर्देश दिया. जिसके बाद कार्रवाई करने वाले रेंजर्स को सस्पेंड किया गया. इसके साथ ही उन्होंने मामले में मुख्यमंत्री से भी बात की. उन्होंने कहा कि बेघर हुए दलित परिवारों को आवासीय पट्टा या आवास उपलब्ध कराया जाएगा.

मायावती ने बीजेपी पर साधा निशाना

इस मामले को लेकर बीएसपी सुप्रीम मायावती ने ट्वीट कर प्रदेश सरकार पर निशाना साधा है. उन्होंने कहा, "मध्य प्रदेश सरकार की विध्वंसकारी, द्वेषपूर्ण बुलडोजर राजनीति लोगों के घर और स्कूल तोड़ते-तोड़ते अब पीएम आवास योजना के अंतर्गत बने गरीबों के मकान भी तोड़ने लगी है, जो अति-निन्दनीय है. इसी क्रम में सागर जिले में पीएम योजना के तहत बने दलित परिवारों के घरों का ध्वंस शर्मनाक है."

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