मध्य प्रदेश का व्यापम घोटाला एक बार फिर से गरमा गया है. घोटाले के आरोपी डॉक्टर जगदीश सागर के घर एसटीएफ की छापेमारी में कुछ दस्तावेज बरामद किए गए हैं. छापेमारी में मिली एक डायरी में पैसे के लेनदेन का ब्योरा लिखा गया है और 'मामजी' और 'वीवीआईपी' जैसे शब्द लिखे हुए हैं.
इस मामले पर कांग्रेस के वरिष्ठ नेता कमलनाथ ने कहा है कि इससे साबित हो रहा है कि करप्शन का पूरा सिस्टम था. जो लोग घूस लेते थे आज भी सरकार में हैं.
‘’मैं नहीं जानता कौन है ये ‘मामा’, पर जो भी है इसकी पूरी जांच होनी चाहिए. MP पीएससी में फर्जीवाड़े के मामले 5 साल पहले भी सामने आये थे, अब जिस प्रकार से व्यापम घोटाले के आरोपी से पीएससी के माध्यम से पदों के सौदों की बात सामने आयी है, जिस प्रकार से मामाजी-वीआईपी शब्द सामने आए है. इन सभी का खुलासा होना चाहिए और सारे मामले को सीबीआई को सौंपा जाना चाहिए’’
रिपोर्ट्स के मुताबिक, आरोपी जगदीश सागर की डायरी से कई और बड़े खुलासे हुए है. आरोप है कि सागर ने मध्य प्रदेश पीएसी के 6 पदों पर अधिकारी बनवाने के लिए करीब 95 लाख के सौदे किए थे. डायरी में एडवांस लेने की बात भी सामने आ रही है.
व्यापम क्या है?
व्यापम, दरअसल व्या= व्यावसायिक प= परीक्षा म= मंडल से मिलकर बना है, जिसे मध्य प्रदेश प्रोफेशनल एग्जाम बोर्ड भी कहा जाता है. ये बोर्ड मध्य प्रदेश में सरकारी नौकरी और कॉलेजों में एडमिशन के लिए प्रवेश परीक्षा कंडक्ट करवाता था.
- साल 1971 में मध्य प्रदेश में मेडिकल प्रवेश परीक्षाओं के लिए प्री-मेडिकल टेस्ट बोर्ड बनाया गया था.
- साल 1982 में इसमें इंजीनियरिंग परीक्षाओं को भी शामिल किया गया और नाम दिया गया प्रोफेशनल एग्जामिनेशन बोर्ड.
- साल 2007 में मध्य प्रदेश प्रोफेशनल एग्जामिनेशन बोर्ड एक्ट पास हुआ और इसे व्यापम का नाम मिला.
ऐसे में राज्य में इंजीनियरिंग कालेज, मेडिकल कॉलेज में दाखिले से लेकर कई विभाग की भर्तियों की परीक्षा व्यापम आयोजित कराता रहा है.
इससे जुड़ा 'कांड' क्या है?
इन परीक्षाओं में गड़बड़ी और फर्जीवाड़े की खबरें पहली भी आई थी. लेकिन गड़बड़ी का खुलासा होने के बाद जुलाई 2013 में 20 लोगों की गिरफ्तारी के साथ पुलिस में पहली बार FIR दर्ज की गई. इसी मामले में साल 2013 में ही प्री मेडिकल टेस्ट में पास हुए 345 उम्मीदवारों के रिजल्ट रद्द कर दिए गए.
सुप्रीम कोर्ट का दखल
शुरुआत में पक्ष-विपक्ष दोनों ने एक दूसरे पर आरोप लगाए. साल 2014 में सुप्रीम कोर्ट ने जांच के लिए SIT का गठन किया था. जांच पर कांग्रेस और दूसरे दलों ने लगातार आरोप लगाए थे कहा गया कि SIT सीएम चौहान को बचाने की कोशिश कर रही है. हालांकि, इस दौरान 2 हजार से ज्यादा लोगों की गिरफ्तारी हुई.साल 2015 में सीएम चौहान भी CBI जांच के लिए राजी हो गए थे. सुप्रीम कोर्ट ने SIT से इस मामले को लेकर CBI को सौंप दिया. जांच अभी भी जारी है.
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