प्रवर्तन निदेशालय (ED) ने बुधवार को महाराष्ट्र के पूर्व गृह मंत्री अनिल देशमुख (Anil Deshmukh) के खिलाफ मनी लॉन्ड्रिंग और बार मालिकों से कथित रूप से रिश्वत लेने के संबंध में सप्लीमेंट्री चार्जशीट दाखिल की.
बता दें कि, ईडी ने देशमुख को 2 नवंबर को गिरफ्तार किया था. केंद्रीय एजेंसी ने दावा किया था कि पिछले आरोपपत्र में आरोपी के रूप में नामित बर्खास्त सिपाही सचिन वाजे द्वारा कथित रूप से एकत्र किए गए रिश्वत के पैसे पर किए गए लॉन्ड्रिंग के प्राथमिक लाभार्थी थे.
ईडी ने आरोप लगाया कि देशमुख का परिवार उन 27 कंपनियों की गतिविधियों को परोक्ष रूप से नियंत्रित या प्रबंधित कर रहा था, जिनका इस्तेमाल मनी लॉन्ड्रिंग करने के लिए किया जाता था और रिश्वत के पैसे को दिल्ली स्थित पेपर कंपनियों द्वारा देशमुख के ट्रस्ट 'साईं शिक्षण संस्थान' को दिए गए दान के रूप में दिखाया गया था.
देशमुख ने आरोपों को नकारा
अनिल देशमुख हिरासत में हैं और उन्हें जमानत के लिए पेश करना बाकी है. देशमुख के दो अन्य कर्मचारी - संजीव पलांडे और कुंदन शिंदे - भी हिरासत में हैं, क्योंकि एक विशेष अदालत ने उन्हें यह कहते हुए जमानत देने से इनकार कर दिया था कि उन्होंने मिलीभगत की थी. देशमुख ने आरोपों का खंडन करते हुए कहा था कि उनके खिलाफ कोई सबूत नहीं है.
बता दें कि इससे पहले देशमुख गिरफ्तारी के बाद से ही ईडी की कस्टडी में थे. जिस दौरान उन्हें अंबानी बम धमकी मामले के मुख्य आरोपी सचिन वाजे को सामने लाया गया और दोनों से पूछताछ की गई, दोनों का बयान दर्ज किया गया. देशमुख पर वाजे और परमबीर सिंह ने जबरन वसूली के गंभीर आरोप लगाए थे. जिसके बाद सीबीआई ने मामला दर्ज किया. इसी एफआईआर के आधार पर ईडी ने भी मनी लॉन्ड्रिंग का केस दर्ज किया.
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