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Mumbai: 9 साल पहले किडनैपिंग- अब परिवार से मिली, घर पहुंचने की है दिलचस्प कहानी

लापता पूजा 4 अगस्त साल 2022 को अपने परिवार वालों से मिली.

Published
भारत
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22, जनवरी 2013, सुबह के 7 बजे, 7 साल की पूजा घर से स्कूल के लिए निकलती है लेकिन स्कूल पहुंचने से पहले ही उसे अगवा कर लिया जाता है. पुलिस, परिवार सब ढूंढ़ते हैं, एफआईआर दर्ज होती है, लेकिन पूजा का कहीं पता नहीं चलता है. लेकिन अचानक 9 साल बाद 4 अगस्त 2022 को वो बच्ची अचानक अपने घर वालों से मिलती है. वो भी अपने घर से सिर्फ 500 मीटर की दूरी पर.

आपको बता दें कि 4 अगस्त साल 2022 को 8 बजकर 20 मिनट पे लापता लड़की अपने परिवार वालों से करीब 9 साल बाद मिली. लापता लड़की का नाम पूजा गौड़ (Pooja Gaud) है. पूजा सात साल की उम्र में ही किडनैप हो गई थी, और अब पूजा 16 साल की हो चुकी है. मिसिंग गर्ल नंबर 166 (Missing Girl Case 166) मुंबई में अंधेरी वेस्ट के पास अपने घर से केवल 500 मीटर दूर रह रही थी.

राजेंद्र ढोंडू भोसले ( Rajendra Dhondu Bhosale) साल 1980 में येलो गेट स्टेशन में हेड कांस्टेबल थे, उस दौरान उन्हें उनके घर से एक कॉल आई थी. तब उनको पता चला था कि उनकी बहन की मौत हो गई. तब भोसले की उम्र मात्र 23 साल थी तभी उनकी पोस्टिंग मुंबई पुलिस में हो गई.

इंडियन एक्सप्रेस रिपोर्ट के अनुसार, साल 2013 में 22 जनवरी को पूजा अपने भाई के साथ स्कूल जा रही थी, और दोनों भाई बहन के बीच पॉकेट मनी को लेकर लड़ाई हुई थी. जिस वजह से पूजा अपने भाई के पीछे-पीछे चल रही थी. इसका फायदा आरोपी जोजफ डिसूजा ने उठा लिया और बच्ची को किडनैप कर लिया.

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जोजफ डिसूजा के खुद का कोई बच्चा नहीं था. इस वजह से उसने स्कूल के बाहर से पूजा को किडनैप कर लिया था. पूजा के लापता होने से उसके घर वालों ने एफआईआर दर्ज करवा दी, जिसके डर से जोजफ ने पूजा को कर्नाटक के एक हॉस्टल भेज दिया था. इसी वजह से मुंबई पुलिस की इतनी छानबीन से भी पूजा का पता नहीं चल पा रहा था.

रिपोर्ट के मुताबिक, जोजफ के साल 2016 में खुद का एक बच्चा पैदा हो गया था और उसको दो-दो बच्चों का खर्च अकेले संभालना मुश्किल हो रहा था. इस वजह से उसने पूजा को कर्नाटक से वापस बुलवा लिया और उससे बेबी सिटिंग का काम करवाने लगा.

पूजा ने कई साल बेबी सिटिंग का काम किया. जहां जहां उसने काम किया वहां के लोगों से उसने बताया कि "मेरी मम्मी सोनी मुझे खूब मारती है और मेरे पापा हमेशा शराब पी कर आते हैं और मुझे खूब मारते हैं और कहते है कि मैं तुम्हे साल 2013 में कहीं से उठाकर लाया था. इससे मुझे ये तो पता चल गया को वे मेरे माता पिता नहीं है लेकिन मैं डर के मारे कहीं भागी नहीं".
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पूजा जहां बेबी सिटिंग का काम कर रही थी उन्होंने गूगल पर मिसिंग गर्ल पूजा सर्च किया, वहां उनको पूजा से जुड़े आर्टिकल और कैंपेन मिले. रिपोर्ट के अनुसार जहां पूजा काम करती थी वहां के अंकल ने बताया कि आर्टिकल में खुद का फोटो देखने के बाद पूजा को सब याद आ गया, यहां तक कि उसको अपना घर भी याद आ गया और माता-पिता भी याद आ गए थे. हमें मिसिंग पोस्टर पर कुल 5 नंबर मिले थे, जिनमें से 4 तो बंद ही थे लेकिन एक खुला था. वो नंबर पूजा के घर के बगल में रह रहे रफीक का था. हमने पूजा से रफीक की बात करवाई, लेकिन रफीक को पूजा पर यकीन नहीं हुआ, इसलिए उसने एक फोटो मांगी फिर वीडियो कॉल का स्क्रीनशॉट पूजा की मम्मी और अंकल को दिखाया. पूजा की फोटो देख कर उनके घर वालों को भी यकीन नहीं हुआ, फिर पूजा के घर वालों ने पुलिस को इन्फॉर्म किया उसके बाद पुलिस ने जांच पड़ताल की तब जाकर पूजा 9 साल बाद अपने घरवालों से मिली.
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राजेंद्र ढोंडू भोसले पुलिस से रिटायर हुए लेकिन इंसानियत से नहीं

पूजा की लापता होने की रिपोर्ट उसके घर वालों ने डीएन नगर पुलिस स्टेशन में लिखाया था. ये केस भी सब इंस्पेक्टर राजेंद्र ढोंडू भोसले के पास गया था. क्योंकि भोसले साल 2008 से 2015 में सारे गुम बच्चों की तलाश कर रहे थे. भोसले ने रिटायर होने से पहले 165 बच्चों को ढूंढ निकाला था.

आपको बता दें कि भोसले के लिए ये केस 166 नंबर पर था. भोसले इस केस को सॉल्व नहीं कर पाए थे. लेकिन रिटायर होने के बाद भी 7 साल तक इस केस का पीछा नहीं छोड़ा. इस केस के सुलझने के बाद भोसले ने कहा कि " आप एक पुलिस वाले के रूप में रिटायर हो सकते हैं लेकिन एक इंसान के रूप में आप कभी भी रिटायर नहीं हो सकते हैं. इंसानियत तब तक जिंदा है जब तक आप जिंदा हो, एक बेटी के लापता होने का दुख आपको समझना होगा, और जो इस दुख को नहीं समझ पाया वो इंसान ही नहीं है".

आपको बता दें कि पूजा गौड़ के मेडिकल टेस्ट हो रहे है तब तक पूजा को चाइल्ड वेलफेयर के पास रखा जाएगा. सारे टेस्ट के बाद पूजा अपने घर वापस जा सकती है. पुलिस की एक टीम जांच के लिए कर्नाटक भी रवाना हो चुकी हैं.

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