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मुस्लिम शख्स ने रोजा तोड़, अपना खून देकर बचाई हिंदू बच्चे की जान

जहां सोशल मीडिया पर धर्म के नाम पर कुछ लोग नफरत फैला रहे हैं वहीं कुछ लोग ये साबित कर रहे हैं कि इंसानियत जिंदा है.

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भारत
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घर से मस्जिद है बहुत दूर चलो यूं कर लें

किसी रोते हुए बच्चे को हंसाया जाए

उर्दू शायर निदा फाजली के इस शेर को समझने के लिए बिहार के दरभंगा की एक घटना ही काफी है. दरअसल, दरभंगा में एक मुस्लिम शख्स ने रमजान के दौरान अपना रोजा तोड़कर एक हिंदू बच्चे की जान बचाई है.

दो दिन पहले जन्मे एक बच्चे को खून की जरूरत थी. बच्चे का ब्लड ग्रुप ओ-नेगेटिव होने के कारण कोई भी डोनर नहीं मिल पा रहा था. तब ही सोशल मीडिया की मदद से मोहम्मद अशफाक नाम के शख्स ने अपना रोजा तोड़कर बच्चे को खून दिया ताकि उसकी जान बच सके.

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क्या है पूरा मामला?

दरभंगा के रहने वाले एक एसएसबी जवान रमेश कुमार सिंह की पत्नी आरती कुमारी ने एक प्राइवेट नर्सिंग होम में एक बच्चे को जन्म दिया, लेकिन जन्म के बाद बच्चे की हालत बिगड़ने लगी. बच्चे को तुरंत आईसीयू में शिफ्ट किया गया.

जहां सोशल मीडिया पर धर्म के नाम पर कुछ लोग नफरत फैला रहे हैं वहीं कुछ लोग ये साबित कर रहे हैं कि इंसानियत जिंदा है.

डॉक्टर ने बच्चे को बचाने के लिए खून की मांग की. लेकिन बच्चे का ब्लड ग्रुप ओ-नेगेटिव (रेयर) था, जोकि बहुत कम लोगों में पाया जाता है. साथ ही खून आसपास के अस्पतालों में भी उपलब्ध नहीं था.

सोशल मीडिया ने किया कमल

बच्चे को बचाने के लिए परिवारवालों ने अपने जान पहचान से लेकर सोशल मीडिया पर लोगों से खून देने की अपील की. तब ही सोशल मीडिया पर ये खबर मोहम्मद अशफाक ने भी पढ़ी. और उन्होंने तुरंत बच्चे के परिवारवालों से संपर्क किया और खून देने अस्पताल पहुंच गए.

लेकिन रमजान होने की वजह से अशफाक का रोजा था. ऐसे में डॉक्टरों ने रोजे के हालत में उनका खून लेने से मना कर दिया. लेकिन बच्चे की जान बचाने के लिए अशफाक ने रोजा तोड़ दिया और डॉक्टरों से खून लेने के लिए कहा. 

फिलहाल बच्चा खतरे से बाहर है.

अशफाक ने कहा कि रमजान का महीना है और खुदा ने उन्हें किसी की जान बचाने के लिए चुना यही उनके लिए गर्व की बात है. उन्होंने कहा,

रोजा तो फिर कभी रख लेंगे पर जिंदगी किसी की लौट कर नहीं आती. उन्हें गर्व है की आज खुदा ने उनसे यह काम करवाया, उन्हें इस बात से भी कोई फर्क नहीं पड़ता कि बच्चा किस जाति या धर्म का है.
मोहम्मद अशफाक
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सोशल मीडिया पर नफरत फैलाने वालों को करारा जवाब

बच्चे के पिता रमेश कुमार सिंह ने बताया कि मैं उस वक्त जयनगर में अपने बटालियन में था जब मुझे खून की जरूरत की खबर मिली. अपने एसएसबी बटालियन से लेकर हर जगह खून के लिए मैसेज किया, लेकिन मेरे यहां पहुंचने से पहले ही खून का इंतजाम हो गया.

जो लोग देश में धर्म के नाम पर नफरत फैलाते हैं उन्हें आज जवाब मिल गया है. एक मुसलमान हिंदू के लिए अपना रोजा तोड़ देता है और उसकी जान बचाता है. ये देखकर हमें गर्व हो रहा है. मैं उस शख्स को सलाम करता हूं.
रमेश कुमार सिंह, बच्चे के पिता

जहां सोशल मीडिया पर धर्म के नाम पर नफरत फैलाने के काम कुछ लोग कर रहे हैं वहीं कुछ लोग ये साबित कर रहे हैं कि इंसानियत जिंदा है.

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