अयोध्या विवाद मामले की अंतिम सुनवाई के दौरान बुधवार को सुप्रीम कोर्ट में मुस्लिम पक्ष के वकील ने हिंदू पक्ष की तरफ से जमा दस्तावेज के टुकड़े-टुकड़े कर दिए. मुस्लिम पक्ष के वकील के नक्शा फाड़ दिए जाने की वजह से कोर्टरूम में माहौल गरम रहा. यह पांच जजों की बेंच के सामने किया गया, जिसकी अध्यक्षता चीफ जस्टिस रंजन गोगोई कर रहे थे.
इस पर चीफ जस्टिस रंजन गोगोई ने कड़ी प्रतिक्रिया दी. उन्होंने कहा कि मामले में शामिल पक्ष एक ऐसा माहौल पैदा कर रहा है, जो सुनवाई के अनुकूल नहीं है.
सुप्रीम कोर्ट में क्या हुआ?
सुनवाई के 40वें दिन अखिल भारतीय हिंदू महासभा की तरफ से पेश हुए वरिष्ठ वकील विकास सिंह ने एक किताब और कुछ दस्तावेज के साथ विवादित भगवान राम के जन्म स्थान की पहचान करते हुए एक पिक्टोरियल जमा किया.
मुस्लिम पक्ष की तरफ से पेश हुए वरिष्ठ वकील राजीव धवन ने दस्तावेज के रिकॉर्ड में नहीं होने की बात कहते हुए आपत्ति जताई. कोर्टरूम में पांच जजों की बेंच से नक्शे को फाड़ने की इजाजत मांगते हुए धवन ने कहा-
क्या, मुझे इस दस्तावेज (पिक्टोरियल नक्शे) को फाड़ने की इजाजत है...यह सुप्रीम कोर्ट है, कोई मजाक नहीं...
यह कहते हुए मुस्लिम पक्ष के वकील राजीव धवन ने दस्तावेज के टुकड़े-टुकड़े कर दिए. धवन ने हिंदू पक्ष के वकील विकास सिंह की ओर मामले से जुड़ी एक किताब जमा करने के प्रयास पर भी आपत्ति जताई.
विकास सिंह ने जोर दिया कि सीता रसोई और सीता कूप के पिक्टोरियल नक्शे से जगह की पहचान होती है, जो कि भगवान राम की जन्मभूमि है.
इसके बाद चीफ जस्टिस रंजन गोगोई ने कहा कि यह सुनवाई के अनुकूल वातावरण नहीं है, खास तौर से मुस्लिम पक्ष का व्यवहार. अदालत के भीतर मामलों की स्थिति पर अपनी पीड़ा जाहिर करते हुए चीफ जस्टिस ने कहा, "जहां तक हम समझते हैं, बहस खत्म हो गई है."
मुस्लिम पक्ष के वकील ने कौन सा नक्शा फाड़ा?
मुस्लिम पक्ष के वकील राजीव धवन ने हिंदू महासभा के वकील की तरफ से दी गई नक्शे की कॉपी फाड़ दी. हिंदू महासभा के वकील विकास सिंह, लेखक और पूर्व आईपीएस किशोर कुणाल की किताब अयोध्या रिविजिटेड के नक्शे को दूसरे दस्तावेजों से मिलाकर अपनी बात रखना चाहते थे. लेकिन धवन ने कहा कि किताब रिकॉर्ड का हिस्सा नहीं है और वह भड़क गए.
ये किताब साल 2016 में प्रकाशित हुई थी. इस किताब में लिखा गया है कि अयोध्या स्थित राम मंदिर को 1528 में मीर बारी ने ध्वस्त नहीं किया था, बल्कि इसे 1660 में औरंगजेब के रिश्तेदार फिदाई खान ने तोड़ा था.
पहला नक्शा साल साल 1810 में फ्रांसिस बुकानन ने बनाया था. उस नक्शे और दूसरे दस्तावेजों के आधार पर यह नक्शा किशोर कुणाल ने बनाया. दोनों नक्शे उनकी किताब में हैं. राम जन्मस्थान के दोनों नक्शों को कोर्ट में रखा गया था.
किशोर कुणाल की किताब में दावा किया गया है कि 6 दिसंबर 1992 को जिस विवादित ढांचे को तोड़ा गया वो बाबरी मस्जिद नहीं थी. किताब में कहा गया है कि इस बात के पर्याप्त सबूत हैं, कि यहां पर राम मंदिर था.
राम मंदिर के दावे को साबित करने के लिए किशोर कुणाल की किताब में पहली बार 12 नए दस्तावेज जोड़े गए थे. हिंदू महासभा के वकील विकास सिंह ने इसी किताब को कोर्ट में पेश करने की कोशिश की थी.
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