ऑल इंडिया मुस्लिम पर्सनल लॉ बोर्ड (AIMPLB) ने अयोध्या मामले पर सुप्रीम कोर्ट के फैसले के खिलाफ पुनर्विचार याचिका दाखिल करने का फैसला किया है. मुस्लिम पक्ष ने कहा कि उन्हें सुप्रीम कोर्ट का फैसला मान्य नहीं है और न ही किसी दूसरी जगह पर मस्जिद के लिए 5 एकड़ जमीन मंजूर है.
सुप्रीम कोर्ट का फैसला राम मंदिर के पक्ष में जाने के बाद रविवार को ऑल इंडिया मुस्लिम पर्सनल लॉ बोर्ड ने इस मामले पर मीटिंग की. इसके बाद बोर्ड ने प्रेस कॉन्फ्रेंस में सुप्रीम कोर्ट के फैसले को चुनौती देने का ऐलान किया.
ऑल इंडिया मुस्लिम पर्सनल लॉ बोर्ड (AIMPLB) ने कहा-
- सुप्रीम कोर्ट ने अपने फैसले में माना कि अयोध्या की विवादित जमीन पर नमाज पढ़ी जाती थी
- सुप्रीम कोर्ट ने माना कि मंदिर को तोड़कर मस्जिद नहीं बनाई गई है
- गुंबद के नीचे जन्मस्थान होने के कोई प्रमाण नहीं मिला है
- जन्मस्थान को न्यायिक व्यक्ति नहीं माना जा सकता
- हमने जिस विवादित जमीन के लिए लड़ाई लड़ी थी, वही जमीन चाहिए
- अगर मस्जिद को ना तोड़ा गया होता तो क्या अदालत मस्जिद तोड़कर मंदिर बनाने के लिए कहती ?
“कोर्ट ने मुस्लिम पक्ष के अधिकतर तर्कों को स्वीकार किया”
देश के प्रमुख मुस्लिम संगठन जमीयत उलेमा-ए-हिंद के प्रमुख मौलाना अरशद मदनी ने कहा, ''माननीय सुप्रीम कोर्ट ने एक हजार से ज्यादा पेजों वाले फैसले में मुस्लिम पक्ष के अधिकतर तर्कों को स्वीकार किया. ऐसे में अभी भी कानूनी विकल्प मौजूद हैं.''
कोर्ट ने पुरातत्व विभाग की रिपोर्ट से ये साफ कर दिया है कि मस्जिद का निर्माण किसी मंदिर को तोड़कर नहीं किया गया और 1949 में मस्जिद के बाहरी हिस्से में अवैध रूप से मूर्ति रखी गयी और फिर वहां से उसे अंदर के गुंबद के नीचे वाले हिस्से में ट्रांसफर कर दिया गया जबकि उस दिन तक वहां नमाज का सिलसिला जारी था.मौलाना अरशद मदनी, प्रमुख, जमीयत उलेमा-ए-हिंद
कोर्ट ने भी माना कि 1857 से 1949 तक मुसलमान वहां नमाज पढ़ता रहा तो फिर 90 साल तक जिस मस्जिद में नमाज पढ़ी जाती हो उसको मंदिर को देने का फैसला समझ से परे हैं.मौलाना अरशद मदनी, प्रमुख, जमीयत उलेमा-ए-हिंद
AIMPLB की मीटिंग के लिए एआईएमआईएम चीफ असदुद्दीन ओवैसी समेत दूसरे मुस्लिम नेता मीटिंग के लिए पहुंचे थे. पहले यह मीटिंग लखनऊ के नदवा क्षेत्र में होनी थी. लेकिन ऐन मौके पर इसे बदल दिया गया.
सुप्रीम कोर्ट ने अयोध्या मामले पर सुनवाई करते हुए फैसला रामलला विराजमान के पक्ष में सुनाया था. वहीं निर्मोही अखाड़े और सुन्नी वक्फ बोर्ड का दावा खारिज कर दिया गया था. सुप्रीम कोर्ट ने मुस्लिम पक्ष को अयोध्या में ही 5 एकड़ जमीन देने का निर्देश दिया था.
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