ऑल इंडिया मुस्लिम पर्सनल लॉ बोर्ड (AIMPLB) ने सुप्रीम कोर्ट को बताया है कि पुरुषों की तरह ही मुस्लिम महिलाओं को भी नमाज के लिए मस्जिद में जाने की अनुमति है. AIMPLB का यह जवाब यासमीन जुबैर अहमद की एक याचिका के बाद आया है. इस याचिका में मस्जिदों में महिलाओं का प्रवेश सुनिश्चित करने के लिए न्यायिक दखल की मांग की गई है. इस पर सीजेआई एसए बोबडे की अगुवाई वाली 9 जजों की संविधान बेंच सुनवाई करेगी.
इस बेंच ने 13 जनवरी को कहा था कि वो इस व्यापक मुद्दे का निपटारा करेगी कि क्या अदालतें विशेष धार्मिक आचरणों में हस्तक्षेप कर सकती हैं और वो मस्जिद में मुस्लिम महिलाओं के प्रवेश की मांग करने वाली याचिकाओं सहित अन्य याचिकाओं के समूह पर सुनवाई करेगी.
बेंच जिन बाकी विषयों पर विचार करेगी, उनमें केरल के सबरीमला मंदिर में सभी उम्र की लड़कियों और महिलाओं के प्रवेश का मुद्दा और दाउदी बोहरा मुस्लिम समुदाय और पारसी समुदाय से जुड़े विषय भी शामिल हैं.
AIMPLB के सचिव मोहम्मद फजलुर रहीम ने अपने हलफनामे में कहा, ''इस्लाम के अनुयायियों की धार्मिक मान्यताओं, धार्मिक पाठों और सिद्धांतों पर विचार करते हुए यह बात कही जा रही है कि मस्जिद के भीतर नमाज अदा करने के लिए महिलाओं को मस्जिद में प्रवेश की अनुमति है. इसलिए कोई भी मुस्लिम महिला नमाज के लिए मस्जिद में जाने के लिए स्वतंत्र है.’’
इस हलफनामे में कहा गया है, ‘‘ऑल इंडिया मुस्लिम पर्सनल लॉ बोर्ड इस संबंध में किसी विरोधाभासी धार्मिक विचार पर टिप्पणी नहीं करना चाहता.’’ हलफनामे के मुताबिक, इस्लाम में महिलाओं के लिए जमात में शामिल होकर नमाज अदा करना अनिवार्य नहीं है, ना ही महिलाओं के लिए जुमे की नमाज को जमात के साथ अदा करना अनिवार्य है, जबकि ऐसा करना पुरुषों के लिए अनिवार्य है.
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