बिहार के मुजफ्फरपुर शेल्टर होम केस में लगातार तीसरी बार फैसला टल चुका है. अब कोर्ट 20 जनवरी को फैसला सुनाएगा. इससे पहले दिल्ली की एक कोर्ट ने 14 जनवरी तक फैसला टाल दिया था. जिसके बाद उम्मीद की जा रही थी कि फैसला आ सकता है. मुजफ्फरपुर शेल्टर होम में कई लड़कियों का यौन उत्पीड़न और हत्या तक के आरोप लगे थे. इस केस को लेकर बिहार की नीतीश कुमार सरकार लगातार विपक्ष के निशाने पर रही है.
पहले भी टाला गया फैसला
इससे पहले भी इस मामले पर फैसला टाला जा चुका है. हर बार किसी न किसी कारण से फैसला टल गया. पिछली बार एडिशनल जज सुदेश कुमार ने फैसला 14 जनवरी तक के लिए इसलिए टाल दिया था, क्योंकि मामले पर सुनवाई करने वाले जज सौरभ कुलश्रेष्ठ छुट्टी पर थे. वहीं इससे पहले भी फैसला टाला गया था. तब दिल्ली की सभी 6 जिला अदालतों में वकील हड़ताल पर थे, जिसके कारण तिहाड़ जेल में बंद 20 आरोपियों को अदालत परिसर में नहीं लाया जा सका था.
सीबीआई ने हाल ही में इस केस को लेकर एक बड़ा खुलासा किया था. सीबीआई का कहना था कि मुज्जफरपुर शेल्टर होम में किसी लड़की की हत्या नहीं हुई. इससे पहले पुलिस ने लड़कियों के कंकाल मिलने का दावा किया था. लेकिन अब पुलिस ने कहा कि वहां मिले कंकाल शेल्टर होम में रहने वाली लड़कियों में से किसी के नहीं थे.
इस चर्चित मामले में बिहार पीपुल्स पार्टी के पूर्व विधायक ब्रजेश ठाकुर मुख्य आरोपी है. कोर्ट ने 20 मार्च, 2018 को नाबालिगों से बलात्कार और यौन उत्पीड़न की साजिश रचने के अपराध में ठाकुर समेत कई आरोपियों के खिलाफ आरोप तय किए थे.
यह मामला उस वक्त सामने आया था जब टाटा इंस्टीट्यूट ऑफ सोशल साइंसेज (टीआईएसएस) ने 26 मई, 2018 को बिहार सरकार को एक रिपोर्ट सौंपी थी जिसमें शेल्टर होम में नाबालिग लड़कियों से कथित यौन उत्पीड़न की घटनाओं का जिक्र किया गया था.
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