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नागालैंड:गोलीबारी में बचा युवक बोला- उन्होंने हम पर गोली चलाई, हम भागे नहीं थे

गृह मंत्री Amit Shah और पीड़ित के बयान में फर्क.

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भारत
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"डायरेक्ट मारिस ... उन्होंने हम पर गोली चला दी." ये कहना है 23 वर्षीय शीवांग का जो फिलहाल डिब्रूगढ़ में असम मेडिकल कॉलेज और अस्पताल (एएमसीएच) में जीवन के लिए संघर्ष कर रहा है. नागालैंड (Nagaland) के मोन जिले के ओटिंग गांव में आठ आम नागरिकों के एक ग्रुप पर सेना ने गोलीबारी की थी, जिसमें से दो बच गए. इन्हीं दो में से शीवांग एक है.

इंडियन एक्सप्रेस के मुताबिक, शिवांग की कोहनी और छाती पर गोली लगी है. शिवांग के अलावा 30 वर्षीय येहवांग हैं, जिसके कान के पास एक गोली लगी है.

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गृह मंत्री और पीड़ित के बयान में फर्क

बता दें कि गृहमंत्री अमित शाह ने संसद में सोमवार को एक बयान में कहा कि, नागालैंड में सूचना के आधार पर सेना के 21 कमांडो के एक दस्ते ने 4 दिसंबर 2021 की शाम को संदिग्ध क्षेत्र में एंबुश लगाया था. एंबुश के दौरान एक वाहन यहां पहुंचा, उसे रोकने का इशारा और प्रयास किया गया. रुकने की बजाय वाहन द्वारा उस जगह से तेजी से निकलने का प्रयास किया गया. जिसके बाद इस आशंका पर कि वाहन में संदिग्ध विद्रोही जा रहे थे, इस पर गोली चलाई गई, जिसमें सवार 8 में से 6 लोगों की मौत हो गई.

हालांकि, इंडियन एक्सप्रेस से बात करते हुए पीड़ित शीवांग कुछ अलग कहानी बताते हैं, वो कहते हैं: “हमें रुकने का संकेत नहीं दिया गया था. उन्होंने हमें सीधे मार डाला. हम भागने की कोशिश नहीं कर रहे थे... हम बस गाड़ी में थे."

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सेना की गोलीबारी में 6 आम नागरिकों की हत्या के बाद, मोन जिले में हिंसा भड़क उठी जिसमें सुरक्षा बलों की गोलीबारी में आठ और नागरिक मारे गए. इसमें एक जवान शहीद हो गया और कई सुरक्षाकर्मी घायल हो गए. वहीं अबतक कुल 13 नागरिकों की बात सामने आई है.

घटना को याद करते हुए इंडियन एक्सप्रेस से शीवांग कहते हैं कि पिछले शनिवार को कोयला खदान में काम खत्म कर आठ लोग पिकअप ट्रक से घर लौट रहे थे.

“अचानक, रास्ते में, हम पर गोली चला दी गई. मुझे याद नहीं है कि यह कितने समय तक चला, लेकिन यह थोड़ी देर के लिए था. ऐसा लग रहा था जैसे बम फट रहे हों. अंधेरा भी नहीं हुआ था, फिर भी उन्होंने हमें गोली मार दी. उसके बाद (गोलीबारी) मुझे एक दूसरी गाड़ी में ले जाया गया."

जब उनसे पूछा गया कि क्या उनके पास कुछ सामान था जो वो ले जा रहे हैं, तो जवाब में शीवांग ने कहा कि "उनके हाथ में कुछ नहीं था."

"मैंने एक हफ्ते के लिए खदान में काम किया... हम शनिवार को लगभग 3 बजे निकले," बता दें कि खदान ओटिंग गांव से लगभग 6 किमी दूर तिरु घाटी में है.

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अस्पताल के स्टाफ ने घायलों की पहचान के लिए सोशल मीडिया पर डाली फोटो

एएमसीएच के एक डॉक्टर ने नाम न छापने की शर्त पर इंडियन एक्सप्रेस से कहा कि दोनों घायलों को रविवार की सुबह अस्पताल में "छोड़ दिया" गया. "कोई नहीं जानता था कि वे कौन थे, कहां से आए थे." एक और डॉक्टर ने कहा कि अफवाह/संदेह था कि वे "विद्रोही" हो सकते हैं.

शेवांग के एक रिश्तेदार न्येमखाह बताते हैं कि जैसे ही हत्याओं की खबर सामने आई, अस्पताल के कर्मचारियों ने उनकी तस्वीरें सोशल मीडिया पर अपलोड करने का फैसला किया. “इस तरह उन्होंने गांव से संपर्क स्थापित किया. नहीं तो किसी को नहीं पता होता कि वे कौन थे."

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