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नरेंद्र मोदी: शस्त्र पूजा से जय श्री राम तक, युद्ध से बुद्ध की ओर

विजयादशमी पर शस्त्र पूजा, अब पुरानी प्रथा से पीएम मोदी ने तोड़ा नाता.

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हम वो लोग हैं जो युद्ध से बुद्ध की ओर चलते हैं. परिस्थियों की वजह से युद्ध कभी-कभी आवश्यक हो जाते हैं. यह देश सुदर्शन चक्रधारी मोहन को युगपुरुष मानता है. उनके जीवन में भी युद्ध था. लेकिन हमारे देश की विशेषता यही है कि हम संतुलन लेकर चलने वाले लोग हैं. - ऐशबाग रामलीला में बोले पीएम मोदी

लखनऊ के ऐशबाग से पीएम मोदी ने देश को संदेश दिया कि आतंकवाद को बर्दाश्त नहीं किया जाएगा और परिस्थितियों के मुताबिक कभी- कभी युद्ध की आवश्यकता पड़ जाती है. राम- रावण जटायु, कृष्ण और बुद्ध के जिक्र के बीच पीएम मोदी ने गदा उठाया, चक्र घुमाया और फिर धनुष बाण भी चलाया.

पीएम मोदी के इस अवतार का अक्स दरअसल सालों पहले बतौर गुजराज सीएम के तौर पर ही दिखने लगा था. तब गुजरात के मुख्यमंत्री रहे नरेंद्र मोदी विजयादशमी सुरक्षाबलों के साथ मनाते थे. यही नहीं सीएम मोदी नवरात्र का व्रत शस्त्र पूजा के बाद ही खोलते थे. ये प्रथा गुजरात में उन्होंने ही शुरू की थी और कई सालों तक उन्होंने इसका पालन भी किया.

तस्वीरों में नरेंद्र मोदी की शस्त्र पूजा

शक्ति आराधना के पर्व नवरात्रि के पश्चात आने वाला विजयादशमी का पर्व विजयोत्सव के साथ जुड़ा हुआ है. शस्त्र-भक्ति की महिमा आसुरी ताकतों के खिलाफ दैवी शक्ति के विजय का महात्म्य दर्शाती है. सुरक्षा सेवा के सहयोगियों का जीवन शस्त्र के साथ जुड़ा हुआ है. शस्त्र की भक्ति हमें उसके दुरुपयोग की वृत्ति से दूर रखती है.
नरेंद्र मोदी (13 अक्टूबर, 2013)

ये बात और है कि साल 2014 में नरेंद्र मोदी देश के प्रधानमंत्री बन गए और उसके बाद उनके द्वारा शुरू की गई शस्त्र पूजा की प्रथा गुजरात में ही रह गई. पीएम मोदी ने 3 अक्टूबर 2014 को दिल्ली के सुभाष ग्राउंड में पूर्व पीएम मनमोहन सिंह और सोनिया गांधी के साथ विजयादशमी मनाया.

साल 2015 में पीएम मोदी दशहरे पर आंध्र प्रदेश में थे. और फिर 2016 में लखनऊ में. इस बीच गुजरात में शस्त्रपूजा की प्रथा को आनंदीबेन और विजय रुपानी ने जिंदा रखा है.

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शस्त्रपूजा का चलन कहां से आया?

राम ने दशहरे के दिन रावण पर विजय प्राप्त की थी, तभी से नवरात्रि में शक्ति और शस्त्र पूजा की परंपरा चली आ रही है. प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी राष्ट्रीय स्वयंसेवक संघ के प्रचारक रहे हैं और इस संगठन में दशहरा के दिन शस्त्र पूजन और पथ संचलन की परंपरा रही है. भारतीय सेना के राजपूत, जाट, मराठा, कुमायूं , गोरखा रेजीमेंट्स में शस्त्र पूजा धूमधाम से की जाती है.

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