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"भारत व्यापक भूमिका का हकदार, हम तटस्थ नहीं"- WSJ को दिए इंटरव्यू में PM मोदी

"दुनिया को पूरा विश्वास है कि भारत की सर्वोच्च प्राथमिकता शांति है": PM Modi

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अमेरिकी दौरे से पहले प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने वॉल स्ट्रीट जर्नल को दिए इंटरव्यू में भारत की संप्रभुता और गरिमा की रक्षा की बात की. इस दौरान उन्होंने कहा कि भारत संप्रभुता और क्षेत्रीय अखंडता का सम्मान करने, कानून के शासन का पालन करने और मतभेदों और विवादों के शांतिपूर्ण समाधान में विश्वास रखता है.

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बता दें, अमेरिका की राजकीय यात्रा के लिए रवाना होने से पहले वॉल स्ट्रीट जर्नल को एक इंटरव्यू दिया. इस दौरान उन्होंंने कहा कि भारत अपनी संप्रभुता और गरिमा की रक्षा करने के लिए प्रतिबद्ध है. सभी देशों को अंतरराष्ट्रीय कानून और देशों की संप्रभुता का सम्मान करना चाहिए और विवादों को कूटनीति और संवाद से सुलझाया जाना चाहिए.

प्रधानमंत्री ने साक्षात्कार में कहा कि दुनिया को पूरा विश्वास है कि भारत की सर्वोच्च प्राथमिकता शांति है. कुछ लोग कहते हैं कि हम तटस्थ हैं, लेकिन हम तटस्थ नहीं हैं. हम शांति के पक्ष में हैं.

संयुक्त राष्ट्र सुरक्षा परिषद के संबंध में मोदी ने कहा कि...

"परिषद की वर्तमान सदस्यता का मूल्यांकन होना चाहिए और दुनिया से पूछा जाना चाहिए कि क्या वह भारत को वहां रखना चाहती है? प्रधान मंत्री ने कहा कि भारत जो कुछ भी कर सकता है, वह करेगा और संघर्ष को समाप्त करने और स्थायी शांति और स्थिरता सुनिश्चित करने के लिए सभी वास्तविक प्रयासों का समर्थन करेगा."

उन्होंने कहा कि चीन के साथ सामान्य द्विपक्षीय संबंधों के लिए सीमावर्ती क्षेत्रों में अमन-चैन जरूरी है.

इंटरव्यू में पीएम मोदी ने कहा कि वह स्वतंत्र भारत में पैदा होने वाले पहले प्रधानमंत्री हैं, मैं जो कहता हूं और करता हूं, वह मेरे देश की विशेषताओं और परंपराओं से प्रेरित और प्रभावित है. मैं इससे ताकत हासिल करता हूं. उन्होंने कहा कि...

"मैं अपने देश को दुनिया के सामने वैसा ही पेश करता हूं, जैसा मेरा देश है और खुद को जैसा मैं हूं. भारत-अमेरिका संबंधों पर प्रधानमंत्री ने साक्षात्कार में कहा कि अमेरिका और भारत के नेताओं के बीच अभूतपूर्व विश्वास है. भारत एक उच्च और व्यापक भूमिका का हकदार है."

साक्षात्कार में प्रधानमंत्री मोदी के हवाले से कहा गया है कि, हम भारत को किसी भी देश की जगह लेने वाले के रूप में नहीं देखते हैं. हम इस प्रक्रिया को भारत को दुनिया में अपना सही स्थान प्राप्त करने के रूप में देखते हैं. आज दुनिया पहले से कहीं अधिक परस्पर जुड़ी हुई और अन्योन्याश्रित है.

इनपुटः IANS

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