राष्ट्रपिता महात्मा गांधी के लिए 30 जनवरी, 1948 का दिन आम दिनों की तरह ही था. लेकिन शाम 5.17 बजे जो हुआ, उसने पूरी दुनिया को हिलाकर रख दिया.
कोई सोच भी नहीं सकता था कि एक संत जैसे बुजुर्ग इंसान, जिसने साम्राज्यवाद के खिलाफ इतिहास की सबसे शानदार लड़ाई का नेतृत्व किया, जिसने दुनिया की सबसे ताकतवर सत्ता के खिलाफ अहिंसक संघर्ष की नींव रखी, उसकी इतनी कायरता और बेरहमी से कोई हत्या कर सकता है.
नाथूराम गोडसे ने महात्मा गांधी के सीने में एक के बाद एक तीन गोलियां दाग दीं और सैकड़ों लोगों के सामने उनकी मृत्यु हो गई.
30 जनवरी को बापू की हत्या के पहले, उन्होंने जिस तरीके से अपना दिन बिताया, उन चीजों को हम सिलसिलेवार ढंग से यहां रख रहे हैं.
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