एनआरसी 31 अगस्त को पब्लिश किया जाएगा. इस लिस्ट से 41 लाख लोगों के नाम मिसिंग हैं. इसके बाद उनसे भारतीय कहलाने का हक छिन जाएगा और उनको विदेशी माना जाएगा.
एनआरसी मतलब नेशनल रजिस्टर ऑफ सिटिजंस को बनाने के पीछे मकसद था कि असम में गैर कानूनी रूप से रह रहे विदेशियों की पहचान की जाए.
नागरिकता साबित करने के लिए 1951 में बनाई गई पहली एनआरसी में नाम होना चाहिए या फिर 24 मार्च 1971 तक हुए चुनावों की वोटर लिस्ट में नाम होना चाहिए. बर्थ सर्टिफिकेट्स, पासपोर्ट, रिफ्यूजी रजिस्ट्रेशन सर्टिफिकेट, लैंड रिकॉर्ड्स, एजुकेशन रिकॉर्ड्स, सरकारी रोजगार के सर्टिफिकेट और भी कई बाकी डॉक्यूमेंट अपनी नागरिकता को साबित करने के लिए पेश किए जा सकते हैं.
यही बड़ा मुद्दा है आज का द बिग स्टोरी पॉडकास्ट, जिसमें हम दिन की सबसे बड़ी खबर के हर पहलू को आपके सामने रखते हैं.
(क्विंट हिन्दी, हर मुद्दे पर बनता आपकी आवाज, करता है सवाल. आज ही मेंबर बनें और हमारी पत्रकारिता को आकार देने में सक्रिय भूमिका निभाएं.)