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'बच्चे प्यासे गिरने लगे': नवी मुंबई में लू से 13 लोग कैसे मरे? चश्मदीद बता रहे

Navi Mumbai के खारघर में महाराष्ट्र भूषण कार्यक्रम में सोमवार तक लू लगने से कम से कम 13 लोगों की मौत हो गई

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"मुझे वैन्यू से बाहर और बस में जितने रिश्तेदारों को ले जा सकता था, ले गया. लेकिन मेरे एक रिश्तेदार ने मुझे यह बताने के लिए कॉल कि मेरे चाचा जो पीछे छूट गए थे, गिर गए हैं. हम उन्हें हॉस्पिटल ले गए."

यह कहना है नीलेश पाठक का, जिनके 45 वर्षीय चाचा कैलाश दाभाडे का लू लगने के बाद नवी मुंबई (Navi Mumbai) के सरकारी अस्पताल में इलाज चल रहा है.

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यह परिवार सामाजिक कार्यकर्ता और सुधारक अप्पासाहेब धर्माधिकारी के हजारों कट्टर समर्थकों में से एक है. यह परिवार भी 16 अप्रैल को लोनावाला से नवी मुंबई उस कार्यक्रम में शामिल होने आया था, जहां अप्पासाहेब धर्माधिकारी को केंद्रीय गृह मंत्री अमित शाह द्वारा 'महाराष्ट्र भूषण' पुरस्कार से सम्मानित किया गया था.

इस कार्यक्रम के दौरान लू लगने से रविवार को ही कम से कम 11 लोगों की मौत हो गई, जबकि 120 को अस्पताल में भर्ती कराया गया. सोमवार शाम तक मरने वालों की संख्या बढ़कर 13 हो गई थी.

मामले में पुलिस द्वारा एक आकस्मिक मृत्यु रिपोर्ट (एडीआर) दायर की गई है. हालांकि मौतों ने वैन्यू के चुनाव, कार्यक्रम की शेड्यूल और आयोजकों के मैनेजमेंट पर कई सवाल उठाए हैं.

'भगदड़ शुरू हो गई थी': चश्मदीदों ने बताया कैसा था मंजर

नीलेश पाठक ने कहा कि आयोजकों ने 12 बसों का इंतजाम किया था और उनमें से एक में उनका परिवार लोनावाला से आया था. नीलेश पाठक की तरह लाखों लोग धर्माधिकारी के बोलने का इंतजार कर रहे थे.

पाठक ने कहा "कार्यक्रम में शामिल होने वाले राजनीतिक नेताओं से हमारा कोई लेना-देना नहीं था. हम वहां केवल अप्पासाहेब को सुनने आए थे, जो कार्यक्रम के बिल्कुल अंत में बोलने वाले थे. ज्यादातर लोग सिर्फ उन्हें सुनने के लिए इंतजार कर रहे थे."

नीलेश पाठक ने समझाते हुए कहा, "गर्मी अपने चरम पर थी. पीने के पानी की पर्याप्त मात्रा थी, लेकिन इसका इंतजाम जहां हम खड़े थे, वहां से थोड़ा दूर था. अप्पासाहेब का भाषण खत्म होने के बाद उन्होंने कार्यक्रम का समापन किया. भीड़ छोटे गेटों से होते हुए वैन्यू से बाहर जाने लगी. इसी बीच लोग लड़खड़ाने लगे और फिर गिरने लगे. इसके बाद भगदड़ और बढ़ गई."

कार्यक्रम में शामिल होने के लिए ठाणे जिले के मुरबाद से नरेंद्र गायकवाड़ (45) भी आए थे.

अवॉर्ड सेरमनी के खत्म होने के बाद मची भगदड़ में नरेंद्र गायकवाड़ गिर गए और अब उनके बाएं पैर में गंभीर चोट आई है. वे अस्पताल में भर्ती हैं.

न्यूज एजेंसी एजेंसी पीटीआई से बात करते हुए, रायगढ़ प्रशासन के एक अधिकारी ने कहा कि कार्यक्रम समाप्त होने तक पानी के टैंकर गर्म हो गए थे, जिसके कारण कई लोग प्यासे होने के बावजूद पर्याप्त पानी नहीं पी पाए और डिहाइड्रेशन का शिकार हुए. अधिकारी ने कहा कि कई लोगों ने घंटों पानी नहीं पिया क्योंकि वे "अवॉर्ड सेरोमनी देखने के लिए कब्जा किए अच्छे स्पॉट को खोना नहीं चाहते थे."

नवी मुंबई पुलिस की ओर से जारी एक प्रेस रिलीज में कहा गया है कि महिलाएं और बच्चे प्यास के मारे सड़कों पर पड़े थे. प्रेस रिलीज में कहा गया है कि जैसे ही कई महिलाएं गिरने लगीं, ड्यूटी पर मौजूद पुलिस अधिकारियों ने भी उन्हें भीड़ के बीच बाइक पर बिठाकर वैन्यू पर स्थापित मेडिकल सेंटर तक पहुंचाया."

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इवेंट का बड़ा पैमाना और धर्माधिकारी की फॉलोविंग

रायगढ़ प्रशासन के मुताबिक, इस कार्यक्रम में 8-10 लाख लोग शामिल हुए थे. शनिवार से ही शहर में कई लोगों का आना शुरू हो गया था. रविवार को दोपहर 1:00 बजे शुरू होने वाले कार्यक्रम के लिए 306 एकड़ का वैन्यू रविवार को सुबह 10:00 बजे तक खचाखच भरा हुआ था.

इस कार्यक्रम से पहले नवी मुंबई के कई हिस्सों को सजाया गया था. अधिकारियों ने घटना से पहले कहा था कि नवी मुंबई के खारघर में कॉर्पोरेट पार्क में कम से कम 15 लाख लोगों के आने की उम्मीद थी.

अवॉर्ड सेरोमनी से एक दिन पहले राज्य सरकार द्वारा जारी प्रेस रिलीज के अनुसार, वैन्यू पर 250 पानी के टैंकर, पीने के पानी के 2,100 नल, 4,200 पोर्टेबल शौचालय, 9,000 अस्थायी शौचालय, 26 दमकल और 69 एम्बुलेंस थे. मैनेजमेंट के लिए कार्यक्रम में 800 से अधिक स्वयंसेवकों को तैनात किया गया था.

एक अधिकारी ने पीटीआई को बताया था कि जमीन पर उचित मैनेजमेंट सुनिश्चित करने के लिए 30 समितियों का गठन किया गया था.

मध्य रेलवे ने एक मेगा ब्लॉक भी रद्द कर दिया क्योंकि राज्य भर के कम से कम 10 जिलों से धर्माधिकारी के अनुयायियों के शहर में आने की उम्मीद थी.

अमित शाह के साथ, इस कार्यक्रम में मुख्यमंत्री एकनाथ शिंदे, डिप्टी सीएम देवेंद्र फडणवीस और केंद्रीय मंत्री कपिल पाटिल भी शामिल हुए.

पद्म पुरस्कार विजेता, धर्माधिकारी और उनके संगठन श्री सदास्य की राज्य में फॉलोविंग उनके सामाजिक कार्यों और आदिवासियों के उत्थान में उनके योगदान के कारण है. साथ ही नशामुक्ति कार्य, चिकित्सा शिविर, रक्तदान और वृक्षारोपण अभियान के कारण लोग उन्हें जानते हैं. धर्माधिकारी के पिता, जो एक प्रसिद्ध समाज सुधारक भी थे, को भी महाराष्ट्र भूषण पुरस्कार से सम्मानित किया गया था.

महाराष्ट्र भूषण पुरस्कार को 1995 में तत्कालीन शिवसेना-बीजेपी गठबंधन द्वारा सामाजिक कार्य, प्रशासन, साहित्य, खेल और विज्ञान के क्षेत्र में योगदान के लिए शुरू किया गया था.
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मरने वालों की संख्या के साथ राजनीति भी बढ़ी

अवॉर्ड सेरोमनी के तुरंत बाद कम से कम 120 लोगों ने गर्मी से संबंधित स्वास्थ्य समस्या जाहिर की, कुछ का मौके पर ही डॉक्टरों ने इलाज किया. इसके बाद आठ महिलाओं सहित कम से कम 11 लोगों की लू लगने से मौत हो गई. वहीं 40 से अधिक लोगों को अस्पताल में भर्ती कराया गया.

सोमवार शाम तक मरने वालों की संख्या बढ़कर 13 हो गई.

सात लोगों ने टाटा मेमोरियल हॉस्पिटल में, दो ने एमजीएम हॉस्पिटल में, दो ने भारती विद्यापीठ मेडिकेयर में और एक ने नवी मुंबई सिविक हॉस्पिटल में दम तोड़ा.

आयोजन की टाइमिंग पर राजनीतिक उठापटक और उठ रहे सवालों के बीच मुख्यमंत्री एकनाथ शिंदे ने शुक्रवार को अस्पतालों का दौरा किया और भर्ती लोगों से मुलाकात की और घोषणा की कि राज्य उनके चिकित्सा खर्च को उठाएगा. उन्होंने मृतकों के परिजनों को पांच-पांच लाख रुपये की अनुग्रह राशि देने की भी घोषणा की.

सोमवार को जारी एक बयान में धर्माधिकारी ने कहा कि उन्हें इन मौतों से ऐसा दुख हुआ है जैसे उन्होंने अपने परिवार के सदस्यों को खो दिया हो. उन्होंने मौतों का राजनीतिकरण नहीं करने का भी आग्रह किया.

अमित शाह ने भी कार्यक्रम में लोगों की मौत पर शोक व्यक्त करने के लिए ट्वीट किया. जहां एनसीपी के नेता अजीत पवार और सुप्रिया सुले, और कांग्रेस के राज्य प्रमुख नाना पटोले ने इस घटना की जांच की मांग की है, वहीं शिवसेना (यूबीटी) के सांसद संजय राउत और महाराष्ट्र नवनिर्माण सेना प्रमुख राज ठाकरे ने सवाल किया कि यह आयोजन शाम में क्यों नहीं किया गया.

राज्य के मंत्री और बीजेपी नेता ने मीडिया को संबोधित करते हुए कहा था कि कार्यक्रम का समय स्वयं धर्माधिकारी ने दिया था और मुद्दों का "राजनीतिकरण नहीं किया जाना चाहिए."

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