ADVERTISEMENTREMOVE AD

समीर वानखेड़े के पिता ध्यानदेव ने किया मानहानि का दावा, नवाब मलिक ने किया विरोध

इस मुकदमे में मलिक से 1.25 करोड़ रुपये के हर्जाने की मांग की गई है. 

Published
भारत
2 min read
story-hero-img
i
छोटा
मध्यम
बड़ा
Hindi Female

महाराष्ट्र के कैबिनेट मंत्री और एनसीपी नेता नवाब मलिक(Nawab Malik) ने एनसीबी मुंबई के जोनल डायरेक्टर समीर वानखेड़े के पिता ध्यानदेव वानखेड़े(Dhyandev Wankhede) द्वारा दायर मानहानि के मुकदमे में उनके खिलाफ लगाए गए आरोपों का विरोध किया. बॉम्बे हाईकोर्ट में दायर इस मुकदमे में मलिक से 1.25 करोड़ रुपये के हर्जाने की मांग की गई है.

ADVERTISEMENTREMOVE AD
मलिक ने कहा कि याचिका मेंटेनबल नहीं है, क्योंकि अदालत की अनुमति के बिना अपने परिवार के सदस्यों की ओर से प्रतिनिधि मुकदमा दायर नहीं कर सकता है.

मलिक ने अपने जवाब में दावा किया कि उनके खिलाफ दिए गए बयान असंगत हैं और ध्यानदेव ने उनके खिलाफ आदेश प्राप्त करने का एक कमजोर प्रयास करने के लिए तथ्यों को तोड़-मरोड़ कर पेश किया है और कहानियां गढ़ी हैं. उन्होंने आगे कहा याचिकाकर्ता को अपने परिवार के सदस्यों की ओर से प्रतिनिधि के रूप में मुकदमा दायर करने के लिए सिविल प्रोसीजर कोड (सीपीसी) के तहत अदालत की अनुमति लेने की जरूरत थी, जो ध्यानदेव ने नहीं की है.

0

सबूतों को गलत तरीके से किया पेश

मलिक ने आगे दावा किया कि ध्यानदेव के परिवार के सदस्यों ने उनके द्वारा पेश किए गए सबूतों का गलत साबित करनेवाली कोई कानूनी कार्यवाही शुरू नहीं की है. मलिक ने बताया कि उन्होंने अपने दावे के समर्थन में पर्याप्त दस्तावेज सामने रखे हैं, जिनकी प्रामाणिकता और स्वीकार्यता का निर्णय केवल ट्रायल के चरण में ही किया जा सकता है. उन्होंने कहा कि ध्यानदेव ये सिद्ध करने में नाकामयाब रहे हैं कि कैसे बयान मानहानिकारक, बदनामी या अपमानजनक थे और अपने दावों का समर्थन करने या मलिक के खंडन के लिए एक भी दस्तावेजी सबूत पेश नहीं कर सके.

ADVERTISEMENTREMOVE AD

जन्म प्रमाण पत्र को लेकर याचिकाकर्ता का हंगामा

दरअसल समीर वानखेड़े के जन्म प्रमाण पत्र से संबंधित मुद्दे की जांच संबंधित प्राधिकारी द्वारा की जा रही है. जब उन्होंने ने यह जन्म प्रमाण पत्र पेश किया, तो याचिकाकर्ता ने बड़ा हंगामा किया और आरोप लगाया कि उसका नाम दाऊद नहीं है और वह और न ही उसका बेटा, धर्म से मुस्लिम हैं.

यह प्रमाण पत्र बीएमसी द्वारा जारी किया जाता है. बीएमसी द्वारा जारी किया गया यह जन्म प्रमाण पत्र अगर झूठा है, तो यह याचिकाकर्ता या समीर वानखेड़े को बीएमसी के संबंधित अधिकारियों से पूछना चाहिए कि मैंने सामने रखा जन्म प्रमाण पत्र सही है या नही. आज तक, उन्होंने जन्म प्रमाण पत्र का खंडन करने के लिए कोई अन्य जन्म प्रमाण पत्र प्रस्तुत नहीं किया है. जो ध्यानदेव के मामले को काफी हद तक गलत साबित करता है.
नवाब मलिक
ADVERTISEMENTREMOVE AD

मलिक ने अंत में आग्रह करते हुए कहा है कि ये मुकदमा संविधान के अनुच्छेद 19 के अनुसार अभिव्यक्ति स्वतंत्रता को कम करने की कोशिश कर रहा है, जिसका उपयोग वह जनता की भलाई के लिए कर रहे है. ये मुकदमा याचिकाकर्ता के बेटे द्वारा की गई अवैधताओं को कवर करने के प्रयास के अलावा और कुछ नहीं है और इसे खारिज कर दिया जाना चाहिए.

(हैलो दोस्तों! हमारे Telegram चैनल से जुड़े रहिए यहां)

सत्ता से सच बोलने के लिए आप जैसे सहयोगियों की जरूरत होती है
मेंबर बनें
अधिक पढ़ें
×
×