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आर्यन खान समेत बड़े मामलों से बाहर हुए समीर वानखेड़े, आखिर क्या हैं इसके मायने?

NCB ने विवादों से घिरे समीर वानखेड़े को आखिरकार अहम मामलों से दूर रखने का फैसला किया

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सुपरस्टार शाहरुख खान के बेटे आर्यन (Aryan Khan) की गिरफ्तारी के बाद से मुंबई क्रूज ड्रग्स मामला सुर्खियों में आया. लेकिन पिछले एक महीने में इस मामले के चलते इतने बड़े खुलासे हुए हैं कि कई बड़ी हस्तियों को इसने अपनी चपेट में ले लिया है.

इसमें सबसे ताजा उदाहरण एनसीबी जांच अधिकारी मुंबई जोनल डायरेक्टर समीर वानखेड़े हैं. जिन्हें लेकर लिए गए फैसले पर घमासान शुरू हो चुका है. आखिर विवादों से घिरे इस मामले में NCB के इस फैसले के क्या मायने निकलते हैं ये समझते हैं.. लेकिन सबसे पहले देखते हैं कि किस फैसले पर ये बवाल उठा है..

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क्या है NCB का फैसला?

NCB के डीडीजी संजय सिंह ने 5 नवंबर को प्रेस रिलीज जारी कर बताया कि NCB के डीजी ने हेडक्वार्टर्स दिल्ली (ऑपरेशन्स) के अधिकारियों की स्पेशल इन्वेस्टिगेशन टीम (SIT) गठित कर मुंबई जोनल यूनिट के 6 केसे ट्रांसफर कर दिए हैं.

इन केस की राष्ट्रीय और अंतराष्ट्रीय असर होने की वजह से आगे गहरी जांच करने के लिए ये कदम उठाया गया है. हालांकि किसी भी अधिकारी को हटाया नहीं गया है. मौजूदा अधिकारी जांच में SIT का सहयोग करेंगे. NCB पूरे देश मे एकीकृत एजेंसी के रूप में काम करता है.

समीर वानखेड़े की क्या है सफाई ?

जाहिर सी बात है इतने बड़े फैसले के बाद समीर वानखेड़े को हटाए जाने की जोरदार चर्चा शुरू हो गई. सोशल मीडिया और राजनीतिक गलियारों में इस निर्णय का सीधा संबंध एनसीपी के मंत्री नवाब मलिक ने लगाए आरोपों से जोड़ा जाने लगा. ऐसे में खुद समीर वानखेड़े भी मीडिया के सामने सफाई देते दिखे. वानखेडे ने स्पष्ट किया कि,

उन्हें अपने पद से हटाया नहीं गया है, बल्कि उन्होंने खुद कोर्ट में अर्जी दी थी कि निष्पक्ष जांच के लिए इन संवेदनशील केसेस को सेंट्रल एजेंसियों को सौंपा जाना चाहिए.

हालांकि सोशल मीडिया पर वायरल हुई वानखेड़े के एफिडेविट में इस बात का जिक्र नहीं होने का दावा मंत्री नवाब मलिक ने किया है. उन्होंने कहा कि, वास्तव में समीर वानखेड़े ने महाराष्ट्र सरकार द्वारा गठित SIT जांच को टालने और खुद की गिरफ्तारी से सुरक्षा के लिए अर्जी दी.

NCB की साख दांव पर ?

समीर वानखेड़े पर लग रहे आरोपों को NCB के डीडीजी ज्ञानेश्वर सिंह ने शुरुआत में काउंटर करने की कोशिश की थी. मंत्री नवाब मलिक की प्रेस कॉन्फ्रेंस खत्म होते ही NCB की ओर सफाई देने समीर वानखेड़े के साथ ज्ञानेश्वर सिंह मीडिया के सामने आ जाते.

इतना ही नहीं बल्कि बीजेपी के राष्ट्रीय महासचिव बीएल संतोष भी वानखेड़े और उनके परिवार के समर्थन में खुल कर उतरते दिखे.

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लेकिन वानखेड़े पर लगातार हो रहे गंभीर आरोपों को बेअसर करने में उन्हें कामयाबी मिलते नहीं दिखी. बल्कि वानखेड़े का बचाव कर रही NCB ही जद में नजर आने लगी. हालांकि नवाब मलिक ने प्रेस कॉन्फ्रेंस में साफ कर दिया था कि उनकी लड़ाई एजेंसी से नहीं सिर्फ समीर वानखेड़े से है. MVA सरकार के नेताओं का दावा ये भी रहा है की महाराष्ट्र को बदनाम करने के लिए केंद्रीय एजेंसियों का दुरुपयोग हो रहा है.

क्या NCB ने वानखेड़े से झाड़ा पल्ला ?

धीरे-धीरे वानखेड़े पर आरोपों की धार इतनी तेज और निजी होती गई कि NCB को इस मामले में खुद को निष्पक्ष दिखाना एक बड़ी चुनौती बन गया. मलिक ने इस मामले के पंच किरण गोसावी और मनीष भानुशाली के क्रिमिनल और पॉलिटिकल बैकग्राउंड को एक्सपोज किया. जिससे वानखेड़े की ढीले रवैये और कार्यपद्धति पर सवाल उठने लगे.

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उसके बाद मलिक ने वानखेडे की निजी जिंदगी की कुछ ऐसी बातें सामने लाई कि उनके इरादे और नियुक्ति पर भी संदेह पैदा होने लगा. जिसके बाद वानखेड़े के साथ NCB जैसी प्रतिष्ठित केंद्रीय एजेंसी भी सवालों के घेरे में आने लगी. ऐसे में निजी आरोप और एजेंसी की विश्वसनीयता पर सवाल खड़े होने के बाद NCB का निर्णय सामने आया.

इस पर पॉलिटिकल एनालिस्ट और महाराष्ट्र के राजनीति पर आधारित 'चेकमेट' किताब के लेखक सुधीर सूर्यवंशी का मानना है कि,

"ये निर्णय लेकर NCB ने डैमेज कंट्रोल करने की कोशिश की है. एक व्यक्ति की वजह से पूरी एजेंसी पर सवाल उठाना केंद्र सरकार की इमेज को बड़ा नुकसान पहुंचा सकता है. दूसरी ओर NCB की विजिलेंस टीम की जांच में कई ऐसे प्राथमिक तथ्य सामने आए होंगे जो वानखेड़े के साथ एजेंसी की भी मुश्किलें बढ़ा सकती है. सबसे अहम बात कि मुंबई पुलिस द्वारा गठित SIT की जांच में शाहरुख की मैनेजर पूजा ददलानी के CCTV फुटेज हाथ लगना भी वानखेड़े से केस निकालने का एक बड़ा कारण हो सकते हैं. हालांकि इन सभी अटकलों के बीच असली तथ्य तभी सामने आ सकेंगे जब ये मामला कोर्ट तक पहुंचेगा."
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NCB की प्रशासनिक प्रक्रिया का क्या है मतलब?

मुंबई एंटी नारकोटिक्स सेल के रिटायर्ड अधिकारी सुहास गोखले बताते हैं कि,

"किसी भी जांच अधिकारी से केस निकालकर दूसरे को ट्रांसफर करना एक तरह से संकेत होता है कि मामले में कुछ तो गड़बड़ी है. लिहाजा समीर वानखेड़े से आर्यन खान और नवाब मलिक के दामाद समीर खान समेत एक्टर अरमान कोहली, इकबाल कासकर और अन्य 3 हाई प्रोफाइल केसेस को ट्रांसफर करने से कई सवाल खड़े होना स्वाभाविक है."

मंत्री नवाब मलिक ने NCB के विजिलेंस टीम को 26 केसेस में अफरातफरी का आरोप लगाते हुए जांच की मांग की थी. जिसमें सिर्फ 6 केसे ट्रांसफर हुए हैं. इन केसेस की आगे की जांच और कोर्ट की सुनवाई में ही तथ्यों का पता लग पाएगा. गोखले ने कहा कि, सिर्फ पॉलिटिकल नरेटिव और अनुमान के आधार पर निष्कर्ष पर पहुंचना गलत होगा. मुझे लगता है कुछ हफ्तों में ही इस से जुड़े कई बड़े तथ्य जल्द ही सामने आएंगे.

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हालांकि गोखले ने साफ किया कि कोई भी व्यक्ति या अधिकारी संस्था से बढ़कर नहीं होता.1986 से NCB एक बहुत क्रेडिबल और प्रोफेशनल एजेंसी रही है. ऐसे में अगर किसी अधिकारी की वजह से एजेंसी पर दाग लग रहा हो तो इन मामलों को प्रशासनिक तरीके से हैंडल करना कोई नई बात नहीं है.

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