प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने भारतीय राष्ट्रीय अभिलेखागार में नेताजी सुभाष चंद्र बोस की 119वीं जयंती पर शनिवार को ‘नेताजी’ से जुड़ी करीब 100 फाइलों का खुलासा किया. ब्रिटिश सेना के खिलाफ अपनी अलग सेना बनाने वाले स्वतंत्रता सेनानी की मौत के सात दशक बाद भी एक रहस्य बनी हुईं इन सभी फाइलों की एक डिजिटल कॉपी को राष्ट्रीय संग्रहालय में रखा गया है. पहली किस्त में सिर्फ 100 फाइलें ही सार्वजनिक की गईं हैं.
इसके बाद हर महीने 25-25 फाइलों को सार्वजनिक किया जाएगा. पीएम मोदी ने नेताजी से जुड़े पत्रों पर ‘नेताजीपेपर्स डॉट गर्वनमेंट डॉट इन’ नाम से एक वेब पोर्टल भी लॉन्च किया.
बोस के परिवार के कुछ सदस्य इस फैसले से काफी खुश हैं. उन्होंने इसे ‘पूरे राष्ट्र के लिए एक बेहतरीन दिन’ करार दिया.
आपको बता दें कि राष्ट्रीय अभिलेखागार को 1997 में रक्षा मंत्रालय की ओर से आजाद हिंद फौज से संबंधित 990 फाइलें प्राप्त हुई थीं. शनिवार को इन फाइलों के सार्वजनिक होने के बाद केंद्रीय संस्कृति मंत्रालय ने एक बयान जारी कर कहा,
इन दस्तावेजों के खुलासे से जनता की लंबित मांगें पूरी होंगी और शोधकर्ताओं को भविष्य में नेताजी पर शोध में मदद मिलेगी
पश्चिम बंगाल की मुख्यमंत्री ममता बनर्जी ने एक ट्वीट में कहा,“नेताजी को ‘राष्ट्र नेता’ का खिताब दिया जाना चाहिए. वह इस सम्मान के हकदार हैं.”
नेताजी की बेटी की मदद के लिए कांग्रेस ने बनाया था ट्रस्ट
सार्वजनिक की गईं गोपनीय फाइलों से खुलासा हुआ है कि ‘अखिल भारतीय कांग्रेस कमेटी’ ने 23 मई, 1954 को नेताजी की बेटी की मदद के लिए दो लाख रुपए का एक ट्रस्ट बनाया था, जिससे उन्हें 500 रुपये प्रति माह आर्थिक मदद दी जाती थी.
1964 तक अनिता को 6,000 रुपए वार्षिक दिए गए और 1965 में उनकी शादी के बाद यह आर्थिक सहयोग बंद कर दिया गया. तत्कालीन प्रधानमंत्री जवाहरलाल नेहरू और पश्चिम बंगाल के तत्कालीन मुख्यमंत्री बी.सी.रॉय उसके ट्रस्टी थे.
फाइलों में दर्ज सीक्रेट, जो सामने आए
- 11 सितंबर 1956 की रिपोर्ट में कहा गया था कि नेताजी की मौत 18 अगस्त 1945 को प्लेन क्रैश में हुई. जापान की हार जब तय दिखने लगी तो नेताजी ने रूस जाने की तैयारी की.
- वह 16 अगस्त 1945 को फ्लाइट लेकर बैंकॉक से मंचूरिया के लिए निकले थे. प्लेन 18 अगस्त को ताईहोकू में क्रैश हो गया और नेताजी बुरी तरह जल गए.
- उन्हें उसी रात ताईहोकू हॉस्पिटल में भर्ती कराया गया, पर उन्हें बचाया न जा सका.
- ताईहोकू में ही उनका अंतिम संस्कार कर दिया गया. अस्थियां सितंबर में टोक्यो लाई गईं. रेंकोजी मंदिर में उन्हें रखा गया. प्रत्यक्षदर्शियों ने उनके कपड़े जलते देखे.
- ‘लोगों को बताना कि मैं अपने देश की आजादी के लिए आखिरी सांस तक लड़ा. उन्हें यह लड़ाई जारी रखनी है और मुझे पूरा भरोसा है कि भारत जल्द ही आजाद हो जाएगा. अब भारत को कोई भी गुलाम बनाकर नहीं रख सकता.’ ये थे नेताजी के अंतिम शब्द.
- अज्ञात कारणों से जापान ने उनकी मौत की खबर को रहस्य बनाए रखा और इस बारे में सूचना नहीं दी.
- कमेटी के सामने जो गवाह पेश किए गए, वे सभी अलग-अलग देशों के थे और एक-दूसरे से जुड़े नहीं थे.
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