16 जनवरी 1941 की रात, 44 साल के नेताजी सुभाष चंद्र बोस, ब्रिटिश शासकों की नाक के नीचे से भाग निकले थे. दिसंबर 1940 में जेल से रिहा होने के बाद, बोस घर में नजरबंद थे, लेकिन एक सोचे-समझे प्लान की बदौलत, वो अंग्रेजों को चमका देकर भागने में कामयाब रहे. ये वो आखिरी दिन था जब उन्हें भारत की जमींं पर देखा गया था. इसके बाद वो कभी अपने वतन वापस नहीं लौट पाए.
नेताजी को दिसंबर 1940 में 7 दिनों की भूख हड़ताल के बाद जेल से रिहा किया गया था. उन्हें कलकत्ता स्थित उनके घर पर नजरबंद कर दिया गया था. ब्रिटिश सरकार की उनपर पैनी नजर थी. लेकिन नेताजी भागने का मन बना चुके थे. उनका प्लान कोलकाता से निकलकर अफगानिस्तान पहुंचना, और फिर सोवियत रूस के रास्ते जर्मनी जाना था. बोस के भतीजे शिशिर ने भागने में उनकी मदद की.
नेताजी की जयंती पर, क्विंट याद कर रहा है वो दिन, जब भारत ने नेताजी को आखिरी बार अपनी जमीन पर देखा था.
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